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झारखंड के छात्रों को तीन साल से नहीं मिली साइकिल, 9 लाख से अधिक वंचित, जानें क्यों हुई थी इसकी शुरुआत

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शैक्षणिक सत्र 2020-21 व 2021-22 के छात्रों को साइकिल नहीं मिल सकी है. अब लगभग तीन लाख छात्र सातवीं पास कर आठवीं में पहुंच कर साइकिल लेने के हकदार हो गये हैं. और उन्हें भी साइकिल का इंतजार है.

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झारखंड में गरीब छात्रों को पिछले तीन वर्षों से साइकिल नहीं मिल रही है़ राज्य में आठवीं कक्षा में पढ़नेवाले एसटी-एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक छात्रों को साइकिल देने की योजना है़, लेकिन वर्ष 2020 से ही कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजना का लाभ स्कूली छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पाया है. लगभग नौ लाख से ज्यादा बच्चे इस योजना से वंचित रह गये. जिन विद्यार्थियों को आठवीं कक्षा में साइकिल मिलनी थी, वे बिना साइकिल ही नौवीं और 10वीं कक्षा में पहुंच गये हैं.

शैक्षणिक सत्र 2020-21 व 2021-22 के छात्रों को साइकिल नहीं मिल सकी है. अब लगभग तीन लाख छात्र सातवीं पास कर आठवीं में पहुंच कर साइकिल लेने के हकदार हो गये हैं और उन्हें भी साइकिल का इंतजार है. वैसे गुरुवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में आठवीं, नौवीं और 10वीं के बच्चों को साइकिल देने का फैसला हुआ.

डीबीटी बंद किया, टेंडर हुआ नहीं :

2020 में कोविड का संक्रमण आया. स्कूल बंद होने की वजह से करीब तीन लाख बच्चों को साइकिल खरीद का पैसा डीबीटी से नहीं दिया गया. इसके बाद अगले वर्ष बच्चों को साइकिल देने की योजना बनायी गयी़ सरकार ने प्रस्ताव तैयार किया कि आठवीं से नौवीं में जानेवाले बच्चों को साइकिल दी जायेगी. छह लाख बच्चों को साइकिल वितरण की योजना बनी. कल्याण विभाग ने नये प्रावधान बनाये.

इसमें तय किया कि बच्चों को डीबीटी के माध्यम से पैसे नहीं दिये जायेंगे. टेंडर निकाल कर साइकिल की खरीद सरकार करेगी. पर साइकिल खरीद के लिए टेंडर आज तक निकला ही नहीं. कल्याण विभाग को इस योजना को चलाने के लिए 122 करोड़ रुपये की राशि आवंटित होती है. यह राशि हर वित्तीय वर्ष के लिए होती है. दो वर्ष में गरीब छात्रों का 244 करोड़ की राशि का उपयोग नहीं हो पाया. अगर वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस योजना को तहत बच्चों की साइकिल का वितरण नहीं हुआ, तो 366 करोड़ रुपये बेकार चले जायेंगे.

क्यों हुई थी योजना की शुरुआत :

इस योजना को सरकार ने आठवीं कक्षा से शुरू किया था़ माध्यमिक स्कूल से पास करने के बाद बच्चे हाइस्कूल में जाते है़. पंचायतों में हाईस्कूल की दूरी ज्यादा होती है. बच्चे दूर से आते है़ं. उनके आने जाने में सुगमता हो, इसलिए साइकिल वितरण योजना की शुरुआत की गयी थी. बच्चों के ड्रॉप आउट को रोकने के लिए यह योजना बनी थी.

सामान्य वर्ग के बच्चों को भी देनी है साइकिल

स्कूलों में पढ़ने वाले सामान्य वर्ग के बच्चों को शिक्षा विभाग की ओर से साइकिल की राशि दी जाती थी़ अब सरकार ने सामान्य वर्ग के बच्चों को भी कल्याण विभाग के माध्यम से ही साइकिल देने का निर्णय लिया है. इस कारण शिक्षा विभाग द्वारा दी जाने वाली साइकिल भी बच्चों को नहीं मिल रही है.

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