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JBVNL के अतिरिक्त बिजली खरीदने पर केंद्र सरकार ने लगायी रोक, DVC भी 10 प्रतिशत करेगा कटौती, जानें वजह

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जेबीवीएनएल के पीक आवर में अतिरिक्त बिजली खरीदने पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने रोक लगा दी है. वहीं, डीवीसी को भी 10 प्रतिशत बिजली कटौती का निर्देश दिया गया है

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रांची : केंद्र सरकार ने जेबीवीएनएल के पीक आवर में अतिरिक्त बिजली खरीदने पर रोक लगा दी है. वहीं, डीवीसी को भी 10 प्रतिशत बिजली कटौती का निर्देश दिया गया है. इसकी बड़ी वजह है जेबीवीएनएल ने डीवीसी को वर्तमान बिल का भुगतान नहीं किया है. वर्तमान बिल के भुगतान में 45 दिनों के विलंब होने पर केंद्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी (लेट पेमेंट सरचार्ज एंड रिलेटेड मैटर्स) रूल्स 2022 के तहत रोक लगा देती है. यह नियम जून 2022 से लागू है.

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जून में ही केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र भेज कर इसकी जानकारी दी थी. यह भी कहा था कि पूर्व के जो भी बकाया हैं, उसका भुगतान अविलंब कर दें. वहीं, वर्तमान बिल के भुगतान में विलंब होने पर धीरे-धीरे बिजली कटौती शुरू कर दी जायेगी. इसकी अद्यतन स्थिति केंद्र सरकार की प्राप्ति पोर्टल पर दी जाती है. प्राप्ति पोर्टल के अनुसार, झारखंड बिजली वितरण निगम पर 88.43 करोड़ रुपये बकाया है.

15 अक्तूबर तक अंतिम तिथि थी. लेकिन भुगतान नहीं किया गया. छह दिन बीत गये हैं. प्राप्ति पोर्टल पर हर दिन राज्यों की अद्यतन स्थिति दी जाती है. झारखंड के साथ कर्नाटक में हुबली इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड पर 8.72 करोड़ रुपये बकाया है. दोनों राज्यों में फिलहाल पीक आवर में पावर एक्सचेंज से ली जानेवाली बिजली पर रोक लगा दी गयी है.

50 से 100 मेगावाट ली जाती है पावर एक्सचेंज से बिजली 

झारखंड में औसतन प्रतिदिन 2000 मेगावाट के करीब बिजली की मांग रहती है. पीक आवर में यह मांग बढ़कर 2200 मेगावाट तक चली जाती है. इस मांग की पूर्ति के लिए पीक आवर यानी शाम पांच बजे से रात नौ बजे के बीच पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदी जाती है. जिसकी दर अधिकतम 12 रुपये प्रति यूनिट तक पड़ती है. हालांकि, इसकी दर हर घंटे पर बदलती रहती है. तीन रुपये प्रति यूनिट से आरंभ होकर 12 रुपये प्रति यूनिट तक जाती है. फिलहाल, झारखंड को इस अतिरिक्त बिजली खरीदने पर रोक लगी हुई है.

दूसरी ओर डीवीसी द्वारा भी कमांड एरिया में 10 प्रतिशत से अधिक बिजली कटौती का निर्देश है. डीवीसी द्वारा कमांड एरिया में 500 मेगावाट की जगह 400 मेगावाट बिजली दी जा रही है. जेबीवीएनएल के अधिकारियों की मानें तो इस कटौती से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है. ग्रामीण इलाकों में कहीं-कहीं कटौती की जा रही है. अभी बिजली की मांग भी कम है. इस कारण ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है.

मामला सुलझा रहे हैं : एमडी

जेबीवीएनएल के एमडी अविनाश कुमार ने कहा कि मामले को सुलझाया जा रहा है. जल्द ही भुगतान हो जायेगा. बिजली संकट की स्थिति नहीं है.

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