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JBVNL न बिजली दे पा रहा है और न ही सही बिल, ऑनलाइन-ऑफलाइन के फेर में उपभोक्ता हो रहे परेशान

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झारखंड में एक ओर लोडशेडिंग के कारण बिजली संकट है, तो दूसरी ओर बिल जमा करने में भी परेशानी हो रही है. झारखंड बिजली वितरण निगम के ऊर्जा मित्र समय पर बिजली बिल नहीं तैयार कर रहे

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रांची : झारखंड के लोग बिजली संकट से पहले ही परेशान है अब उपभोक्ताओं को बिल जमा करने में भी परेशानी होने लगी है. ऊर्जा मित्र समय पर बिजली बिल नहीं तैयार कर रहे. बिजली बिल जमा कराने के बाद भी राशि एडजस्ट नहीं होने की शिकायत आ रही है. ऊर्जा मित्रों के मीटर रीडिंग प्रपत्र में अलग राशि अंकित होती है.

जब उस बिल को उपभोक्ता ऑनलाइन जमा कराने जा रहे हैं तो भुगतान प्रक्रिया के वक्त उन्हें ज्यादा रकम दिखायी देती है. इन परेशानियों के कारण बड़ी संख्या में उपभोक्ता अपना बिल डिजिटल माध्यम से जमा नहीं करा रहे हैं. यह परेशानी एसआरआइटी और एचसीएल के बीच सर्वर से डेटा ट्रांसफर नहीं होने से हो रही है.

एचसीएल के 30 विद्युत सबडिवीजन क्षेत्र में परेशानी : राज्य के अंदर करीब 60 में एसआरआइटी जबकि आरएपीडीआरपी योजना वाले 30 विद्युत सबडिवीजन क्षेत्र में एचसीएल उपभोक्ताओं का बिल तैयार करती है. एचसीएल के इन्हीं क्षेत्रों में खराबी के कारण डेटा मिसिंग है और बिल व अकाउंट में पैसा पोस्ट करने को लेकर समस्या आ रही है.

सॉफ्टवेयर कंपनी के साथ कई वर्षों से चल रहा विवाद :

एचसीएल के साथ ही एसआरआइटी को साल 2017 में बिलिंग का काम सौंपा गया. उस वक्त टेंडर की शर्तें न मानने को लेकर जेबीवीएनएल और एचसीएल के बीच विवाद हो गया. दोनों पक्षों में पेमेंट और खराब कार्यप्रणालियों को लेकर मुकदमा भी हुआ. हालांकि, आपसी समझौते के बाद मार्च 2021 को कंपनी को दोबारा बिल तैयार करने का काम दे दिया गया. हालांकि, जब से काम दिया गया है, तभी से कंपनी नियमों और शर्तों के अनुरूप काम नहीं कर रही है.

एचसीएल से एसआरआइटी के सर्वर में डेटा ट्रांसफर में परेशानी

बिलिंग एजेंसी के सॉफ्टवेयर में खराबी के कारण बिल सही तरीके से शो नहीं कर रहा है. उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है. पूर्व में 500 यूनिट तक उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती थी. राज्य कैबिनेट ने इसे बदलकर 400 यूनिट कर दिया. पहले इसे तत्काल लागू करने की बात कही गयी थी, बाद में इसे वित्तीय वर्ष से लागू करने की घोषणा की गयी.

इस अवधि के दौरान उपभोक्ताओं के एक बड़े वर्ग को जो सब्सिडी मिली, वह आगे बिल सुधार (करेक्शन) में चला गया. दिन में तैयार इन्हीं बिलों को जब रात में एसआरआइटी के सर्वर में डेटा शेयर किया जा रहा है तो एचसीएल से वह करेक्शन एमाउंट मिसिंग है. जिससे उपभोक्ताओं को बिल प्रपत्र में कुछ और तो डिजिटली कुछ और दिखता है.

फैक्टशीट

राज्य में कुल बिजली उपभोक्ता करीब 51.02 लाख

डिजिटल मोड में बिल भुगतान करनेवाले करीब 5.75 लाख

डिजिटल मोड में भुगतान की कुल राशि करीब 200 करोड़ प्रति माह

एटीपी मशीन से बिल भुगतान की राशि 80 से 90 करोड़

काउंटर से से बिल भुगतान की राशि 20 से 30 करोड़

पूर्व में 500 यूनिट तक सब्सिडी मिलती थी. राज्य कैबिनेट ने इसे बदलकर 400 यूनिट कर दिया

केस स्टडी

डिवीजन डोरंडा

कन्ज्यूमर नंबर 9डीटी1711

बिल प्रपत्र पर अंकित राशि 858

ऑनलाइन में दिख रही राशि 997.93

केस स्टडी

डिवीजन न्यू कैपिटल

कंज्यूमर नंबर पढ़ना मुश्किल

बिल प्रपत्र पर अंकित राशि 525.78

डिजिटल में दिख रही राशि 997.93

केस स्टडी

डिवीजन कोकर

कंज्यूमर नंबर केआरके12546

बिल प्रपत्र पर अंकित राशि 2303

डिजिटल में दिख रही राशि 3016

नुकसान की चिंता में उपभोक्ता, दुरुस्त नहीं हो रहा सॉफ्टवेयर

बिल भुगतान में समस्या आने पर उपभोक्ताओं को समय पर बिजली बिल भुगतान में मिलने वाली छूट का नुकसान और देर से भुगतान के लिए जुर्माना का डर भी सता रहा है. शहरी क्षेत्र के ज्यादातर उपभोक्ता अब ऑनलाइन ही बिजली बिल जमा करते हैं. बिल जमा करने की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद दंड शुल्क लगाने की संभावना से परेशान हैं. तकनीकी खराबी के कारण केवल बिल का भुगतान ही नहीं, मीटर रीडिंग पर भी असर पड़ा है.

Posted By: Sameer Oraon

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