26.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 07:08 pm
26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड: बीएयू में बोलीं जेपीएससी अध्यक्ष डॉ मेरी नीलिमा केरकेट्टा, किसानों में जागरूकता है वक्त की मांग

Advertisement

पीपीवी एंड एफआरए अध्यक्ष एवं आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने किसानों, कृषि विशेषज्ञों एवं पौधा प्रजनकों को बौद्धिक संपदा के संसाधनों का विशेष देखभाल, स्वामित्व एवं संरक्षण पर ध्यान दिये जाने पर जोर दिया.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची: भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन संचालित पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवी एंड एफआरए), नई दिल्ली तथा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), रांची के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को एकदिवसीय जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि जेपीएससी अध्यक्ष डॉ मेरी नीलिमा केरकेट्टा ने कहा कि बदलते कृषि परिवेश एवं कृषि व्यवसायीकरण को देखते हुए किसानों, कृषि विशेषज्ञों एवं पौधा प्रजनकों को बौद्धिक संपदा के आधार के प्रति विशेष जागरूक रहने की जरूरत है. भारत सरकार के पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 के अधीन किसानों, शोधकर्त्ताओं एवं पौधा प्रजनकों को काफी अधिकार मिले हुए हैं. किसान पीढ़ियों से कृषि पर आश्रित हैं. वह खेती कर फसल पैदा करते हैं. अपनी पारंपरिक फसल किस्मों के बीज का उपयोग, उन्हें संरक्षित और उनकी रक्षा करते हैं. इनमें बहुत सारे अच्छे गुण मौजूद होते हैं.

जेपीएससी अध्यक्ष ने पुस्तिका का किया विमोचन

जेपीएससी अध्यक्ष डॉ मेरी नीलिमा केरकेट्टा ने कहा कि पीपीवी एंड एफआर अधिनियम इन परंपरागत किस्मों का पेटेंट, पंजीयन कराने और इसे आगे बढ़ाकर लाभ हासिल करने का अवसर देता है. मौके पर अतिथियों में बीएयू द्वारा प्रकाशित पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण विषयक पुस्तिका का विमोचन किया.

Also Read: सुभाष मुंडा के परिजनों से मिले मंत्री मिथिलेश ठाकुर, बोले-परिजनों को मिलेगा न्याय,सीएम से जल्द कराएंगे मुलाकात

विकसित किस्मों का प्राधिकरण में पंजीयन कराना जरूरी

अध्यक्षीय संबोधन में पीपीवी एंड एफआरए अध्यक्ष एवं आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने किसानों, कृषि विशेषज्ञों एवं पौधा प्रजनकों को बौद्धिक संपदा के संसाधनों का विशेष देखभाल, स्वामित्व एवं संरक्षण पर ध्यान दिये जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विश्व व्यवसायीकरण कि दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में कृषकों के परंपरागत किस्मों एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किस्मों का प्राधिकरण में पंजीयन कराना जरूरी है.

Also Read: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, स्पीकर व मंत्रियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोपी यूट्यूबर अरेस्ट

कृषि विज्ञान केन्द्रों की है बड़ी भूमिका

डॉ महापात्रा ने प्रदेश के शोध संस्थानों में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किस्मों के पंजीयन की आवश्यकता जताई. उन्होंने कृषि छात्रों को पीपीवी एंड एफआरए विषय पर जागरूक करने और विशेष शिक्षा पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि झारखंड में इस अभियान को आगे बढ़ाने में कृषि विज्ञान केन्द्रों की बड़ी भूमिका होगी. किसानों की बौद्धिक संपदा को चिन्हित, किसानों को जागरूक और कृषकों के अधिकार के लिए विशेष प्रयास किये जाने होंगे.

Also Read: Explainer: झारखंड की 30 हजार से अधिक महिलाओं की कैसे बदल गयी जिंदगी? अब नहीं बेचतीं हड़िया-शराब

आज की अहम जरूरत है जागरूकता

विशिष्ट अतिथि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ डीके सक्सेना ने कहा कि किसानों को बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है. प्रदेश के बहुतायत किसान छोटे एवं मझौले जोतदार हैं. देश का बीज उद्योग बाजार करीब 30 हजार करोड़ का है. ऐसे में परंपरागत बौद्धिक संपदा पर कृषक अधिकार के प्रति सक्रिय अभियान एवं जागरूकता आज की एक अहम जरूरत है.

Also Read: झारखंड: गरीबी को मात देकर कैसे लखपति किसान बन गयीं नारो देवी? ड्राइवर पति के साथ जी रहीं खुशहाल जिंदगी

अभियान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता

स्वागत में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि झारखंड राज्य में भी इस अभियान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि स्थानीय किसान बौद्धिक संपदा के अधिकार से वंचित नहीं हों. उन्होंने कहा कि सीमित मानव बल के बावजूद बीज उत्पादन में बीएयू के आतंरिक स्रोत में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बीएयू द्वारा हाल में विकसित दर्जनों उन्नत किस्मों का पंजीयन आवेदन 10 दिनों के भीतर प्राधिकरण को भेजने का निर्देश दिया. संचालन हरियाली रेडियो की समन्यवयक शशि सिंह तथा धन्यवाद निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ एस कर्माकार ने किया.

यूके दुबे ने दी विस्तृत जानकारी

तकनीकी सत्र में पीपीवी एंड एफआरए के अधिकारी यूके दुबे ने पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम, 2001 एवं पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के बारे में विस्तृत से प्रकाश डाला. इस दौरान किसानों, वैज्ञानिकों एवं पौधा प्रजनकों ने चर्चा में भाग लिया. अध्यक्षता पीपीवी एंड एफआरए अध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन महापात्रा तथा सह अध्यक्षता कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने की. सत्र के संयोजक डॉ विशाल नाथ पांडे, डॉ एस कर्माकार, डॉ सुजय रक्षित एवं प्रधान डॉ एके सिंह रहे.

ये थे मौजूद

मौके पर डॉ अभिजित कार, डॉ एमपी मंडल, डॉ एसबी चौधरी, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ पीके सिंह, डॉ डीके शाही, डॉ एमके गुप्ता के अलावा बीएयू के वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रधान/प्रभारी, सभी जिलों के किसान ऐएं छात्र-छात्राएं भी मौजूद थे.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें