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झारखंड में मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से सरकार की ये योजनाएं प्रभावित, नहीं हो रहा समस्याओं का समाधान

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जॉन पीटर बागे ने कहा कि अभी सांकेतिक हड़ताल पर कर्मी हैं. 22 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सारे कर्मी चले जायेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार हड़ताल को कमजोर करने का प्रयास कर रही है

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रांची : झारखंड के मनरेगाकर्मी गुरुवार से सांकेतिक हड़ताल पर चले गये हैं. मनरेगा की योजनाओं में काम करने वाले प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक काम छोड़ कर अपने-अपने जिले में धरना पर बैठ गये हैं. ऐसे में गुरुवार को भी मनरेगा के कार्यों में बहुत ही कम कर्मी पहुंचे. मनरेगा कर्मियों के हड़ताल में जाने से सरकार की कई योजनाएं प्रभावित होंगी. बता दें कि झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ ने वादा निभाओ-स्थायी करो अभियान के तहत आंदोलन की शुरुआत की है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे के नेतृत्व में रांची में भी सारे कर्मी आंदोलन पर रहे.

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जॉन पीटर बागे बोले- सरकार हड़ताल को कमजोर करने की कर रही कोशिश

जॉन पीटर बागे ने कहा कि अभी सांकेतिक हड़ताल पर कर्मी हैं. 22 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सारे कर्मी चले जायेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार हड़ताल को कमजोर करने का प्रयास कर रही है. ऐसे में अधिकारियों के माध्यम से मनरेगा कर्मियों को बरगलाने, धमकाने और सामग्री मद में राशि देकर संघ को तोड़ने का प्रयास कर रही हैं. पर सारे कर्मी हड़ताल पर रहेंगे. सरकार 17 वर्षों से मनरेगा कर्मियों को ठगने का काम कर रही है.

हड़ताल से प्रभावित होंगी कई योजनाएं

हड़ताल के कारण बिरसा हरित ग्राम योजना, अबुआ आवास योजना, कूप योजना, वीर पोटो हो खेल मैदान योजना समेत कई योजानएं प्रभावित हो होगी. गुरुवार को भी कई जिलों में डिमांड शून्य रही. अभी कहीं भी पौधारोपण नहीं हुआ है. ऐसे में पौधारोपण पर सीधा असर पड़ेगा. वहीं कुओं को फाइनल करने का काम हो रहा था, वह भी प्रभावित होगा. अबुआ आवास योजना में मनरेगा मजदूरों से काम कराया जाता है. कर्मियों की हड़ताल से यह काम भी नहीं हो पायेगा.

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22 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल :

22 जुलाई से सभी मनरेगा कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे. सभी ने बीते महीने में मुख्यमंत्री आवास, झामुमो केंद्रीय कार्यालय और जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था. पर सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया. मनरेगा कर्मियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान संविदा संवाद कार्यक्रम में हेमंत सोरेन ने मनरेगा कर्मियों की सेवा स्थायी करने का वादा खुले मंच से किया था, लेकिन पांच साल बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है.

क्या है मांग :

बताया गया कि संघ की प्रमुख मांग सेवा स्थायी करने की है. इसके अलावे मनरेगा कर्मियों को मिलने वाले मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि करने सहित अन्य मांग शामिल है. जो कर्मी हड़ताल पर गये हैं उनमें रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता व बीपीओ शामिल हैं.

मनरेगा कर्मियों के हड़ताल से कार्यालय में समस्याओं का समाधान नहीं

मनरेगा कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से मजदूरों का डिमांड नहीं लगा, उनकी मजदूरी भुगतान प्रभावित हुआ, मापी पुस्तिका का संधारण नहीं किया गया, योजना की जांच नहीं की गयी और कार्यालयों में मनरेगा कर्मी के नहीं पहुंचने से आम लोगों की रोजाना की समस्या का भी समाधान नहीं हुआ.

क्या कहते हैं मंत्री डॉ इरफान अंसारी

ग्रामीण विकास मंत्री इरफान अंसारी का इस संबंध में कहना है कि झारखंड में मनरेगा में संविदा पर कार्यरत कर्मियों की मांगों को लेकर झारखंड सरकार काफी गंभीर है. विगत दिनों मनरेगा कर्मियों ने रांची में मुलाकात की थी. सभी दिन रात मेहनत करते हैं यह मैं बखूबी जानता हूं. मैं भी मनरेगा मजदूर परिवार से जुड़ा हुआ हूं. उनका दुख दर्द समझ रहा हूं. उक्त बातें ग्रामीण विकास मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने गुरुवार को नारायणपुर में प्रेस वार्ता में कही. मंत्री ने कहा कि मनरेगा कर्मी मेरे मंत्रालय के अधीन जरूर आते हैं, लेकिन निर्णय सरकार को लेना पड़ता है.

मुख्यमंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी लेनी पड़ती है. हमारे मुख्यमंत्री भी इस विषय को लेकर काफी गंभीर है. आने वाले सत्र में इस विषय पर जरूर ठोस निर्णय लिया जायेगा. मनरेगा में कार्यरत अपने भाइयों को कहना चाहूंगा कि मुझे मंत्रालय मिले महज कुछ दिन हुए हैं. थोड़ा समय दीजिए जरूर आपके हित में ठोस निर्णय लूंगा. ग्रामीण विकास से 500 युवक-युवतियों को रोजगार दिया जायेगा, जिनमें जामताड़ा जिला से 100 लोगों को लिया जायेगा. भर्ती प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू हो जायेगी.

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