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झारखंड की उच्च शिक्षा का हाल: रांची के रामलखन कॉलेज में हैं 7500 विद्यार्थी, लेकिन कमरा सिर्फ 15

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वर्ष 1972 में स्थापित रामलखन कॉलेज में कॉलेज में यूजी से लेकर पीजी तक की पढ़ाई होती है. इस कॉलेज में कुल 7500 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जबकि क्लास रूम मात्र 15 हैं. अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर किसी दिन सभी विद्यार्थी कॉलेज पहुंच जाये तो उन्हें बैठने की जगह नहीं मिलेगी.

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दिवाकर, रांची: झारखंड में उच्च शिक्षा खस्ताहाल है. कई ऐसे कॉलेज हैं, जहां विद्यार्थी अधिक हैं, तो क्लास रूम कम. कहीं क्लास रूम है, तो विद्यार्थी कम. कहीं शिक्षकों की कमी, तो कहीं विद्यार्थियों का टोटा. कहीं प्रयोगशाला है, तो उपकरण नहीं. कहीं उपकरण है, तो प्रयोगशाला नहीं. आज हम रांची विश्वविद्यालय के अंगीभूत ‘रामलखन सिंह यादव कॉलेज’ का हाल बता रहे हैं, जो बानगी भर है.

वर्ष 1972 में स्थापित इस कॉलेज में यूजी से लेकर पीजी तक की पढ़ाई होती है. इस कॉलेज में कुल 7500 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जबकि क्लास रूम मात्र 15 हैं. अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर किसी दिन सभी विद्यार्थी कॉलेज पहुंच जाये, तो उन्हें बैठने की जगह नहीं मिलेगी. वहीं, जनजातीय एवं क्षेत्रीय पांच भाषाओं की पढ़ाई के लिए एक ही क्लासरूम है. उसमें भी शिक्षक बैठते हैं.

अस्थायी क्लासरूम के भरोसे कॉलेज के विद्यार्थी :

रामलखन सिंह यादव कॉलेज की स्थापना 1972 में की गयी थी. लेकिन, आज तक कॉलेज अस्थायी क्लासरूम के भरोसे चल रहा है. यहां जमीन विवाद के कारण कॉलेज की बिल्डिंग नहीं बन पायी है और किसी तरह विद्यार्थियों के पढ़ने की व्यवस्था की जाती है. कॉलेज के प्राचार्य डॉ जेपी सिंह ने बताया कि अभी एक से दो मामले चल रहे हैं, जिसकी वजह से स्थायी कैंप नहीं बन पा रहा है. इसलिए हम ऐसी व्यवस्था करते हैं, जिससे किसी के भी क्लास चलने में कोई परेशानी नहीं हो.

प्रायोगिक क्लासरूम और क्लासरूम एक ही है :

कॉलेज में साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों विषयों की पढ़ाई होती है. इसमें साइंस और आर्ट्स के विद्यार्थियों के लिए प्रायोगिक क्लासरूम और क्लासरूम एक ही है. यहां विद्यार्थी पढ़ते भी हैं और प्रयोग भी करते हैं. वहीं, यहां के 7500 विद्यार्थियों के लिए मात्र एक ही बाथरूम है. इस कारण छात्राओं को सबसे अधिक परेशानी होती है.

जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के क्लास की स्थिति सबसे खराब

जनजातीय एवं क्षेत्रीय स्तर के यहां पांच भाषाओं की पढ़ाई होती है. जिसमें मुंडारी, कुरमाली, कुड़ुख, खोरठा और नागपुरी शामिल है. इसमें केवल एक नागपुरी के शिक्षक रेगुलर है और बाकी शिक्षक अनुबंध पर हैं. लेकिन यहां क्लासरूम की स्थिति सबसे खराब है. यहां एक ही क्लासरूम इन सभी विषयों के लिए दिया गया है. जहां इन विषयों की पढ़ाई भी होती है और शिक्षक अपना काम भी करते हैं. वहीं, कभी अगल-बगल के क्लासरूम खाली रहे, तो यहां के शिक्षक उसका इस्तेमाल करते हैं.

हम टाइम टेबल ऐसा बनाते हैं, जिसके अनुसार सभी क्लास सुचारू रूप से संचालित कर लिये जाते हैं. इसलिए कभी कोई समस्या नहीं होती है. हालांकि, क्लासरूम की कमी तो है. कुछ विवाद है, जिसके दूर होने पर ये कमी भी दूर हो जायेगी. – डॉ जेपी सिंह

प्राचार्य, रामलखन सिंह यादव कॉलेज

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