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राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड उत्पाद विधेयक- 2022 को लौटाया, इन बिंदुओं पर जतायी आपत्ति

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राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक- 2022 को आपत्तियों के साथ राज्य सरकार को लौटा दिया है. उन्होंने फिर से इस पर पुनर्विचार करने को कहा. इससे पूर्व भी राज्यपाल आपत्ति के साथ चार विधेयक लौटा चुके हैं.

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झारखंड विधानसभा से पारित झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक- 2022 को राज्यपाल रमेश बैस ने आठ आपत्तियों के साथ राज्य सरकार को लौटा दिया है. राज्यपाल ने कहा है कि इस विधेयक के प्रावधानों पर पुनर्विचार करें. अन्य राज्यों से इससे संबंधित प्रावधानों की समीक्षा करें और राजस्व पर्षद से मंतव्य प्राप्त कर विधेयक के प्रावधानों को संशोधित करने पर विचार करें. उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी राज्यपाल आपत्ति के साथ चार विधेयक लौटा चुके हैं.

राज्यपाल की आपत्तियां

01 : विधेयक में उड़नदस्ता के गठन का प्रावधान किया गया है, जबकि पूर्व से ही उत्पाद विभाग को आवश्यकतानुसार पदाधिकारियों के उड़नदस्ता, टास्क फोर्स, मोबाइल फोर्स गठित करने का अधिकार प्राप्त है. इस स्थिति में पुनः इसे जोड़ने का कोई औचित्य नहीं है. इसी प्रकार विधेयक में राज्य सरकार के नियंत्रण में रहे निगम द्वारा संचालित लाइसेंस के मामलों में अधिकृत एजेंसी एवं कर्मचारियों को असंवैधानिक कार्य के लिए उत्तरदायी माना गया है.

02 : वर्तमान में राज्य सरकार के लिए निर्धारित शराब दुकान वेबरेज कॉरपोरेशन के माध्यम से चयनित एजेंसियों द्वारा संचालित किये जाते हैं. इस प्रावधान से किसी भी प्रकार की अनियमितता पाये जाने पर एजेंसी के कर्मचारी जो उक्त बिक्री स्थल का संचालन करते हैं, उन्हें ही जवाबदेह माना जायेगा, जबकि इसकी पूरी जवाबदेही संबंधित एजेंसी की होनी चाहिए तथा निगम के स्तर से नियमित रूप से इसका अनुपालन किया जाना भी आवश्यक है. पर किये गये संशोधन से मात्र स्थानीय कर्मचारी ही असंवैधानिक कार्य के लिए जबावदेह माने जायेंगे. यह व्यवस्था निगम के पदाधिकारियों को तथा एजेंसियों के उच्च पदाधिकारियों को आपराधिक/ असंवैधानिक कार्यों से संरक्षण देने के प्रयास जैसा है

03 : धारा-52 में नये प्रावधान जोड़े गये हैं, जिसमें सजा के साथ मुआवजा भुगतान का भी प्रावधान किया गया है. विचारणीय है कि मुआवजा का भुगतान सजा से अलग व्यवस्था है. अतः उचित होगा कि सजा एवं मुआवजा के निर्धारण के लिए अलग-अलग धाराओं में प्रावधान किया जाये.

04 : धारा-55 (ए) में किये गये सजा के प्रावधान धारा-47 के प्रावधानों के अनुरूप रखा जाना उचित होगा. नयी धाराएं 55(डी) एवं 55 (इ) के प्रावधानों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-106 के आलोक में समीक्षा करनी जरूरी है.

05 : राज्यपाल ने कहा है कि वर्तमान में वेबरेज कॉरपोरेशन ही अनुज्ञप्तिधारी का कार्य कर रहा है. धारा-57 में अनुज्ञप्तिधारी अथवा उनके सेवक के कार्यों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. इन प्रावधानों में निगम के पदाधिकारियों को अलग करते हुए मात्र अधिकृत एजेंसी के स्थानीय कर्मचारियों के लिए असंवैधानिक कार्यों के लिए उत्तरदायी माना गया है. स्पष्टतः इस प्रकार के वैधानिक संरक्षण से मूल अनुज्ञप्तिधारी पर निगम की जवाबदेही कम हो जाती है.

06 : धारा-79 (चार) में 20 लीटर तक शराब के संग्रहण करने की स्थिति में स्वयं के बंध-पत्र पर आरोपित को अधिकारी के विवेक के अनुसार मुक्त किया जा सकता है, जबकि इस प्रावधान से यह अर्थ निकल सकता है कि 20 लीटर तक शराब कोई भी व्यक्ति अपने पास संग्रहित कर सकता है, जो उचित प्रतीत नहीं होता है.

07 : राज्यपाल ने कहा है कि सामान्यतः उत्पाद नीति एवं अधिनियम के प्रावधानों के संबंध में राजस्व पर्षद के स्तर से समीक्षा की जाती है, क्योंकि राजस्व पर्षद को उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत कतिपय शक्तियां मिली हुई हैं. संशोधन विधेयक के मामलों में राजस्व पर्षद का कोई परामर्श लिया गया, ऐसा प्रतीत नहीं होता है.

08 : राज्यपाल ने कहा है कि राज्य में नयी उत्पाद नीति लागू किये जाने के संबंध में विभाग द्वारा उत्पाद राजस्व में वृद्धि के दावे किये गये थे, लेकिन प्रथम छह माह में उत्पाद राजस्व में निरंतर कमी देखी जा रही है. उत्पाद अधिनियम में विभागीय तथा निगम के पदाधिकारियों की सीधी जवाबदेही कम होने से अनुपालन और कमजोर होगा तथा अवैधानिक कार्यों को बढ़ावा मिलने के साथ राजस्व में भी और कमी संभावित है.

वर्तमान हालात : लक्ष्य का आधा राजस्व भी नहीं आया

राज्य में शराब के व्यापार की मौजूदा व्यवस्था से झारखंड को मुनाफा होता नहीं दिख रहा है. वित्तीय वर्ष के छह माह बाद तक शराब की बिक्री के निर्धारित लक्ष्य का आधा राजस्व भी सरकारी खजाने में नहीं आया है. 31 अक्तूबर तक 1050 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. वित्त विभाग ने वर्ष 2022-23 के लिए शराब से मिलनेवाले राजस्व का लक्ष्य 2500 करोड़ रुपये निर्धारित किया है. विभाग ने अक्तूबर तक शराब की बिक्री से 1300 करोड़ की राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया था. केवल अक्तूबर में दुकानों से शराब की खुदरा बिक्री का लक्ष्य 440 करोड़ निर्धारित था, लेकिन इस महीने राज्य में 310 करोड़ रुपये की ही शराब बेची गयी.

सरकार ने भेजा था कानून में परिवर्तन का प्रस्ताव

राज्य सरकार की संस्था झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से शराब की खुदरा बिक्री के लिए उत्पाद विभाग ने नीति निर्धारित कर मई 2022 से नयी व्यवस्था के तहत शराब का व्यापार शुरू किया था. राज्य में लागू उत्पाद नीति के अनुरूप कानून में बदलाव करने के लिए विधानसभा से पारित करा झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 राज्यपाल को भेजा था. अब राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाने का प्रभाव राज्य में लागू उत्पाद नीति पर पड़ेगा. राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाने से कॉरपोरेशन के लिए शराब का व्यापार करनेवाली संस्था या मैनपावर कंपनियों के समक्ष अब वैधानिक संकट होगा.

उत्पाद (संशोधन) विधेयक-2022 को राज्यपाल द्वारा लाैटाये जाने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. यदि यह मामला उनके समक्ष आता है, तो उस पर विधिसम्मत निर्णय लिया जायेगा.

राजीव रंजन, महाधिवक्ता

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