27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 03:30 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

My Mati: डायबिटीज-अल्सर समेत आधा दर्जन से अधिक बीमारियों की दवा है करंज

Advertisement

National Ayurveda Day|My Mati|Jharkhand Foundation Day 2022|मधुमेह यानी डायबिटीज, अल्सर, गठिया, वात, कफ, उदर रोग यानी पेट की बीमारियां और आंख की बीमारियों के इलाज में करंज से बनी दवाएं रामबाण का काम करती हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके तेल का प्रयोग किया जाता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

My Mati|Jharkhand Foundation Day 2022|आज राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) है. झारखंड में आयुर्वेदिक वनस्पतियों की भरमार है. आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियां जंगल के आसपास बसे गांवों से इनकी खरीद करती है और ऊंचे दामों पर दवाएं बेचतीं हैं. प्रदेश की वनस्पतियों पर चूंकि कोई प्रामाणिक अध्ययन नहीं हुआ है, इसलिए लोगों को उसके गुणों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. नेशनल आयुर्वेद डे पर हम आपको बता रहे हैं झारखंड में बहुतायत में पाये जाने वाले करंज के पेड़ और उसके आयुर्वेदिक इस्तेमाल के बारे में.

- Advertisement -

तेल, फूल और पत्ती से बनती हैं दवाएं

डायबिटीज, अल्सर समेत आधा दर्जन से अधिक बीमारियों की दवा है करंज. इसका इस्तेमाल दवा बनाने में तो होता ही है, कई उद्योगों में भी इसका इस्तेमाल होता है. करंज के तेल, फूल और पत्ती से कई गंभीर रोगों की दवा बनती है. मधुमेह यानी डायबिटीज, अल्सर, गठिया, वात, कफ, उदर रोग यानी पेट की बीमारियां और आंख की बीमारियों के इलाज में करंज से बनी दवाएं रामबाण का काम करती हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके तेल का प्रयोग किया जाता है.

Also Read: वन उत्पाद से कैसे बढ़े कमाई, रांची में 12 राज्यों के 15 IFS ऑफिसर को ट्रेनिंग दे रहा वन उत्पादकता संस्थान
करंज के अलग-अलग हिस्से का होता है अलग-अलग इस्तेमाल

वन उत्पादकता संस्थान रांची के बीडी पंडित के मुताबिक, झारखंड में बड़े पैमाने पर करंज के पेड़ पाये जाते हैं. पेड़ के अलग-अलग हिस्से का अलग-अलग उपयोग होता है. इसलिए प्रदेश के किसान इससे मोटी कमाई कर सकते हैं. इसकी पतली टहनी दातुन करने के काम आता है. करंज के तेल का इस्तेमाल दीपावली में दीये जलाने में होता है. इसके तेल का इस्तेमाल कई प्रकार के चर्म रोग के उपचार में भी होता है. ग्रामीण इलाकों में लोग इस तेल का ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं.

करंज से बनता है बायो-डीजल

इतना ही नहीं, इसके और भी कई गुण हैं. यह बायो-डीजल बनाने में काम आता है. इससे निकलने वाले तेल का उपयोग चमड़ा उद्योग, साबुन उद्योग, फिनाइल बनाने के उद्योग में भी होता है. ग्रीस व अन्य तेलों के साथ करंज का तेल मिलाकर पॉलिस बनाया जाता है. इसकी खल्ली का इस्तेमाल किसान खेतों की उपज बढ़ाने के लिए करते हैं. करंज का तेल खेतों में कीटनाशक का भी काम करता है.

Also Read: झारखंड में किसानों को 3,000 में मिल रहा 2.5 लाख रुपये का वर्मी कंपोस्ट पिट, IFP के वैज्ञानिकों का कमाल
बड़े काम की चीज है करंज की लकड़ी

इसकी लकड़ी भी बड़े काम की चीज है. इससे कृषि के औजार बनाये जाते हैं. मकान बनाने में इसकी लकड़ी का उपयोग होता है. साथ ही ईंधन के रूप में इसका उपयोग होता है. करंज देश के अधिकांश भागों में पाया जाता है. फेबेसी कुल का यह एक सदाबहार वृक्ष है. ऐसे क्षेत्रों में पाया जाता है, जहां साल में 500-2500 मिलीमीटर वर्षा होती है. न्यूनतम तापमान 0 डिग्री सेंटीग्रेड से 16 डिग्री सेंटीग्रेड और अधिकतम तापमान 27 डिग्री से 50 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होनी चाहिए.

भारत में 200 मीट्रिक टन करंज के तेल का होता है उत्पादन

माना जाता है कि करंज का उत्पत्ति स्थल भारत ही है. इस छायादार वृक्ष की छांव में घास की अच्छी-खासी वृद्धि होती है. इसलिए इसे चारागाह तैयार करने के लिए उपयुक्त माना जाता है. भारत में सालाना 200 मीट्रिक टन करंज के तेल का उत्पादन होता है. बायो-डीजल का बेहतरीन स्रोत है, जो झारखंड के सभी क्षेत्रों में पाया जाता है. इसके गुणों को देखते हुए हाल के वर्षों में सड़कों और राजमार्गों के किनारे बड़े पैमाने पर करंज के पौधे लगाये गये हैं.

Also Read: वन विभाग के अधिकारी रांची में ले रहे इंटरनेट GIS और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें