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झारखंड में नामांकन की तुलना में सबसे कम बच्चे खाते हैं MDM, केंद्र ने जारी की रिपोर्ट

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स्कूलों में नामांकित कुल बच्चों में से औसतन लगभग एक तिहाई विद्यार्थी वर्ष 2022 -23 की तीन तिमाही में मध्याह्न भोजन योजना के दायरे से बाहर रहे.

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राज्य के विद्यालयों में नामांकित कुल विद्यार्थियों की तुलना में प्रतिदिन औसतन 69% बच्चे ही मध्याह्न भोजन खाते हैं. केंद्र ने इसे गंभीरता से लिया है और एमडीएम खानेवाले बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा है. झारखंड उन पांच राज्यों में शामिल है, जहां नामांकन की तुलना में सबसे कम बच्चे मध्याह्न भोजन खाते हैं. केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश के पांच राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली,मध्य प्रदेश और झारखंड में नामांकन की तुलना में सबसे कम बच्चे मध्याह्न भोजन खाते हैं.

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रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में नामांकित कुल बच्चों में से औसतन लगभग एक तिहाई विद्यार्थी वर्ष 2022 -23 की तीन तिमाही में मध्याह्न भोजन योजना के दायरे से बाहर रहे. झारखंड की स्थिति इन पांच राज्यों में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है.

केंद्र ने योजना की समीक्षा की :

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अप्रैल से दिसंबर 2022 तक राज्यों में मध्याह्न भोजन योजना के प्रदर्शन की समीक्षा की. केंद्र द्वारा राज्यों को ऐसी व्यवस्था तैयार करने के लिए कहा गया है,जिससे अधिक से अधिक संख्या में नामांकित विद्यार्थियों को योजना के दायरे में लाया जा सके.

राज्य के सरकारी विद्यालयों में नामांकित कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मध्याह्न भोजन दिया जाता है. इसके लिए 60 % राशि केंद्र सरकार व 40 फ़ीसदी राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाती है. झारखंड में लगभग 32 लाख बच्चे प्रतिदिन मध्याह्न भोजन खाते हैं.

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