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झारखंड हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालयों से पूछा- व्याख्याता नियुक्ति की CBI जांच होने के बाद क्या कार्रवाई की गयी

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अदालत ने सीबीआइ व राज्य के सात विश्वविद्यालयों से पूछा कि जब व्याख्याता नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट सीबीआइ द्वारा दी गयी है, तो उस पर अब तक क्या कार्रवाई की गयी है.

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रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने वर्ष 2008 में हुई 750 व्याख्याताअों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर बरती गयी अनियमितता के मामले को लेकर दायर याचिकाअों पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुना. अदालत ने सीबीआइ व राज्य के सात विश्वविद्यालयों से पूछा कि जब व्याख्याता नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट सीबीआइ द्वारा दी गयी है, तो उस पर अब तक क्या कार्रवाई की गयी है. शपथ पत्र के माध्यम से सीबीआइ व विश्वविद्यालयों को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले में रांची विश्वविद्यालय, डीएसपीएमयू, नीलांबर-पीताबंर विश्वविद्यालय, सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय, विनोवा भावे विश्वविद्यालय, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय व कोल्हान विश्वविद्यालय को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने दो अप्रैल की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व प्रार्थी नेट-बेट एसोसिएशन की अोर से अधिवक्ता डॉ श्रीकृष्ण पांडेय, निलादनी शेखर मुखर्जी, संध्या सिंह, डॉ मीरा कुमारी व डॉ अमिताभ कुमार की अोर से अधिवक्ता डॉ सत्यप्रकाश मिश्रा, अदिति ने पैरवी की. डॉ पांडेय ने अदालत को बताया कि झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने वर्ष 2007 में जेट का आयोजन किया था, जिसका रिजल्ट एजेंसी ग्लोबल इंफ्रोमेटिक्स ने जारी किया था. इसके आधार पर वर्ष 2008 में 27 विषयों में 750 व्याख्याताअों की नियुक्ति की गयी थी.

नियुक्ति में बड़ी गड़बड़ी हुई थी. चहेते लोगों को नियुक्त कर दिया गया था. जेपीएससी के तत्कालीन सचिव रतिकांत झा की अोर से 18 नवंबर 2011 को हाइकोर्ट में शपथ पत्र दायर कर बताया था कि बंगाली, अोड़िया, मैथिली, भूगर्भशास्त्र, गृहविज्ञान, सांख्यिकी व पारसियन भाषा के रिजल्ट पर परीक्षा नियंत्रक सह सचिव ने हस्ताक्षर किया था, लेकिन 21 विषयों के रिजल्ट पर परीक्षा नियंत्रक सह सचिव ने हस्ताक्षर नहीं किया है. आयोग की सहमति भी नहीं थी. संयुक्त मेरिट लिस्ट भी जारी नहीं किया गया था.

हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ नियुक्ति गड़बड़ी की जांच कर रही है. जांच रिपोर्ट भी दी जा चुकी है. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. यहां तक व्याख्यताअों की सेवा संपुष्टि आैर एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में स्थानांतरण-पदस्थापन भी किया गया है, जबकि मामला हाइकोर्ट में लंबित है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी नेट-बेट एसोसिएशन, डॉ मीरा कुमारी, डॉ अमिताभ कुमार व अन्य की अोर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है.

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