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झारखंड हाइकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को किया निरस्त, कहा- न्यायिक दंडाधिकारी को प्रशिक्षण की जरूरत

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झारखंड हाइकोर्ट ने कहा कि न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी रांची कानून के अनिवार्य प्रावधान का पालन करने में ईमानदार नहीं हैं या तो आकस्मिक दृष्टिकोण के कारण या कानून की अज्ञानता के कारण.

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झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चाैधरी की अदालत ने क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई के बाद याचिका को स्वीकार कर लिया. साथ ही प्रार्थी राहुल कुमार राय को राहत देते हुए रांची के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी अशोक कुमार की अदालत द्वारा 16 अगस्त 2023 को पारित आदेश को निरस्त कर दिया. अदालत ने मामले में न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा पारित आदेश पर टिप्पणी करते हुए लॉ के बेसिक ज्ञान में बढ़ोतरी के लिए उन्हें प्रशिक्षण देने की जरूरत बतायी.

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अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-82 के तहत किसके संबंध में उद्घोषणा जारी की जानी है, इसका उल्लेख उस आदेश में ही किया जाना चाहिए, जिसके द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-82 के तहत उद्घोषणा जारी की जाती है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि विद्वान न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी रांची कानून के अनिवार्य प्रावधान का पालन करने में ईमानदार नहीं हैं या तो आकस्मिक दृष्टिकोण के कारण या कानून की अज्ञानता के कारण.

इनमें से कोई भी न्यायिक अधिकारी की पहचान नहीं है. अदालत ने कहा कि यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि एक न्यायिक दंडाधिकारी को इस तरह के लापरवाह आदेश पारित करना शोभा नहीं देता है, जो कानून को ताक पर रख दे और इस तरह इस अदालत का बोझ अनावश्यक रूप से बढ़ा दे. अदालत ने न्यायिक आयुक्त रांची को निर्देश दिया है कि वे न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी को कानून के प्रावधान का पालन किये बिना ऐसे अवैध आदेश पारित नहीं करने के लिए प्रेरित करें और यदि आवश्यक हो, तो उन्हें निर्देश दें.

कानून के बुनियादी ज्ञान में सुधार के लिए उन्हें रविवार को रांची न्यायिक अकादमी भेजा जाये. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अंकित अपूर्वा ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राहुल कुमार राय ने क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका दायर कर निचली अदालत के इश्तेहार जारी करने संबंधी आदेश को चुनाैती दी थी.

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