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झारखंड में 2.79 करोड़ की फर्जी छात्रवृति बांटी, एक ही आधार नंबर से कई लाभार्थियों को हुआ भुगतान

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वर्ष 2017-20 की अवधि तक उक्त तीनों जिलों में एक ही आधार संख्या का उपयोग कर दो अलग-अलग लाभार्थियों के बीच 28.07 लाख रुपये की छात्रवृति दी गयी.

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विवेक चंद्र, रांची:

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ई-कल्याण पोर्टल के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रदान की जा रही छात्रवृत्ति में अनियमितता पकड़ी गयी है. सीएजी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि रांची, पलामू और चतरा में छात्रवृति के 2,126 मामलों में ई-कल्याण डेटाबेस के अनुसार, आवेदक का नाम व बैंक खाता, लाभार्थी व उसके बैंक खाते से मेल नहीं खाता है. रिपोर्ट में फर्जी लाभार्थियों को 2.79 करोड़ रुपये का गलत भुगतान प्रमाणित किया गया है. कुल 188 मामलों में एक ही आधार संख्या का उपयोग कर कई लाभार्थियों के बीच राशि का वितरण किया गया है.

वर्ष 2017-20 की अवधि तक उक्त तीनों जिलों में एक ही आधार संख्या का उपयोग कर दो अलग-अलग लाभार्थियों के बीच 28.07 लाख रुपये की छात्रवृति दी गयी. वर्ष 2017-21 तक की अवधि के लिए ई-कल्याण डेटाबेस के विश्लेषण से पता चला कि पिछड़ा वर्ग समुदाय के अपात्र लाभार्थियों को छात्रवृति का भुगतान किया गया है. निर्धारित सीमा एक लाख से अधिक वार्षिक पारिवारिक आय से अधिक पारिवारिक आय अर्जित करनेवाले लाभार्थियों को भी छात्रवृति प्रदान की गयी है. वर्ष 2018-19 के दौरान तय सीमा से अधिक पारिवारिक आय होने के बावजूद पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को 36.33 लाख रुपये की छात्रवृति दी गयी. इसके अलावा निर्धारित प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने और फेल होनेवाले विद्यार्थियों को भी एक ही कक्षा के लिए दो लगातार वर्षों तक अनियमित रूप से छात्रवृति का भुगतान किया गया है.

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अयोग्य आवेदनों को स्वीकृत करने से रोकने की प्रणाली ही नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-कल्याण एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में छात्रवृत्ति नियमों को ठीक से से मैप नहीं करने की वजह से अयोग्य आवेदनों को स्वीकृत करने से रोकने की प्रणाली नहीं तैयार की जा सकी है. त्रुटि की वजह से उम्मीदवारों की पात्रता मानदंड का ठीक से सत्यापन नहीं किया जा सका. सॉफ्टवेयर का आरएएसएफ मॉड्यूल काम नहीं कर रहा था. यूआइडीएआइ झारखंड डेटाबेस से छात्रों की विवरणी मान्य नहीं की गयी थी.

आवेदकों के बैंक खातों को भी उनकी आधार संख्या से नहीं जोड़ा गया था. डीबीटी योजना के तहत लाभार्थियों के वित्तीय पते की विशिष्टता तक सुनिश्चित नहीं की जा सकी थी. शिक्षण संस्थाओं को ई-कल्याण पोर्टल के उपयोग से पहले प्रशिक्षण या दिशा-निर्देश नहीं देने की वजह से कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और विभिन्न अनियमितताएं हुईं.

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