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कोडरमा संसदीय क्षेत्र से अन्नपूर्णा देवी की स्थिति मजबूत, इंडिया में कांग्रेस-झामुमो संग वाम का कोण

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कोडरमा 2009 में भी बाबूलाल के साथ ही चला और अपनी ही पार्टी झाविमो से वह तीसरी बार सांसद बने. इधर अन्नपूर्णा देवी की भाजपा में धमाकेदार इंट्री रही और वह केंद्रीय कैबिनेट तक पहुंचीं.

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आनंद मोहन, रांची :

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कोडरमा संसदीय क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ है. 24 वर्ष पहले यानी 1989 में ही भाजपा ने यहां अपनी जमीन तैयार कर ली थी. स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा के सहारे कोडरमा में भाजपा ने जो चुनावी फसल बोये, उसे पार्टी आज भी काट रही है. स्व वर्मा ने इस सीट से 1977 में जनता पार्टी से जीत का जो अभियान शुरू किया, वह भाजपा में आने के बाद भी जारी रहा. स्व वर्मा पांच बार लगातार कोडरमा के सांसद रहे. कोडरमा में राजनीति का पहिया भी खूब घूमा. राजद से चार बार काेडरमा से विधायक बन कर राजनीति में मजबूत दखल बनानेवाली अन्नपूर्णा देवी वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल हो गयीं. भाजपा ने उन्हें कोडरमा लोकसभा से टिकट भी दिया और साढ़े चार लाख वोटों के अंतर से भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष व तत्कालीन झाविमो उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी को शिकस्त दी. मजेदार बात है कि भाजपा अध्यक्ष श्री मरांडी खुद कोडरमा से तीन बार सांसद रहे. श्री मरांडी 2004 में भाजपा की टिकट से चुनाव जीते, तो 2006 में निर्दलीय चुनाव जीत कर इस सीट पर अपनी धाक दिखायी.

कोडरमा 2009 में भी बाबूलाल के साथ ही चला और अपनी ही पार्टी झाविमो से वह तीसरी बार सांसद बने. इधर अन्नपूर्णा देवी की भाजपा में धमाकेदार इंट्री रही और वह केंद्रीय कैबिनेट तक पहुंचीं. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अन्नपूर्णा देवी पर भरोसा जताया. भाजपा को पिछड़ा वर्ग से मजबूत महिला चेहरा मिला. कोडरमा संसदीय सीट में भाजपा की राजनीति अन्नपूर्णा देवी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. भाजपा में अन्नपूर्णा का खूंटा मजबूत है. फिलहाल दल के अंदर चुनौती नहीं दिखती. भाजपा में कोई दावेदार राजनीति के समीकरण के हिसाब से इनके सामने नहीं टिकता है. 2014 में कोडरमा से सांसद रहे भाजपा नेता रवींद्र कुमार राय अब कोई फैक्टर नहीं हैं. आनेवाले लोकसभा चुनाव में वर्तमान राजनीतिक हालात में भाजपा की तस्वीर साफ दिख रही है. वहीं इंडिया गठबंधन में अभी टिकट का शो बाकी है. गठबंधन के दलों में झकझूमर होना तय है. पिछले चुनाव में यह सीट कांग्रेस के कोटे में थी.

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कांग्रेस ने यह सीट झाविमो को दिया था. इस बार राजनीति ने करवट ली है. अब बाबूलाल भाजपा में हैं, तो झामुमो यह सीट कांग्रेस से लेकर अपने पाले में करने की कोशिश करेगा. झामुमो ने अपनी गोटी भी चली है. भाजपा के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा झामुमो में शामिल हुए हैं. कोडरमा की राजनीति को देखने-समझनेवालों की मानें, तो झामुमो श्री वर्मा पर दावं लगा सकता है. वहीं कांग्रेस में कोई बड़ा चेहरा कोडरमा में नहीं दिख रहा है. कांग्रेस के अंदरखाने चर्चा जरूर है कि गोड्डा से सांसद रहे फुरकान अंसारी जातीय समीकरण का हवाला देकर कोडरमा का रुख करना चाहते हैं. इधर कोडरमा संसदीय सीट से इंडिया गठबंधन में वामदल भी अपना रास्ता तलाश रहा है. इस सीट पर माले का अपना वोट बैंक है. माले के उम्मीदवार राजकुमार यादव ने पिछले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया था. वामदल ने इंडिया गठबंधन में अपने इरादे भी बताये हैं. कुल मिला कर इंडिया गठबंधन में सबकी अपनी-अपनी दावेदारी है. चुनाव से पहले कई रंग देखने को मिलेंगे.

कोडरमा संसदीय क्षेत्र

पिछले लोकसभा चुनाव में साढ़े चार लाख वोटों के अंतर से जीती थीं अन्नपूर्णा देवी

स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा के सहारे कोडरमा में भाजपा ने जो चुनावी फसल बोये, उसे आज भी काट रही

राजद से चार बार विधायक बनीं अन्नपूर्णा वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल हो गयीं

भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी खुद कोडरमा से तीन बार सांसद रहे

तीन जिलों में है संसदीय सीट, छह विधानसभा सीट में से तीन भाजपा के पास

कोडरमा लोकसभा सीट तीन जिलों में बंटा है. इसमें छह विधानभा क्षेत्र पड़ते हैं. कोडरमा विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. वहीं गिरिडीह जिला में पड़नेवाले धनवार सीट से खुद बाबूलाल मरांडी, बगोदर से माले विधायक विनोद सिंह, जमुआ से भाजपा के केदार हाजरा और गांडेय से कांग्रेस के डॉ सरफराज अहमद विधायक हैं. हजारीबाग जिला के बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय अमित यादव विधायक बने. हालांकि अमित यादव फिलहाल भाजपा के साथ हो गये हैं. इन छह में से तीन पर भाजपा है, वहीं निर्दलीय भी उसके साथ हैं. इंडिया गठबंधन के पास महज दो सीट है. विधानसभा की नजर से इस सीट को देखें, तो भाजपा ही भारी दिखती है.

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