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रांची के ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में क्या बोले अभियंता चंद्रदेव सिंह?

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अभियंता चंद्रदेव सिंह ने कहा कि ब्रह्मा मुख से भगवान शिव ज्ञान मुरली सुनाते हैं. वे तीनों लोकों, तीनों कालों, चार युगों और मनुष्य के चौरासी जन्मों का दिव्य मर्म समझाते हैं, जिसे सुनकर हर आत्मा विभोर और वेसुध हो जाती है.

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रांची: जिस मुरली का मनभावन चित्रण मिलता है, जिसने लाखों लोगों को अपना बना लिया, वह मुरली कोई काठ की नहीं थी. वास्तव में तो वह दिव्य गीता ज्ञान की मुरली थी. इस मुरली ने ही श्याम को सुन्दर और मुरलीधर बनाया. ब्रह्मा तन में यह मुरली श्रीकृष्ण भी सुनते हैं और इस दिव्य ज्ञान मुरली से वह सम्पूर्ण बन जाते हैं. जब श्रीकृष्ण सम्पूर्ण रूप में पृथ्वी पर अवतरित हों तो घर-घर में सुख चैन की मुरली बजती है. ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय चौधरी बगान, हरमू रोड में आध्यात्मिक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अभियंता चन्द्रदेव सिंह ने अभिव्यक्त किए.

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श्रेष्ठ संस्कारों के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान में राजयोग का प्रशिक्षण

अभियंता चंद्रदेव सिंह ने कहा कि ब्रह्मा मुख से भगवान शिव ज्ञान मुरली सुनाते हैं. वे तीनों लोकों, तीनों कालों, चार युगों और मनुष्य के चौरासी जन्मों का दिव्य मर्म समझाते हैं, जिसे सुनकर हर आत्मा विभोर और वेसुध हो जाती है. गुप्त देश में गीता ज्ञान सुनने वाले यही गोप और गोपियों हैं, जो भविष्य सतयुग में पवित्र देवी और देव बनते हैं. श्रीकृष्ण माखन अकेले न खाकर सर्व ग्वालों को भी बांटते थे. इसका अभिप्राय है कि ईश्वरीय ज्ञान और गुणों का मक्खन ब्रह्मा द्वारा संसार की कोटि-कोटि आत्माओं को भी खिलाया जा रहा है, जो आत्मा इस ज्ञान का जितना लाभ ले पाती है वह उतना ही सशक्त बन जाती है. जो मक्खन श्रीकृष्ण ने चुराया वह ज्ञान और गुणों का मक्खन सर्व कल्याणकारी है. ऐसा माखन सभी को चुराना चाहिए तथा दूसरों को भी बाँटना चाहिए. इससे बुद्धि पवित्र और सशक्त बनती है. पवित्र बुद्धि से ही प्रशासन में उत्कृष्टता आ सकती है. श्रेष्ठ संस्कारों का निर्माण ब्रह्माकुमारी संस्थान में राजयोग प्रशिक्षण द्वारा किया जा रहा है.

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श्रीकृष्ण का जन्म साधारण मनुष्यों का जन्म नहीं था

केन्द्र संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि श्रीकृष्ण के जन्म को साधारण मनुष्यों की तरह हुआ नहीं माना जाता है. उन्हें जन्म से ही आर्थात किशोर अवस्था से ही दोनों ताजों स्वर्ग मुकुट और दिव्य प्रभा मण्डल से युक्त दिखाया जाता है. ऐसा जन्म ही व्यक्ति के लिए देश के लिए और विश्व के लिए गौरव की बात है. कृष्ण शब्द के दो अर्थ हैं-आकृष्ट करने वाला और आनन्द स्वरूप. आज हम भी अपने आनन्द रूप में स्थित होंगे तब दिव्यता की नई जमीन और नया इंसान बनेगा. नई दुनिया और नया जहान बनेगा उस नये वितान में नये तरीके से श्रीकृष्ण का शुभागमन होगा सुखद आगमन होगा, स्वर्गिक शासन होगा.

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सहज राजयोग का अभ्यास

कार्यक्रम में सहज राजयोग का अभ्यास किया गया. कार्यक्रम में अंत तक हर्ष, उमंग, उत्साह बना रहा. सभी ने अपने जीवन से काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार को निकालने का पुरुषार्थ करने की प्रतिज्ञा की तेरी मीठी मुरली की धुन सुनकर के मन हर्षाए, सोने की दुनिया होगी, देवता होंगे लोग-सुख अपार होंगे खाने को छप्पन भोग’ आदि आदि गीतों पर गोपियों का नृत्य हुआ. सबने परमात्मा की स्मृति में प्रसाद ग्रहण किया और कार्यक्रम का समापन हुआ.

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जन्म से ही महान थे श्रीकृष्ण

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय चौधरी बगान, हरमू रोड में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव समारोह का उद्घाटन करते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला ने कहा था कि श्रीकृष्ण जन्म से ही महान थे. इसलिए अवश्य ही पूर्व जन्म में उन्होंने कोई महान पुरुषार्थ किया होगा. निकट भविष्य में शीघ्र ही भारत में श्रीकृष्ण जन्म लेंगे और भूलोक स्वर्ग बन जायेगा. वह होगी सोने की द्वारिका तथा बैकुण्ठ का क्षीर सागर. उस मन मोहक झांकी को देखने के योग्य बनने के लिए हमें स्वयं के ज्ञान योग के चंदन से तिलक देना चाहिए. श्रीकृष्ण प्रशासनिक क्षमता से सम्पन्न राज्य सत्ता तथा धर्म सत्ता दोंनो के मालिक थे. अभी जरूरत इस बात की है कि हम अपनी इन्द्रियों पर शासन करें। इन्द्रिय जीत बनने से ही हम लोगों के दिलों को जीत उनके दिल पर राज्य कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि अन्तर के नेत्र खोलकर यथार्थ का अनुभव करने की जरूरत है. श्रीकृष्ण केवल तन से ही देवता न थे उनके मन में भी देवत्व था. ऐसी पवित्र आत्मा जिनके स्मरण से ही विकारी भावनाएँ समाप्त हो जाती है, उनपर मिथ्या कंलक लगाना उचित नहीं है. सम्पूर्ण अहिंसक योगेश्वर श्रीकृष्ण की दुनिया में कोई भी कामी क्रोधी अथवा भ्रष्टाचारी व्यक्ति हो ही नहीं सकता. सच्चा गीता ज्ञान सुनकर राजयोग अभ्यास करने वाली आत्माएं ब्रह्मावत्स शीघ्र आने वाले स्वर्गिक स्वराज्य में श्रीकृष्ण के साथ देवी-देवताओं के रूप में प्रत्यक्ष होंगे.

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