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झारखंड में किसी का सामाजिक बहिष्कार भी होगी मॉब लिंचिंग, जानें और कौन कौन से अपराध आएंगे इस श्रेणी में

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झारखंड विधानसभा से कल मॉब लिंचिंग विधेयक पास हो गया, इसके तहत अब किसी का भी समाजिक बहिष्कार मॉब लिंचिंग कहलाएगा. विपक्ष के सदस्य इसे प्रवर समिति में भेजने के लिए कई संशोधन लेकर आये थे.

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रांची : झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग विधेयक (भीड़ हिंसा व भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक-2021) मंगलवार को सदन से ध्वनिमत से पारित हो गया. विपक्ष के सदस्य इसे प्रवर समिति में भेजने के लिए कई संशोधन लेकर आये थे. आंशिक संशोधन के बाद विधेयक विपक्ष के बहिष्कार के बीच सदन से पारित हो गया.

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इसके तहत अब किसी का सामाजिक या व्यावसायिक बहिष्कार करना भी मॉब लिंचिंग कहलायेगा. दो या दो से अधिक लोगों द्वारा हिंसा करने पर इसे कानून की नजरों में मॉब लिंचिंग माना जायेगा. मॉब लिंचिंग में मौत होने पर दोषी को आजीवन कारावास और पांच से 25 लाख तक के जुर्माना की सजा होगी.

मंगलवार को प्रभारी गृह मंत्री आलमगीर आलम ने सदन में विधेयक पेश किया. इस पर संशोधन का प्रस्ताव विधायक अमित मंडल, रामचंद्र चंद्रवंशी, सरयू राय, अनंत कुमार ओझा, अमर बाउरी, केदार हाजरा, विनोद सिंह ने लाया था. सरकार ने रामचंद्र चंद्रवंशी के सूचना देनेवालों को नाम गोपनीय रखने और पुरस्कृत करने के संशोधन को स्वीकार कर लिया. अमित मंडल ने दुर्बल के स्थान पर आम नागरिक शब्द जोड़ने की मांग की थी. इसे भी सरकार ने स्वीकार कर लिया. अमित मंडल ने कहा कि अगर बिल को राजनैतिक उद्देश्य से लाया गया है, तो गलत है.

कुछ अधिकारियों ने सरकार को खुश करने के लिए इसमें कई ऐसे शब्द जोड़े हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है. इसमें जो प्रावधान किये गये हैं, वह सीआरपीसी और आइपीसी में पहले से ही हैं. अमर बाउरी ने कहा कि यह बिल आदिवासी और मूलवासी विरोधी है.

मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था हो :

विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि कई राज्यों में तो इस अपराध के दोषी को मृत्युदंड तक देने का प्रावधान किया गया है. विनोद सिंह ने कहा कि बिल पांच दिन पहले देने का प्रावधान है, विशेष परिस्थिति में तीन दिन का समय है. लेकिन, यह बिल कल ही दिया गया है. सरकार को मॉब लीचिंग के पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था भी करनी चाहिए. चर्चा के दौरान ही विपक्ष ने सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए सदन का बहिष्कार कर दिया. मंत्री श्री आलम ने कहा कि यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनाया गया है. इसमें किये गये प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के अनुसार हैं.

अब ये आयेंगे मॉब लिंचिंग की श्रेणी में

दो या दो से अधिक लोगों

द्वारा हिंसा करने पर मॉब लिंचिंग होगी

किसी व्यक्ति के कारोबार या व्यवसाय का बहिष्कार करना

जहां व्यक्ति स्थायी रूप से रहता हो, उसे बाहर करना

शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, परिवहन सहित लोक सेवा से तिरस्कार करना

मूल अधिकारों से वंचित करना या वंचित करने की धमकी देना

घर या मामूली निवास या आजीविका के स्थान को छोड़ने के लिए मजबूर करना

धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, आहार-व्यवहार, लैंगिक, राजनैतिक संबद्धता और नस्ल के अाधार पर हिंसा या परेशान करना

शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहे, इसके लिए लाया गया है विधेयक

राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहे, इसके लिए विधेयक लाया गया है. समय-समय पर घटनाएं होती रहती हैं. कई घटनाएं कुछ असाधरण तरीके से भी हमलोगों के सामने आ जाती हैं. राज्य में सभी सौहार्दपूर्ण तरीके से रहें, यह हम सबका दायित्व है. कभी-कभी कुछ असामाजिक तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आते. इसलिए राज्य सरकार यह कानून ला रही है. हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

क्या है दंड का प्रावधान

पीड़ित से परेशान सिद्ध होने पर एक से तीन साल तक सजा या एक लाख से तीन लाख तक का जुर्माना.

ज्यादा परेशान करने पर पीड़ित को एक से 10 साल तक की सजा या तीन से 10 लाख तक जुर्माना.

मॉब लिंचिंग में मौत होने पर दोषी को आजीवन कारावास तथा पांच से 25 लाख तक जुर्माना.

लिंचिंग के शिकार के उपचार का खर्च प्राप्त जुर्माने की राशि से होगी

Posted By : Sameer Oraon

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