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पांच वर्षों से आर्थिक संकट से जूझ रहा झारखंड, बजट से ज्यादा हो गया राज्य पर कर्ज का बोझ

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वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने श्वेतपत्र के जरिये सदन को बताया कि राज्य पिछले पांच वर्षों से आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. विकास दर में गिरावट दर्ज की गयी. प्रति व्यक्ति कर्ज दोगुना हो गया. बजट में दिखायी गयी आमदनी और खर्च के आंकड़ों का संतुलन कायम नहीं रहा.

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रांची : वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने श्वेतपत्र के जरिये सदन को बताया कि राज्य पिछले पांच वर्षों से आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. विकास दर में गिरावट दर्ज की गयी. प्रति व्यक्ति कर्ज दोगुना हो गया. बजट में दिखायी गयी आमदनी और खर्च के आंकड़ों का संतुलन कायम नहीं रहा. अनुमान के मुकाबले आमदनी कम होने की वजह से बजट में निर्धारित खर्च का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. राजस्व स्रोतों से होनेवाली आमदनी में कमी के मद्देनजर पिछली सरकार ने अधिक कर्ज लेना शुरू किया. इससे चालू वित्तीय वर्ष में कर्ज का बोझ बढ़ कर 92,864 करोड़ रुपये हो जायेगा. यह इस साल के बजट 85,429 करोड़ रुपये से अधिक है. यह चालू वित्तीय वर्ष के मूल बजट से 7,417 करोड़ रुपये अधिक है.

गहन अध्ययन के बिना योजनाओं को लेने और स्वीकृत करने से सरकार पर 33,179 करोड़ की देनदारी पैदा हुई. बिजली के क्षेत्र में ‘उदय योजना’ के लिए 4500 करोड़ रुपये की भरपाई सरकार को करनी है. बिजली के क्षेत्र से अतिरिक्त 21000 करोड़ का बोझ सरकार पर पड़ेगा. मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना, एक रुपये में 50 लाख रुपये मूल्य की जमीन की रजिस्ट्री और सरकार द्वारा खुद ही शराब बेचने के फैसले से सरकार की आमदनी में कमी हुई. कुल मिलाकर पैसा खर्च करने के बावजूद जन आकांक्षाओं की पूर्ति नहीं हुई.

दो साल में प्रति व्यक्ति आय में सिर्फ 45 रुपये की वृद्धि, कर्ज दोगुना हो गया : वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत श्वेतपत्र में कहा गया है कि बीते दो साल के दौरान राज्य के प्रति व्यक्ति आय में सिर्फ 45 रुपये की वृद्धि हुई. 2015-16 में प्रति व्यक्ति आय 48781 रुपये थी. 2016-17 में बढ़ कर यह सिर्फ 54246 रुपये हुई. 2014-15 में राज्य की विकास दर 12.5 प्रतिशत थी.

2015-18 की अवधि में औसत विकास दर सिर्फ 5.7 प्रतिशत रही. पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ दोगुना हो गया. 2013-14 में प्रति व्यक्ति कर्ज 10,928 रुपये था, जो 2019-20 में बढ़ कर 24,486 रुपये हो गया. रिपोर्ट में चालू वित्तीय वर्ष दौरान अनुमान के मुकाबले काफी कम राजस्व मिलने का उल्लेख किया गया है. इसमें कहा गया है कि जनवरी तक लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 65.40 प्रतिशत राजस्व ही मिल सका है.

कैंपा को छोड़ कर केंद्र सरकार से भी लक्ष्य के मुकाबले 60 प्रतिशत ही अनुदान मिला है. राज्य सरकार द्वारा लगातार कर्ज लिए जाने की वजह से राज्य पर 2019-20 में कुल 92,846 करोड़ रुपये का कर्ज हो जायेगा. राज्य पर कर्ज का कुल बोझ जीडीपी का 27.1 प्रतिशत है. वित्तीय वर्ष 2013-14 में यह बोझ 19.9 प्रतिशत था.

बजट

85,429 करोड़ रुपये से अधिक है इस साल सरकार का

कर्ज

92,864 करोड़ रुपये बोझ है सरकार पर चालू वित्तीय वर्ष में अधिक है

7,417 करोड़ रुपये मूल बजट से कर्ज की कुल राशि

श्वेतपत्र की मुख्य बातें

2015-16 से 2018-19 तक राज्य की औसत विकास दर 5.7% रही

2018-19 में वास्तविक वित्तीय घाटा 6628.76 करोड़ रुपये रहा

जनवरी 2020 तक लक्ष्य के मुकाबले 65.40% राजस्व मिला

सात विभागों की योजनाओं पर 33,179 करोड़ रुपये की देनदारी

जीएसटी में 1800 करोड़ के इनपुट टैक्स का घोटाला हुआ है

महिलाओं को निबंधन में छूट से 1238 करोड़ के राजस्व का नुकसान

सरकार द्वारा खुद शराब बेचने के फैसले से 1000 करोड़ की हानि हुई

पेट्रोल और डीजल पर दी गयी छूट से 800 करोड़ रुपये की क्षति हुई

आर्थिक मंदी के कारण 2020-21 में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी से राज्य को 20,593 करोड़ मिलने का अनुमान

वित्तीय वर्ष 2019-20 में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी से राज्य को मिले थे 23,906 करोड़ रुपये

क्या है श्वेत पत्र

राज्य गठन के 20 वर्ष में पहली बार राज्य सरकार ने श्वेत पत्र जारी किया है. श्वेत पत्र विभिन्न विषयों पर सरकार की अोर से जारी विस्तृत रिपोर्ट को कहते हैं. आमतौर पर इसमें संबंधित विषय की मौजूदा स्थिति, इससे जुड़ी समस्याअों तथा समाधान का जिक्र होता है. झारखंड सरकार का श्वेत पत्र राज्य की आर्थिक स्थिति पर जारी किया गया है.

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