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विधानसभा में हेमंत सोरेन- मैं आंसू नहीं बहाऊंगा, 31 जनवरी को देश के इतिहास में जुड़ा काला अध्याय

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झारखंड की नई सरकार चंपाई सोरेन के विश्वास मत के दौरान विधानसभा में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पक्ष में बात रखीं. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी की काली रात को देश में काले अध्याय की शुरुआत हुई. इससे पहले कभी इस तरह से किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी नहीं हुई होगी. उन्होंने राजभवन पर भी गंभीर आरोप लगाए.

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Hemant Soren statement in Assembly: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने सूबे के नए मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के विश्वासमत के पक्ष में अपनी बातें रखीं. इस दौरान सोमवार (5 फरवरी) को उन्होंने कहा कि देश में पहली बार 31 जनवरी की काली रात को किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई. मेरे संज्ञान में नहीं है कि इससे पहले कभी इस तरह से किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई होगी. उन्होंने कहा, राजभवन पर भी निशाना साधा और गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मैं आंसू नहीं बहाऊंगा, समय आने पर माकूल जवाब दूंगा.

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विधानसभा को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि मैं आदिवासी समाज से आता हूं. नियम, कायदे, कानून का अभाव है. बौद्धिक क्षमता हमारे शत्रु पक्ष के बराबर नहीं है. लेकिन, सही-गलत की समझ तो हर इंसान रखता है. हर जानवर भी रखता है. हेमंत सोरेन ने कहा कि बड़ी सुनियोजित तरीके से, बड़े लंबे समय से, वर्ष 2022 से ही इसकी पटकथा लिखी जा रही थी. इस पकवान को बहुत धीमी आंच में पकाया जा रहा था. लेकिन, इनका पकवान पकने को तैयार नहीं था. येन-केन-प्रकारेण इन्होंने अपने लिए इस पकवान को परोस ही लिया. उन्होंने कहा कि बड़े ही सुनियोजित तरीके से इन लोगों ने मुझे अपनी गिरफ्त में लिया है.

हेमंत सोरेन ने कहा कि आज कहीं न कहीं मुझे लगता है कि बाबा भीमराव आंबेडकर ने सबको समानता का अधिकार दिया. इसके लिए उन्हें अपना धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा. आदिवासियों के साथ भी ऐसा ही होता दिख रहा है. हेमंत सोरेन ने कहा कि गरीबों, दलितों, पिछड़ों पर जो अत्याचार होते रहे हैं, उसका जीता जागता उदाहरण 31 जनवरी की रात को देखने को मिला. इन वर्गों के प्रति हमारे सत्ता पक्ष की घृणा, इतना द्वेष इनके मन में कहां से आता है, मेरी समझ से परे है. इन्हीं के पाले हुए तंत्र यह कहते नहीं शरमाते कि ये जंगल में थे, तो इन्हें जगल में ही रहना चाहिए. हम जंगल से बाहर आ गए, इनक बराबर में बैठ गये. इनकी खबरें लेने लगे, तो हम इन्हें अछूत दिखने लगे. इन्हीं विडंबनाओं को तोड़ने का हमने प्रयास किया था. झारखंड आदिवासी, दलित बहुल पिछड़ा राज्य है. हमने इन सबको आगे बढ़ाने के लिए कोई कमी नहीं रखी.

हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे विरोधियों का वश चले, तो हमें फिर जंगल में जाकर 100 साल पुराना जीवन व्यतीत करना पड़ेगा. मुझे इसका आभास था. इनके अंदर छुपी कुंठा आए दिन यह बयां करती थी. इनके आक्रमणों से मुझे एहसास हो रहा था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. इन्हें लगता है कि मुझे जेल की सलाखों के पीछे डालकर ये अपने मंसूबों में सफल हो जाएं, तो बता दूं कि ये झारखंड है. देश का ऐसा राज्य है, जहां हर कोने में आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्गों के अनगिनत सिपाहियों ने अपनी कुर्बानी देकर आदिवासियों, दलितों की जान बचाई है.

मैं आंसू नहीं बहाऊंगा, आंसू वक्त के लिए रखूंगा

आदिवासी, दलित, पिछड़ों के आंसू का आपके लिए कोई मोल नहीं है. वक्त आने पर हम इनके एक-एक सवाल का जवाब देंगे. इनके एक-एक षड्यंत्र का जवाब समय आने पर माकूल तरीके से देंगे. दुर्भाग्य है इस राज्य का कि तथाकथित हमारे राज्य के कुछ लोग, जो ऐसी सामंती विचारधारा के लोगों के चरणों छुप गए हैं, उनकी सेवा और पूजा-अर्चना में लगे हैं. अन्यथा राज्य की ऐसी दुर्दशा नहीं होती. उन्होंने कहा कि राज्य अलग हुए 24 साल हो गए. किसने सबसे ज्यादा राज्य की. मुझे कहने की जरूरत नहीं है. किसी को बताने की भी जरूरत नहीं है. सब अपने गिरेबां में झांकें. पता चल जाएगा कि कौन कहां बैठा. 2019 में ही इनको घोटाले नजर आ रहे हैं. पहले कुछ नजर नहीं आया. ये नहीं चाहते कि देश का आदिवासी, पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक देश के सर्वोच्च स्थान पर पहुंचे. ये नहीं चाहते कि ये जज बनें, ये आईएएस-आईपीएस बनें. इन्हीं के साथ बैठे लोगों ने भी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाया था. कितने आदिवासियों ने पांच साल पूरे किए. मुझे मालूम था कि मुझे भी अपना कार्यकाल पूरा करने में रोड़े अटकाएंगे. रिकॉर्ड में नहीं आना चाहिए. रजिस्टर में नाम नहीं आना चाहिए. हमने सिर झुकाकर चलना नहीं सीखा. यही खूबी है आदिवासी की.

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