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झारखंड में जापानी इंसेफलाइटिस से पीड़ित मरीजों की संख्या 30, सर्वाधिक 12 मरीज रांची के

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शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनिताभ कुमार ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है. यह फ्लेविवायरस के संक्रमण से होता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है. पहले मरीज को सामान्य बुखार होता है, लेकिन पांच से 10 दिनों बाद जांच में इसका पता चलता है.

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रांची: झारखंड में जापानी इंसेफलाइटिस (जेइ) से अभी तक 30 मरीज पीड़ित हो चुके हैं. इसमें सबसे ज्यादा 12 मरीज रांची के हैं. इन मरीजों में तीन गुमला, दो खूंटी, दो लातेहार, दो बोकारो, दो देवघर, एक धनबाद, एक गढ़वा, एक हजारीबाग, एक जामताड़ा, एक लोहरदगा, एक पाकुड़ और एक रामगढ़ का रहनेवाला है. इसमें तीन बच्चों का इलाज रिम्स के शिशु विभाग में हुआ है. एक बच्चे को स्वस्थ होने के बाद छुट्टी दे दी गयी है. जापानी इंसेफलाइटिस का टीका बाजार में उपलब्ध है, जिसकी कीमत 650 से 750 रुपये तक है. सरकार के नियमित टीकाकरण अभियान में भी इसका टीका नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है.

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मच्छरों के काटने से फैलती जापानी इंसेफलाइटिस

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनिताभ कुमार ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है. यह फ्लेविवायरस के संक्रमण से होता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है. पहले मरीज को सामान्य बुखार होता है, लेकिन पांच से 10 दिनों बाद जांच में इसका पता चलता है.

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जापानी इंसेफलाइटिस के लक्षण

– तेज बुखार

– गर्दन में अकड़न

– सिरदर्द

– बुखार आने पर घबराहट

– ठंड के साथ-साथ कंपकंपी

– कई बार बेहोशी की समस्या

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जापानी इंसेफलाइटिस का टीका उपलब्ध

जापानी इंसेफलाइटिस का टीका बाजार में उपलब्ध है, जिसकी कीमत 650 से 750 रुपये तक है. वहीं, सरकार के नियमित टीकाकरण अभियान में भी इसका टीका नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनिताभ कुमार ने बताया कि टीका का दो डोज है. पहला डोज एक वर्ष की उम्र में लगाया जाता है. वहीं, दूसरा टीका पहले टीका लगने के एक महीना से एक वर्ष के बीच में लगाया जाता है.

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रिम्स में किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारी, प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग भेजा गया

रिम्स में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने का प्रयास दोबारा तेज हो गया है. रिम्स के स्टेट आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) ने इससे संबंधित प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया है. प्रस्ताव में यह बताया गया है कि रिम्स में नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी, सुपर स्पेशियलिटी विंग के अलावा प्रशिक्षित एनिस्थिसिया विभाग के डॉक्टर हैं, इसलिए किडनी ट्रांसप्लांट को अनुमति मिलने के बाद शुरू किया जा सकता है. नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग द्वारा भी इससे संबंधित प्रस्ताव रिम्स प्रबंधन को भेजा गया है.

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25 बेड का डायलिसिस यूनिट भी तैयार हो रहा

इसी कड़ी में नेफ्रोलॉजी विभाग में 25 बेड का डायलिसिस यूनिट भी तैयार किया जा रहा है. 25 बेड के इस विंग में नेफ्रो प्लस का सहयोग लिया गया है. नेफ्रो प्लस से अनुबंध कर सेटअप तैयार कर लिया गया है. मशीनें भी मंगा ली गयी हैं. फिलहाल आंतरिक साज-सज्जा का काम चल रहा है. उम्मीद है कि एक महीना बाद यह विंग मरीजों के लिए उपलब्ध हो जायेगा. सूत्रों ने बताया कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग भी राज्य के सरकारी संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने को लेकर गंभीर है.

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रिम्स में ब्रेन डेथ वालों से मिलेगा अंगदान

रिम्स में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा ब्रेन डेथ वाले मरीजाें से की जायेगी. इससे किडनी के गंभीर मरीजों को अंगदान के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. राज्य में मेदांता और मेडिका अस्पताल में किडनी डोनर (परिवार का सदस्य) मिलने के बाद यह सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है.

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किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग काे भेजा प्रस्ताव

सोटो के नोडल अधिकारी डॉ राजीव रंजन ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग काे प्रस्ताव भेजा गया है. वहां से अनुमति मिल जाने के बाद हम पूरी तरह से तैयार हैं. रिम्स में इससे संबंधित विभाग पूरी तरह सुसज्जित है, इसलिए यहां किडनी ट्रांसप्लांट आसानी से शुरू किया जा सकता है.

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