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पीड़ित महिलाओं-युवतियों को न्याय दिलाने में झारखंड पुलिस फेल, बलात्कार और पोक्सो एक्ट के कई आरोपी बरी

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बलात्कार और पोक्सो एक्ट से जुड़े केस में भी बड़ी संख्या में आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी हो गये. इस बात से स्पष्ट है कि केस के अनुसंधान के बाद आरोपी के खिलाफ ठोस साक्ष्य न्यायालय में पुलिस द्वारा प्रस्तुत नहीं किये गया

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार को पुलिस अधिकारियों के साथ विभिन्न जिलों की आपराधिक घटनाओं सहित अन्य मुद्दों की समीक्षा करेंगे. इसमें प्रमुख मुद्दा महिला और युवतियों से जुड़े आपराधिक मामले भी हैं. इनके खिलाफ जो आपराधिक घटनाएं होती है. उसमें पुलिस केस दर्ज कर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई तो करती है. लेकिन आरोपियों को सजा दिलाने में न्यायालय में विफल हो रही है.

बलात्कार और पोक्सो एक्ट से जुड़े केस में भी बड़ी संख्या में आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी हो गये. इस बात से स्पष्ट है कि केस के अनुसंधान के बाद आरोपी के खिलाफ ठोस साक्ष्य न्यायालय में पुलिस द्वारा प्रस्तुत नहीं किये गये. बड़ी संख्या में आरोपियों के इतने गंभीर मामलों में रिहा होने से यह भी स्पष्ट है कि पुलिस के अनुसंधान का स्तर मानक के अनुसार नहीं है. गंभीर अपराध के मामलों में समझौता या गवाह के होस्टाइल हो जाने की वजह से भी कई केस ट्रायल के दौरान फेल हो गये.

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पुलिस द्वारा रेप, पोक्सो एक्ट, दहेज अधिनियम, महिला अत्याचार और छेड़खानी से जुड़े विभिन्न मामलों में दर्ज 2366 केस वर्ष 2022 में ट्रायल के दौरान फेल हो गये थे. इस कारण केस से जुड़े कुल 3662 आरोपी बरी हो गये, जबकि उक्त आपराधिक घटनाओं से जुड़े सिर्फ 529 केस में आरोपियों को सजा हुई.

दहेज के लिए महिलाओं की हत्या के मामले में सजा का प्रतिशत 33.33 रहा. बलात्कार के केस में सजा का प्रतिशत 23.67 रहा. पोक्सो एक्ट केस में सजा की दर सिर्फ 24.48 प्रतिशत रही. जबकि दहेज अधिनियम में सजा का प्रतिशत 6.35 ही रहा. महिला अत्याचार में 9.3 प्रतिशत और छेड़खानी के केस में 12.93 प्रतिशत मामलों में ही पुलिस अपराधियों को सजा दिला पायी.

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