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Jharkhand News: खतरे में हैं रांची के 16 लाख लोगों की प्यास बुझाने वाले डैम, नहीं सुधरे हालात तो भुगतनी पड़ेगी सजा

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Jharkhand News: राजधानी की लाइफ लाइन रुक्का डैम (गेतलसूद डैम) का कैचमेंट क्षेत्र हर साल घट रहा है. वर्ष 1971 में डैम खोलने के बाद से लेकर आज तक कभी इसकी सफाई नहीं की गयी.

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Jharkhand News : राजधानी रांची को पानी की आपूर्ति का पूरा भार शहर के तीन जलाशयों रुक्का डैम (गेतलसूद डैम), कांके डैम और हटिया डैम पर है. इन तीनों जलाशयों से शहर को रोजाना 40 से 45 एमजीडी पानी दिया जाता है. लेकिन, चिंता की बात यह है कि समूची राजधानी की प्यास बुझानेवाले इन तीनों जलाशयों की जल संचयन की क्षमता लगातार घट रही है. अतिक्रमण की वजह से इन डैमों का दायरा घटता जा रहा है. साफ-सफाई नहीं होने से पानी दूषित हो रहा है. अनियमित और कम बारिश की वजह से डैम पूरी तरह से भर नहीं रहे हैं. यह सब भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है. हालात नहीं सुधरे, तो आनेवाली पीढ़ियों को बड़ी सजा भुगतनी होगी.

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रुक्का डैम : 48 साल से नहीं हुई सफाई, हर साल कम हो रहा दायरा

राजधानी की लाइफ लाइन रुक्का डैम (गेतलसूद डैम) का कैचमेंट क्षेत्र हर साल घट रहा है. वर्ष 1971 में डैम खोलने के बाद से लेकर आज तक कभी इसकी सफाई नहीं की गयी. इससे न केवल डैम छोटा हो रहा है, बल्कि पानी भी दूषित होता जा रहा है. पिछले 48 साल से डैम में जमा हो रही गंदगी की वजह से इस्तेमाल लायक पानी का स्तर तेजी से कम हो रहा है. डैम का जलस्तर 2016 और 2018 में काफी कम हो गया था. पिछली मानसून में बारिश पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से पानी का भंडारण इस साल भी कम हुआ है. 2018 में रुक्का डैम का जलस्तर 13.09 फीट हो गया था. हालांकि, उसके बाद से स्थिति बेहतर है. वर्तमान में रांची में को रोजाना इस डैम से 30 एमजीडी पानी दिया जाता है.

कांके डैम : गाद और गंदगी भरने की वजह से दूषित हो गया है पानी

रांची का सबसे पुराने जलाशय कांके डैम की हालत बेहद खस्ता है. इसकी जल ग्रहण क्षमता तेजी कम हो रही है. सतह उथली हो गयी है, जिसमें गाद-गंदगी भरी हुई है. कई जगहों पर पानी का रंग हरा व काला है, जिससे दुर्गंध आती है. निर्माण के बाद से लेकर अब तक इसकी साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया. गंदे पानी को फिल्टर करनेवाला एसटीपी भी वर्षों से बंद पड़ा है. हालांकि, एकत्रित जल के मामले में दो वर्षों की स्थिति कुछ ठीक बतायी जाती जा रही है. डैम में गंदे पानी को जाने से रोकने के लिए वर्ष 2004 में पाइप लाइन को डैम के बाहर से एसटीपी में जोड़ा गया, जो कुछ समय बाद ही बंद हो गया. अब मशीनें जंग खा रही हैं. पाइप लाइन कई जगहों पर टूट गयी है. गंदा पानी एसटीपी के बजाय डैम में जाता है.

हटिया डैम : हर साल की जा रही है राशनिंग, कम बारिश भी परेशानी

हटिया डैम में पानी की कमी के कारण राजधानी के लोगों को राशनिंग का सामना भी करना पड़ा है. वर्ष 2011 में हटिया डैम में महज 2.5 फीट पानी बचा था. इस कारण यहां से पानी की राशनिंग शुरू की गयी. पहली बार राजधानी में यह स्थिति बनी थी. वर्ष 2015 तक हर साल राशनिंग करना मजबूरी बन गयी. लोगों को एक से दो दिनों के अंतराल पर पानी की आपूर्ति की जाती थी. वर्ष 2016 में हटिया डैम की खुदाई की गयी और गाद हटाया गया. लेकिन, उस साल भी बारिश कम होने की वजह से जलापूर्ति नियमित नहीं हो सकी. वर्ष 2020 में एक बार फिर से राशनिंग करनी पड़ी थी.

नहीं हो सका जलापूर्ति योजना का विस्तार

एक दशक से अधिक समय बीतने के बावजूद रांची में जलापूर्ति योजना का विस्तार नहीं हो पाया. 2009-10 में नगर विकास विभाग ने ‘जवाहर लाल नेहरू शहरी विकास पुनरुद्धार योजना’ के तहत रांची शहर की चार लाख की आबादी तक पीने का पानी पहुंचाने का भारी-भरकम काम लिया. योजना का क्रियान्वयन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को सौंपा गया. हैदराबाद की कंपनी आइवीआरसीएल को 256 करोड़ का कार्यादेश दिया गया. योजना 24 महीने में पूरी होनी थी. सरकार ने सितंबर 2013 में आइवीआरसीएल को यह कहते हुए काली सूची में डाल दिया कि उसने निर्धारित समय में 30 फीसदी से कम उपलब्धि हासिल की. इसके बाद कैबिनेट ने एलएनटी को बचा हुआ काम दे दिया. 2014-15 में एलएनटी को 290.88 करोड़ का काम दिया गया, जो पूरा नहीं हो सका.

बेहाल है रांची शहरी जलापूर्ति : जेएनयूआरएम के तहत रांची शहरी जलापूर्ति फेज-1 अब तक पूरा नहीं किया जा सका है. इसके अंतर्गत रुक्का डैम में 110 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना था. यहीं पर इंटेकवेल भी बनाया जाना था. साथ ही हटिया, डोरंडा के 56 सेट, ललगुटूवा, पुनदाग, अरगोड़ा समेत छह जगहों पर पीने के पानी का ओवरहेड टैंक बनाया जाना था. 300 किमी से अधिक दूरी तक पाइपलाइन भी बिछायी जानी थी. ललगुटूवा में अब तक ओवरहेड टैंक नहीं बन पाया है.

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