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झारखंड अनाज वितरण योजना में भारी गड़बड़ी, आदिम जनजाति को मिलने वाले लाभ को डकार गये दूसरे लोग

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झारखंड में आदिम जनजाति परिवारों की संख्या 74 हजार 570 है. इधर गड़बड़ी की जांच के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से डीजीपी व गृह सचिव से पत्राचार किया गया.

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झारखंड में अनाज वितरण योजना में भारी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. राज्य के आदिम जनजाति परिवारों को मिलनेवाले मुफ्त अनाज में ही फर्जीवाड़ा किया गया है. आहार पोर्टल से मिले आंकड़े के अनुसार, पूर्वी सिंहभूम जिला में 1199, गिरिडीह जिला में 2577, गुमला जिला में 1938, हजारीबाग जिला में 1014 और लोहरदगा जिला में 1045 लोगों ने फर्जी दस्तावेज से आदिम जनजाति की योजना का लाभ लिया है.

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पांच जिलों में 7773 मामले फर्जी पाये गये हैं. विशिष्ट जनजाति खाद्य सुरक्षा योजना के तहत आदिम जनजाति परिवार को उनके निवास स्थान तक जाकर 35 किलो चावल मुफ्त पहुंचाया जाता है. राज्य में आदिम जनजाति परिवारों की संख्या 74 हजार 570 है. इधर गड़बड़ी की जांच के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से डीजीपी व गृह सचिव से पत्राचार किया गया.

इसके बाद गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर साइबर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. डीजीपी को लिखे पत्र में विभाग द्वारा बताया गया था कि राज्य में अक्तूबर 2015 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू है. दो श्रेणियों के लाभुक एएवाइ और पीएचएच को अनुदानित दर पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है.

पहली प्राथमिकता आदिम जनजाति :

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना अधिनियम 2013 के वैसे लाभुक जो अनुदानित दर पर खाद्यान्न लेने के लिए पात्रता रखते हैं. वैसे लोगों को अनुदानित दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए जनवरी 2021 से झारखंड खाद्यान्न योजना लागू है. इसमें प्रावधान है कि जैसे- जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत रिक्तियां होगी.

वैसे- वैसे झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा योजना से लाभुक ऑनलाइन स्थानांतरित होंगे. इसके लिए मानक भी निर्धारित है. सबसे पहला मानक पीवीजीटी वर्ग है. अर्थात उपलब्ध रिक्तियों में से सबसे पहले पीवीटीजी वर्ग को ही शिफ्ट किया जायेगा. लाभुकों के उनकी जाति का वेरिफिेकेशन एवं सुधार करने के लिए सभी जिला आपूर्ति पदाधिकारी को लॉगइन आइडी में सुविधा प्रदान की गयी है.

गड़बड़ी के बाद एनआइसी और जिला के अधिकारी एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

राज्य में गड़बड़ी की बात सामने आने पर डीसी और जिला आपूर्ति पदाधिकारी से विभाग को स्पष्टीकरण प्राप्त हुआ था. जिससे विभाग को जानकारी मिली कि डीएसओ लॉगइन का दुरूपयोग कर रात्रि आठ बजे के बाद जाति बदला गया है. इसके साथ ही एक ही दिन में अत्यधिक संख्या में जाति बदले और कार्ड तैयार किया गया है. जब मामले में एनआइसी से स्पष्टीकरण पूछा गया.

तब उनके द्वारा बताया गया कि लॉगइन के आइडी, पासवर्ड और ओटीपी आवश्यक है. सॉफ्टवेयर के द्वारा सिर्फ उपयोगकर्ता को लॉगइन आइडी पता चलता है. जिसे डिकोड भी नहीं किया जा सकता है. कोई भी व्यक्ति सिस्टम का गलत उपयोग नहीं कर सकता है. इसलिए मामले में स्वतंत्र रूप से जांच की आवश्यकता है. इस तरह से स्पष्टीकरण के बाद विभाग के अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जिला के द्वारा एनआइसी और एनआइसी के द्वारा एक दूसरे पर गड़बड़ी को लेकर दोष लगा रहे हैं. इसलिए मामले की गहराई से जांच की आवश्यकता है.

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