16.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 07:04 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मधुश्रावणी 2023: अखंड सौभाग्य के लिए नवविवाहिताएं करतीं हैं नाग देवता की पूजा, भगवान को चढ़ातीं हैं बासी फूल

Advertisement

मधुश्रावणी पर्व में बासी फूल से पूजा करने की विधान है. शाम को नव विवाहिताएं जो फूल को लोढ़ कर लाती हैं, अगले दिन सुबह उसी फूल से आदि शक्ति गौरी और नाग देवता की पूजा करती हैं. कहते हैं नाग देवता की उन्हें अखंड सौभाग्य का वचन देते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Madhushravani 2023: मिथिला का प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी इस बार चार जुलाई से शुरू हुआ, 19 जुलाई को इसका समाप्त होना था. 15 दिनों तक चलने वाला यह पर्व इस साल एक महीने का मलमास होने के कारण 46 दिनों तक चला, जो 19 अगस्त को पूरा हो रहा है. मैथिली समाज के लोकपर्व मधुश्रावणी का समापन आज, शनिवार को टेमी के साथ होगा. हालांकि, टेमी दागने की प्रथा सभी समाज में नहीं होती, लेकिन एक बड़े तबके में टेमी दागने की प्रथा है.

- Advertisement -

19 अगस्त की शाम 7:51 बजे तक तृतीया तिथि मिल रही है. रात 12:41 बजे तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र मिल रहा है. साथ ही सिद्ध योगा मिल रहा है, जिस कारण यह दिन और शुभ हो गया है. चार जुलाई को मौना पंचमी से यह पर्व शुरू हुआ था. इस बार मलमास के कारण यह पर्व 46 दिनों तक मनाया जा रहा है. सरोवर नगर की रहनेवाली श्रेया प्रियदर्शनी ने कहा कि शुरू में लगा कि इतने दिनों तक जॉब के साथ-साथ पूजा-अर्चना संभव नहीं हो पायेगा, लेकिन मां के आशीर्वाद से सबकुछ अच्छे से संपन्न हो गया. दोस्तों के साथ इस कार्य का आनंद ही कुछ और है. ससुराल से भार पहुंच गया है. घरों में मिठाई की खुशबू फैलने लगी है. घरों को सजाया-संवारा जा रहा है. मेहमान आने लगे हैं.

मधुश्रावणी में बासी फूल से विशेषकर नाग देवता की पूजा

मधुश्रावणी पर्व के दौरान नव विवाहिताएं गौरी माता, नाग देवता, सावित्री- सत्यवान, शंकर-पार्वती, राम-सीता, कृष्ण-राधा व अन्य देवी देवताओं की कथा सुनती और पूजा करती हैं. सावन माह आते ही मिथिला की नव विवाहिताएं मधुश्रावणी पर्व की तैयारी शुरू कर देती हैं. इसमें नव विवाहिताओं की टोली के सावन की रिमझिम फूहारों के बीच शाम को फूल लोढ़ी के लिए निकलने की परंपरा बहुत पुरानी है. मधुश्रावणी पर्व में बासी फूल से पूजा करने की विधान है. शाम को नव विवाहिताएं जो फूल को लोढ़ कर लाती हैं, अगले दिन सुबह उसी फूल से आदि शक्ति गौरी और नाग देवता की पूजा करती हैं. कहते हैं नाग देवता की उन्हें अखंड सौभाग्य का वचन देते हैं.

पति की लंबी उम्र की करेंगी कामना

मधुश्रावणी मैथिली भाषा-भाषी का लोकपर्व है. आज, शनिवार को नवविवाहिताएं प्रात:काल स्नान-ध्यान कर तैयारी में लग गई हैं. आज वह टेमी दागने की परंपरा निभायी जायेगी. प्रसाद वितरण के साथ 46 दिनों से चले आ रहे त्योहार का समापन हो जायेगा. आज ही नवविवाहिता को टेमी दागा जाता है. उनकी आंखों को बंद कर घुटनों को आग की बत्ती से दागा जाता है. नवविवाहिता ईश्वर से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और पूजा के दौरान हुई गलती के लिए क्षमा मांगती हैं. प्रसाद वितरण के बाद पूजा में प्रयुक्त फूल आदि काे नदी-तालाबों में विसर्जित कर दिया जाता है.

लोक गीतों से गूंज उठता है टोला-मुहल्ला

मधु श्रावणी पर्व के दौरान नव विवाहिताएं दिन में फलाहार एवं शाम को ससुराल से आये अन्न से तैयार अरवा भोजन करती हैं. फिर शाम ढलते ही सोलह श्रृंगार कर अपने सहेलियों के साथ लोक गीत गाती हुईं पुष्प और बेलपत्र तोड़ने निकल जाती हैं. फूल लोढ़ने के बाद नजदीक के किसी मंदिर मे बैठ कर लोढ़े गये फूलों से अगले दिन पूजा के लिए डाला सजा कर घर लौटती हैं. सांस्कृतिक, धार्मिक, परंपरागत सद्भाव व सम्मान के प्रतीक के रूप में मधुश्रावणी पर्व मिथिला में आज भी जीवंत है.

नवविवाहितों के लिए खास होता है मधुश्रावणी

मिथिला में नवविवाहिता बहुत ही धूमधाम के साथ दुल्हन के रूप में सजधज कर मनाती है. मैथिल संस्कृति के अनुसार शादी के पहले साल के सावन माह में नव विवाहिताएं मधुश्रावणी का व्रत रखतीं हैं. मैथिल समाज की नव विवाहिताओं के घर मधुश्रावणी का पर्व विधि-विधान से होता है. इस दौरान मैना पात व पान के पत्ता के साथ लावा, दूध, सिंदूर, पिठार , काजल, सफेद, लाल और पीले फूल की प्रमुखता रहती है. परंपरा के अनुसार, नव विवाहिताएं यह लोकपर्व अपने मायके में मनाती हैं और इस दौरान वह ससुराल से भेजे गये वस्त्र, भोजन और पूजन सामग्रियों का उपयोग करती हैं. इस दौरान नव विवाहिताओं के लिए सामान्य नमक का प्रयोग वर्जित रहने के कारण वे सेंधा नमक का ही प्रयोग करती हैं.

मिट्टी-गोबर से गौरी शंकर की प्रतिकृति बनाकर करतीं हैं पूजा

विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन में ही नवविवाहिताएं मधुश्रावणी व्रत रखतीं हैं. इस दौरान बिना नमक के ही भोजन ये करेंगी. यह पूजा श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को विशेष पूजा-अर्चना के साथ व्रत की समाप्ति होगी. इन दिनों नवविवाहिता व्रत रखकर गणेश, चनाई, मिट्टी और गोबर से बने विषहारा और गौरी-शंकर का विशेष पूजा कर महिला पुरोहित से कथा का श्रवण कर रही है.

नव विवाहिता के ससुराल से आती है सारी पूजन सामग्री

संध्या के समय नवविवाहिता अपनी सखी सहेलियों के साथ एक समूह बनाकर पूजन के लिए बांस की डाली में फूल चुनकर लाती हैं. इस दौरान लगातार नवविवाहिता अपने ससुराल का अरवा भोजन प्राप्त करती हैं. तपस्या के समान यह पर्व पति की दीर्घायु के लिये है. पूजा के अंतिम दिन नवविवाहिता के ससुराल पक्ष से काफी मात्रा में पूजन की सामग्री, कई प्रकार के मिष्ठान्न, नये वस्त्र के साथ बुजुर्ग लोग आशीर्वाद देने के लिए पहुंचते हैं. नवविवाहिता ससुराल पक्ष के बुजुर्ग लोगों से आशीर्वाद पाकर ही पूजा समाप्त करती हैं.

Also Read: बाबा धाम देवघर में आज रात तांत्रिक विधि से होगी मनसा पूजा, जहरीले जीवों से दूर रखती हैं माता

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें