21.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 01:23 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड : मां की मौत, पिता की बीमारी ने रिक्शा चलाने को किया विवश, फिर भी पढ़ाई का नहीं छोड़ा साथ और बने शिक्षक

Advertisement

रामजतन राम का घर लोहरदगा के चंदकोपा में है. पिता स्व तीजन राम रिक्शा चलाकर हमारी परवरिश कर रहे थे. 11 साल का था, तभी मां चल बसी. पिताजी ने कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची, पूजा सिंह :

- Advertisement -

11 साल की उम्र में सिर से मां का साया उठ गया. पिता ने बीमारी के कारण बिस्तर पकड़ लिया. आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए पिता की जगह खुद लोहरदगा की गलियों में रिक्शा चला कर परिवार का भरण-पोषण किया. इतना सब कुछ होने के बाद भी पढ़ाई का दामन नहीं छोड़ा. रोजाना 10 किमी पैदल चल कर पढ़ने के लिए कॉलेज जाते थे. कहानी है लोहरदगा के रामजतन राम की, जो आज चंदवा के हरके स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय गढ़कसमार में शिक्षक के रूप में शिक्षा की लौ जगा रहे हैं.

बकौल रामजतन राम :

घर लोहरदगा के चंदकोपा में है. पिता स्व तीजन राम रिक्शा चलाकर हमारी परवरिश कर रहे थे. 11 साल का था, तभी मां चल बसी. पिताजी ने कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दी. लेकिन, 1988 में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. वह बिस्तर पर रहने लगे. पिता की सेवा और घर का खर्च चलाने के लिए 14 साल की उम्र में ही मैंने रिक्शा चलाना शुरू कर दिया. स्कूल कभी-कभी ही जाता था.

दिनभर में 18-20 रुपये ही कमा पाता था. जैसे-तैसे मैट्रिक की परीक्षा पास की. बीएस कॉलेज में दाखिला लिया. सुबह 7:00 बजे से दिन के 11:00 बजे तक रिक्शा चलाता. इसके बाद दिन के 11:45 से दोपहर 2:00 बजे तक कॉलेज में पढ़ाई करता था. कॉलेज से निकल कर फिर रिक्शा लेकर कमाने निकल जाता. कॉलेज मेरे घर से करीब 10 किमी दूर था. अक्सर यह दूरी पैदल ही तय करता था. इंटर के बाद आर्थिक कारणों से बीए की पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

डेढ़ महीने उबली सब्जी खायी :

रामजतन कहते हैं : साल 1992 में शादी हुई. किसी तरह रिक्शा चलाकर परिवार की जरूरतें पूरी करता था. रोजाना 40-50 किमी रिक्शा चलाकर घर चलाना काफी मुश्किल था. एक समय ऐसा भी आया जब मेरा पूरा परिवार एक वक्त का खाना खाकर गुजारा करता था. कई बार तो बिना खाये ही सो जाते.

आज भी वो दिन याद है जब टोटी (एक प्रकार की सब्जी) को नमक पानी में उबालकर डेढ़ महीने तक सबने खाया. बच्चे कहते थे पापा चावल-रोटी क्यों नहीं लाते? लेकिन मेरे पास पैसे नहीं होते थे. रिक्शा से खर्च पूरा नहीं होने पर घर के बगल में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया. छोटे-छोटे बच्चों को खोज कर ट्यूशन देता था, जिससे 500 रुपये महीने में मिल जाते थे.

1996 में बीपीएससी के लिए भरा आवेदन :

साल 1996 में गांव में सबने कहा कि बीपीएससी के आवेदन क्यों नहीं भरते? बिहार सरकार का है, सेकेंड डिविजन वाले भी भर सकते हैं. मैंने आवेदन भर दिया. वर्ष 1999 में परीक्षा हुई और एक अगस्त 2000 को ज्वाइन किये. परीक्षा में सफल होने की जानकारी दूसरे लोगों से मिली, क्योंकि मेरे गांव में तब अखबार नहीं आता था. पिताजी ने जब मेरी नौकरी के बारे में जाना, तो गले से लगा कर रोने लगे.

विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए डिप्रेशन में चला गया था. योग और प्राणायाम से खुद को ठीक किया. काफी संघर्ष के बाद इस मुकाम तक पहुंचा हूं. मेरा मानना है कि जीवन के संघर्षों से हार मानना, जीवन से हारने जैसा है. इसलिए संघर्ष करते रहो, सफलता जरूर मिलेगी.

रामजतन राम

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें