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लॉकडाउन लंबा खिंचा तो बंद हो जाएंगे झारखंड के 50 प्रतिशत बार – रेस्टोरेंट, इतने लाख लोगों पर मंडराया बेरोजगारी का खतरा

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बार - रेस्टोरेंट कारोबार से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि मकान मालिकों के पास लाखों का किराया बकाया हो गया है. रेस्टोरेंट ओनर के उपर कर्मचारियों का किराये की मार, वेतन, मेंंटेनेन्स चार्ज, टैक्स, बिजली बिल, निगम कर के रूप में भी बड़ा बकाया हो गया है. असल में के करीब 90 फीसदी रेस्टोरेंट लीज पर ली हुई जगह में चलते हैं.

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Lockdown Impact On Restaurants and Bars In Jharkhand रांची : कोरोना महामारी का राज्य में सबसे बुरा असर फूड और ट्रैवल इंडस्ट्री पर पड़ा है. एक अनुमान के अनुसार अकेले एक महीने के लॉकडाउन के दौरान ही झारखंड में बार – रेस्टोरेंट से जुड़े कारोबार को करीब 30 से 35 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. झारखंड बार रेस्टोरेंट एसोसिएशन का कहना है कि अगर लॉकडाउन लंबा चला तो राज्य के 50 फीसदी बार और रेस्टोरेंट बंद हो सकते हैं.

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बार – रेस्टोरेंट कारोबार से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि मकान मालिकों के पास लाखों का किराया बकाया हो गया है. रेस्टोरेंट ओनर के उपर कर्मचारियों का किराये की मार, वेतन, मेंंटेनेन्स चार्ज, टैक्स, बिजली बिल, निगम कर के रूप में भी बड़ा बकाया हो गया है. असल में के करीब 90 फीसदी रेस्टोरेंट लीज पर ली हुई जगह में चलते हैं.

इन रेस्टोरेंट को अपनी आमदनी का 15 से 30 फीसदी तक किराया देना होता है. गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान राज्य भर में 6 महीने तक बार बंद रहा था. इसका असर 5000 हजार बार – रेस्टोरेंटों के उपर पड़ा. दूसरी लहर के दौरान एक महीने से यहां कारोबार एक बार फिर से ठप है.

कारोबार ठप, लाखों होंगे बेरोजगार

ऐसोसिएशन के मुताबिक इस इंडस्ट्री से जुड़े करीब 15 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार व व्यवसाय करने का अवसर मिलता है. इसमें लांड्री, पानी वाले, चिकन, मटन, मछली, अंडा, पेपर नैपकिन, सब्जी, फल, राशन से जुड़े लोग बेरोजगार हो रहे हैं.

18 लाख के शुल्क में नाम मात्र का कारोबार

अनुमान के मुताबिक जोमैटो—स्विगी और इस जैसे देशी डिलिवरी चेन सिस्टम का कारोबार भी घटकर 25 फीसदी पर आ गया है. इससे जुड़े लोगों का अनुमान है कि कोरोना की वजह से उसके सदस्यों को साल 2020 में 18 लाख रुपये शुल्क चुकाकर नाम मात्र का कारोबार हो सका है.

आगे भी बिजनेस घटेगा

झारखंड बार – रेस्टोरेंट ऐसोसिएशन के प्रेसिडेंट रंजन कुमार कहते हैं कि कोरोना के बाद की हमारी हालात कल्पना से परे हो चुके हैं. असल में जब लाइफ बेहतर होती है तो ही लोग फूड और बेवरेज पर अच्छा खर्च करते हैं. इसके अलावा कोरोना की वजह से यह सब बंद रहने से एक डर का माहौल भी है.

रेस्टोरेंट कारोबारियों से जानिए, व्यापार पर किस तरह पड़ा असर

कोरोना संक्रमण के बाद बार – रेस्टोरेंट व्यापार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. हमें आगे चलकर भी हमें काफी परेशानी होगी. जीएसटी में छूट के साथ ही लाइसेंस नवीनीकरण फीस को माफ कर उनके खाते में वापस भेजना चाहिए. बीयर एक्सपायर हो रही हैं, सरकार को छह महीने का बिजली बिल माफ करने पर निर्णय लेना चाहिए.

रंजन कुमार : अध्यक्ष, झारखंड बार व रेस्तरां ऐसोसिएशन, झारखंड

लगातार कोरोना संक्रमण के कारण रेस्तरां व्यापार पर भी काफी असर देखने को मिला है. बार की छोड़िए रेस्टोरेंट्स में भी कारोबार उस गति से नहीं चल पा रहे हैं, जिस गति से उनको चलना चाहिए. आय की जगह दिन व दिन बढ़ता जा रहा है.

अनित सिंह : सचिव सह प्रवक्ता, झारखंड बार एवम रेस्टोरेंट ऐसोसिएशन

लॉकडाउन का सीधा असर होटल, बार और रेस्टोरेंट्स इंडस्ट्री पर पड़ रहा है. वहीं, कोरोना और लॉकडाउन के डर के कारण लोगों ने आउटिंग बंद कर दी है. इस सेक्टर को कोरोना के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

अर्पन यादव : ऑनर, पड़ोसन रेस्टोरेंट एंड बार

ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, अगर कोरोना का असर लंबा चला तो होटल बौर रेस्टोरेंट बंदी की कगार पर आ जाएंगे. जो लीज पर कारोबार कर रहे हैं और कोई अन्य आय का साधन नहीं, उनके लिए स्थिति भयावह है. हमने दो साल में 18 लाख रुपए सरकार को बिना कारोबार किए चुकाये हैं.

निशांत कुमार : संचालक, डे नाइट बार एंड रेस्टोरेंट

हमें फौरन राहत की जरूरत है, सरकार को मदद के लिए आगे आना चाहिए. भविष्य में लॉकडाउन खुलने के बाद भी रियायत न मिलने के कारण कंपीटीशन नहीं कर पायेंगे. इंडस्ट्री लंबे समय तक इससे उबर नहीं पाएगी. छह महीने के अंदर ही बड़ी राशि जमा कराना पड़ा है, उपर से बंदी के दौरान का खर्च अलग है.

विजय कुमार वर्मा : संचालक, सेलिब्रेशन रेस्टोरेंट एंड बार

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