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लाइट हाउस प्रोजेक्ट बंद, गरीबों के लिए बनाये जाने थे 1008 फ्लैट

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लाइट हाउस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन झारखंड में बंद

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गरीबों को मकान देने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना लाइट हाउस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन झारखंड में बंद हो गया है. प्रोजेक्ट के तहत रांची में 300-300 वर्गमीटर की कुल 1,008 आवासीय इकाइयों (फ्लैट) का निर्माण किया जाना था. नयी तकनीक का इस्तेमाल कर कम लागत में टिकाऊ और आपदारोधी मकान बनाये जाने की योजना थी.

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लाइट हाउस निर्माण के लिए केंद्र सरकार के साथ एमओयू करने के बाद नगर विकास विभाग ने पहली बार बाजरा में पांच एकड़ और फिर एचइसी में 5.8 एकड़ जमीन का चयन किया था. लेकिन, दोनों ही बार काम आगे नहीं बढ़ाया जा सका. पिछले एक साल से नगर विकास विभाग ने लाइट हाउस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. योजना पर कोई काम नहीं हो रहा है.

प्रधानमंत्री ने की थी घोषणा, देश के छह शहरों में शामिल थी रांची : लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए रांची समेत देश के अलग-अलग राज्यों के कुल छह शहरों का चयन किया गया था. वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्माण प्रौद्योगिकी भारत प्रदर्शनी सह सम्मेलन के दौरान इसकी घोषणा की थी. पूर्व में केंद्रीय आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय ने लाइट हाउस निर्माण के इच्छुक शहरों से प्रस्ताव आमंत्रित किया था.

कुल 43 शहरों ने लाइट हाउस निर्माण की इच्छा जतायी थी. केंद्र सरकार ने इच्छुक शहराें में से पायलट प्रोजेक्ट के लिए रांची (झारखंड), इंदौर (मध्य प्रदेश), चेन्नई (तमिलनाडु), अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) का चयन किया था.

एक आवास के लिए केंद्र को तीन व राज्य को देना था एक लाख : लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार प्रति आवास तीन लाख रुपये की सहायता प्रदान कर रही थी. जबकि, राज्य को प्रति आवास केवल एक लाख रुपये ही देने थे. प्रोजेक्ट के तहत हर आवासी इकाई पर करीब 13 लाख रुपये खर्च किये जाने थे. राज्य सरकार आवासीय इकाइयां आवंटित करने के लिए कीमत का निर्धारण कर शेष राशि लाभुक से वसूल करती.

लाभुक के लिए ऋण का प्रबंध बैंकों के माध्यम से किया जाना था. इस तरह गरीबों को 10 लाख रुपये में ही अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित सुविधायुक्त घर उपलब्ध हो सकता था.

भारत में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है लाइट हाउस :

लाइट हाउस भारत में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है. इसके तहत आवासीय इकाइयों के निर्माण में नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाना था. अब तक निर्माण की इस तकनीक का इस्तेमाल विदेशों में ही किया जाता है. लाइट हाउस निर्माण में बीम या ढलाई का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. लाइट हाउस के हिस्सों को फैक्ट्री में तैयार किया जाता है. उसके बाद उसे चयनित स्थल पर ले जाकर असेंबल कर आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जाता है.

posted by : sameer oraon

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