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Padma Shri 2023: झारखंड के डॉ जानुम सिंह सोय को पद्मश्री, 4 दशक से जुटे हैं ‘हो’ भाषा के संरक्षण-संवर्धन में

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Padma Shri Award 2023|गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ. इसके तहत हो भाषा के संरक्षण और संवर्धन में जुटे झारखंड के डॉ जानुम सिंह सोय को पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया है. प्रो सोय पिछले चार दशक से इस भाषा के संरक्षण और उसके प्रचार-प्रसार में जुटे हैं.

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Padma Shri Award 2023| गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान बुधवार की शाम को हुआ. झारखंड के हो भाषा के जानकार प्रो जानुम सिंह सोय को पद्मश्री (Padma Shri Award to Janum Singh Soy) के लिए चयन किया गया. डॉ सोय पिछले चार दशक से हो भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. उन्होंने हो जनजाति की संस्कृति और जीवनशैली पर छह पुस्तकें लिख चुके हैं. डॉ सोय के पद्मश्री अवार्ड की घोषणा पर केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बधाई दी.

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कोल्हान यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड हैं डॉ सोय

कोल्हान यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड डॉ सोय हो भाषा को पीजी के औपचारिक पाठ्यक्रम में शामिल करने में लगे रहे. आठ अगस्त, 1950 को जन्मे प्रो सोय हो भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. 72 वर्षीय डॉ सोय की पुस्तकों में आधुनिक हो शिष्ट काव्य समेत छह पुस्तकें हैं.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दी बधाई

डॉ जानुम सिंह सोय के पद्मश्री अवार्ड के लिए चयनित होने पर केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बधाई दी. ट्विटर कर उन्होंने कहा कि पिछले चार दशक से हो भाषा के संवर्धन और उसके उत्थान में डॉ सोय ने उल्लेखनीय योगदान दिया है. उन्होंने छह पुस्तकें लिखी हैं.

आगे भी चलता रहेगा उनका सफर : डॉ सोय

प्रभात खबर से बात करते हुए डॉ सोय ने कहा कि उनका सफर निरंतर चलता रहेगा. कहा कि इस तरह से सम्मान मिलने से साहित्य जगत से जुड़े लोगों को काफी बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा के विकास को लेकर किया जा रहा कार्य आगे भी जारी रहेगा. उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में युवाओं को भी जुड़ने की अपील की. साथ ही कहा कि साहित्य क्षेत्र में लगातार कार्य किये जाने से उसका सुखद परिणाम भी देखने को मिलेगा.

हो लोकगीत का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन रहा शोध विषय

डॉ सोय ने कहा कि हो भाषा के विकास को लेकर शुरू से ही प्रयासरत रहा. रिसर्च पेपर भी ‘हो लोकगीत का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन’ पर फोकस रहा. घाटशिला कॉलेज के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे डॉ सोय वर्ष 2012 में कोल्हान यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड हुए.

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