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दिव्यांगों के लिए राज्य की अदालतों व उपभोक्ता आयोग में क्या है व्यवस्था, झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल

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प्रार्थी पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. जिला अदालतों व उपभोक्ता आयोग में दिव्यांगों के लिए सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की गयी है.

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झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य भर के सिविल कोर्ट, राज्य उपभोक्ता आयोग में दिव्यांगों को सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि राज्य भर की अदालतों में दिव्यांगों के लिए क्या व्यवस्था है. दिव्यांग जनों को सुविधा मुहैया कराने की दिशा में सरकार की क्या योजना है. खंडपीठ ने शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी.

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने खंडपीठ को बताया कि राज्य की अदालतों व राज्य उपभोक्ता आयोग में दिव्यांगों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. उन्होंने व्हील चेयर, लिफ्ट, रैंप, दिव्यांगों के अनुकूल शाैचालय आदि की व्यवस्था करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. जिला अदालतों व उपभोक्ता आयोग में दिव्यांगों के लिए सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की गयी है.

जुर्माने का 50 हजार रुपये माफ किया गया

हाइकोर्ट ने हजारीबाग के डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन प्रोपर्टी प्रोटेक्शन कमेटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए लगाये गये जुर्माने की राशि में से 50 हजार माफ कर दिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से बताया गया कि जुर्माने का 50000 जमा कर दिया गया है. शेष 50000 रुपये माफ करने का आग्रह किया गया.

पलामू में धान खरीद पर सरकार से जवाब मांगा

झारखंड हाइकोर्ट ने पलामू में धान खरीद गड़बड़ी मामले में दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. जवाब दायर करने के लिए सरकार को पांच सप्ताह का समय प्रदान किया. अब मामले की सुनवाई अगस्त माह में होगी.

इससे पूर्व खंडपीठ को बताया गया कि पलामू जिले में बिचाैलियों द्वारा फर्जी किसानों को खड़ा कर धान खरीदा गया है. एक-एक किसान से तीन-तीन साै क्विंटल धान की खरीद हुई है. फर्जी किसानों के नाम पर खरीदे गये धान का पैसा बिचाैलियों द्वारा अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया गया. इससे वास्तविक किसानों को नुकसान पहुंचा. उन्होंने धान खरीद में गड़बड़ी की जांच कराने का आग्रह किया गया. वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता निपुण बक्शी ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि पलामू के उपायुक्त ने मामले की जांच करायी थी.

उद्योग सचिव को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने राज्य सरकार की औद्योगिक पॉलिसी के तहत अनुदान को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दाैरान अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुना. राज्य सरकार की ओर से पक्ष नहीं रखा जा सका.

इसके बाद अदालत ने उद्योग सचिव को अगली सुनवाई के दाैरान सशरीर उपस्थित होकर पक्ष रखने को कहा. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 26 जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने अदालत को बताया कि मोंगिया हाइटेक राज्य सरकार की औद्योगिक पॉलिसी के तहत अनुदान की सारी शर्तों को पूरा करता है.

इसलिए लगभग 5.25 करोड़ रुपये अनुदान का प्रस्ताव सरकार को दिया था, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया. श्री गाड़ोदिया ने राज्य सरकार को पॉलिसी के तहत अनुदान के लिए उचित आदेश देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मोंगिया हाइटेक प्रालि की ओर से याचिका दायर की गयी है.

ग्रैंड्स माइनिंग के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक

झारखंड हाइकोर्ट ने पाकुड़ के ग्रैंड्स माइनिंग पर राज्य सरकार द्वारा लगाये गये लगभग 14 करोड़ की पेनाल्टी को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर ऑनलाइन सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. मामले में सुनवाई जारी रही. वहीं प्रार्थी के खिलाफ पीड़क कार्रवाई करने पर पूर्व में लगायी गयी रोक को बरकरार रखा.

अब मामले की अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ग्रैंडस माइनिंग की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि वर्ष 2018 में सरकार की ओर से माइंस का निरीक्षण किया गया था. बिना निरीक्षण प्रतिवेदन दिये लगभग 12 करोड़ की पेनाल्टी लगा दी गयी.

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