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स्मृति व्याख्यान में बोले सीजेआइ, मीडिया द्वारा संचालित कंगारू अदालतें लोकतंत्र के लिए हानिकारक

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देश के प्रधान न्यायाधीश(सीजेआइ) एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि मीडिया द्वारा चलायी जा रही कंगारू अदालतें और एजेंडा आधारित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया ट्रायल से न्यायपालिका की स्वतंत्रता व निष्पक्ष कामकाज प्रभावित होता है.

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Ranchi News: देश के प्रधान न्यायाधीश(सीजेआइ) एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि मीडिया द्वारा चलायी जा रही कंगारू अदालतें और एजेंडा आधारित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया ट्रायल से न्यायपालिका की स्वतंत्रता व निष्पक्ष कामकाज प्रभावित होता है. रांची में झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में आयोजित पटना हाइकोर्ट की रांची सर्किट बेंच के गोल्डेन जुबली समारोह व न्यायमूर्ति सत्यव्रत सिन्हा की स्मृति में स्थापित व्याख्यान के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सीजेआइ रमण ने कहा कि मीडिया ट्रायल किसी मामले में फैसला लेने में मार्गदर्शक कारक साबित नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में हमने मीडिया को कई बार उन मुद्दों को लेकर कंगारू अदालतें चलाते देखा है, जिनमें अनुभवी न्यायाधीशों के लिए भी निर्णय लेना मुश्किल होता है. कहा कि न्याय प्रदान करने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना का प्रसार व एजेंडा आधारित बहस लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रही है. मीडिया द्वारा प्रचारित किये जा रहे पक्षपातपूर्ण विचार लोगों को प्रभावित कर रहे हैं. कार्यक्रम में स्वागत संबोधन झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन ने किया.

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प्राथमिकता के आधार पर मामले तय करना न्यायपालिका के समक्ष बड़ी चुनौती

सीजेआइ रमण ने कहा कि मौजूदा समय में न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक निर्णय के लिए प्राथमिकता के आधार पर मामले तय करना है, क्योंकि न्यायाधीश सामाजिक हकीकतों के प्रति आंखें नहीं मूंद सकते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के समन्वित प्रयासों से ही बुनियादी ढांचे के संवेदनशील मुद्दे को हल किया जा सकता है. उन्होंने न्यायपालिका को मजबूत करने की जरूरत पर भी बल दिया और कहा कि न्यायाधीशों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. कहा कि क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक न्यायाधीश, जिसने दशकों तक पीठ में सेवाएं देते हुए कुख्यात अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेला हो, एक बार जब वह सेवानिवृत्त हो जाता है, तो कार्यकाल के साथ मिलनेवाली सभी सुरक्षा खो देता है?

इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया बने जिम्मेवार

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से जिम्मेवारी के भाव से काम करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि शक्ति का इस्तेमाल एक प्रगतिशील, समृद्ध व शांतिपूर्ण भारत का निर्माण करने के सामूहिक प्रयास की दिशा में लोगों को शिक्षित करने और राष्ट्र को सक्रिय करने के लिए किया जाना चाहिए.

चांडिल व नगर ऊंटारी में अनुमंडलीय कोर्ट का ऑनलाइन उद्घाटन

भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने मौके पर सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल व गढ़वा जिले के नगर ऊंटारी में अनुमंडलीय कोर्ट का ऑनलाइन उद्घाटन किया.

अपने शब्दों पर विचार करना व नाप-तौल कर बोलना मीडिया हित में

सीजेआइ रमण ने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही बची है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं है, क्योंकि यह जो दिखाता है, वह हवा में गायब हो जाता है. उन्होंने कहा कि कई बार मीडिया में, खासकर सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ अभियान चलाये जाते हैं. उन्होंने कहा कि मीडिया के लिए जवाबदेही तय करने की मांग जोर पकड़ रही है. कहा कि हालिया ट्रेंड को देखते हुए अपने शब्दों पर विचार करना व नाप-तौल कर बोलना वास्तव में मीडिया के हित में है. मीडिया को अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी करके सरकार या अदालतों को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देते, लेकिन कृपया इसे उनकी कमजोरी या लाचारी न समझें. जब आजादी का उसके अधिकार क्षेत्र में जिम्मेदारी से इस्तेमाल किया जाता है, तो उचित या आनुपातिक प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं पड़ती.

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