15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 05:46 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड में साहित्य, संगीत-नाट्य एवं ललित कला अकादमी निर्माण की जरूरी पहल

Advertisement

अकादमी के माध्यम से सभी भाषाओं पर शोधकार्य किये जायें. ज्यादा से ज्यादा उसे शिक्षण कार्य से जोड़ा जाए क्योंकि किसी भी समाज के लिए भाषा ही माध्यम रहा है, जिससे मनुष्य ने मानव सभ्यता को आगे बढ़ाया है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

डॉ कृष्णा गोप

- Advertisement -

संस्थापक/अध्यक्ष, खोरठा डहर

मानव सभ्यता के विकास में भाषा का अहम योगदान है, जो सर्वविदित है.भाषा ही वह साधन है, जिससे मनुष्य अपनी अभिव्यक्ति प्रदान करता है. झारखंड राज्य अलग होने के बाद आज 20 से 21 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक न तो यहां भाषा अकादमी का गठन हो पाया है न ही साहित्य अकादमी का गठन हो पाया है. झारखंड एक आदिवासी बहुल इलाका है और यहां न सिर्फ 32 जनजातियां हैं जिसकी अपनी भाषा है, अपनी संस्कृति है, उनके लोकगीत हैं,

बल्कि यहां आदिम जनजातियां भी हैं, उनके भी अपनी भाषा, संस्कृति, लोकगीत हैं और इसलिए उन तमाम चीजों को सहेजने के लिए सबसे जरूरी जो काम है, जो सरकार को करना चाहिए था वो है राज्य में भाषा अकादमी का गठन. अकादमी के माध्यम से सभी भाषाओं पर शोधकार्य किये जायें. ज्यादा से ज्यादा उसे शिक्षण कार्य से जोड़ा जाए क्योंकि किसी भी समाज के लिए भाषा ही माध्यम रहा है, जिससे मनुष्य ने मानव सभ्यता को आगे बढ़ाया है.

झारखंड साहित्य अकादमी संघर्ष समिति के बैनर तले लंबे संघर्षों के बाद वर्तमान में राज्य सरकार के द्वारा तीन अकादमियों के गठन हेतु प्रस्ताव तैयार है, साथ ही सुझाव भी आमंत्रित है. राज्य के लिए तीनों अकादमियों का गठन जरूरी है. विलुप्त हो रही कला, संस्कृति एवं भाषाओं को संरक्षित करना सर्वोपरि है. किसी जनजातीय एवं क्षेत्रीय समुदाय की विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर, जिसे अक्षुण्ण रखने का सवाल हो तो उस को बचाने की जरूरत है और इसलिए यहां की भाषाओं को सबसे ज्यादा संरक्षित करने की जरूरत है.

जहां भी उस तरह की कला, संस्कृति एवं भाषा है उसे संरक्षण मिलना चाहिए इसकी गांरटी प्रस्तावित प्रारूप में स्पष्ट जिक्र नहीं किया गया है कि किन-किन भाषाओं को सरकार संरक्षण देना चाहती है साथ ही उन आदिम जनजातियों की कला, संस्कृति एवं भाषाओं को कैसे संरक्षित करना चाहती है. साहित्य अकादमी के प्रस्तावित प्रारूप में राज्य के विश्वविद्यालयों/कॉलेजों से दस भाषाविदों को जगह दिए जाने की बात कही गयी है.

इसकी बजाय पांच भाषाविदों को रखा जाए एवं बाकी पांच वैसे साहित्यकार, कथाकारों, शिक्षाविदों को रखा जाए जो साहित्य सेवा में लगातार सक्रिय हों. तीनों अकादमियों के प्रस्तावित प्रारूपों में एक कॉमन बात है कि प्रत्येक जिला से जिला उपायुक्तों के द्वारा एक-एक सदस्यों का मनोनयन महासभा के लिए किया जाएगा जिसके बाद महासभा के सदस्य,प्रख्यात साहित्यकारों एवं भाषाविदों के द्वारा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव,कोषाध्यक्ष व अन्य कार्यकारणी समितियों का गठन किया जाएगा, जो केवल अकादमी को सरकारी नीरसता की ओर ले जाने का संकेत देती है.

इसमें सुधार की आवश्यकता है. उपायुक्त के जगह पर विभागीय मंत्रालय के द्वारा तय कमिटी विज्ञापनों के जरिये मानक शर्तों को रख कर महासभा के लिए सदस्यों का चयन किया जाना चाहिए या फिर वर्तमान में झारखंड साहित्य अकादमी संघर्ष समिति के राज्य कमिटी के पदाधिकारियों को प्राथमिकता मिले, जिससे अकादमी में सृजनात्मक बनी रहे और वर्षों से यहां के साहित्यकारों, कलाकारों, कथाकारों व लोकगायकों ने राज्य के लिए जो सपना देखा है, उसे साकार किया जा सके, जिसके लिए वीर पुरखों ने कुर्बानियां दी हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें