24.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 07:13 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बिकती बेटियां: बचपन छीन खेलने-कूदने की उम्र में बच्चियों की जिंदगी बना दे रहे नरक, कैसे धुलेगा ये दाग ?

Advertisement

झारखंड के गांवों में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी समेत मूलभूत सुविधाओं के अभाव का फायदा उठाकर बच्चियों को बेच दिया जा रहा है. खासकर नाबालिगों को सपने दिखाकर प्रलोभन दिया जाता है. अच्छा काम दिलाने की आड़ में उनकी सौदेबाजी कर दी जाती है. कई बार इसमें इनके अपने सगे भी शामिल होते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची, गुरुस्वरूप मिश्रा

- Advertisement -

बिकती बेटियां. झारखंड में भोली-भाली आदिवासी मासूम बच्चियां बेच दी जा रही हैं. ये सुनकर शायद आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन 21वीं सदी का ये कड़वा सच जानकर आप सिहर उठेंगे. बचपन छीनकर खेलने-कूदने की उम्र में इनकी जिंदगी नरक बना दी जा रही है. गरीबी-लाचारी का फायदा उठाकर अच्छा काम दिलाने की आड़ में इन्हें दिल्ली के दलदल में फंसा दिया जाता है. इन्हें बेचकर बिचौलिए मोटी कमायी कर लेते हैं. जब तक इन्हें दुनियादारी की समझ होती है, तब तक इनका घर-परिवार सब कुछ बिखर चुका होता है. पिछले दो दशक में बड़ी संख्या में बेटियों का सौदा किया गया है. कुछ खुशकिस्मत थीं, जिन्हें रेस्क्यू कर लिया गया, लेकिन अब भी देश के कई राज्यों में बेटियां बड़े घरों में बंधुआ मजदूरी एवं कोठे पर तिल-तिल कर मर रही हैं. सवाल यही है कि आखिर ये दाग कब और कैसे धुलेगा?

भाई ने सहेलियों को बेचा ही, एक लाख में कर दिया मेरा भी सौदा

‘मैं 15 वर्ष की थी. मां-पापा, एक बहन और तीन भाई के साथ गांव में रहती थी. सहेलियों के साथ स्कूल में पढ़ाई करती थी. रथ मेला का समय था. गुमला के सिसई से मेरा चचेरा भाई गांव आया था. उसने मेरी सहेलियों को दिल्ली में बढ़िया काम दिलाने का भरोसा दिया. मैंने कहा कि अभी मुझे पढ़ाई करनी है, तो उसने मुझे झांसे में लेते हुए कहा-सहेलियों के साथ घूम-फिरकर दो-चार दिन में दिल्ली से आ जाना. उसके इरादे को मैं भांप नहीं पायी. रिश्तों को इस कदर वह तार-तार कर देगा, मुझे यकीन नहीं था. सहेलियों को उसने बेचा ही, एक लाख में उसने मुझे भी बेच दिया. 2016 का ये वाकया है’. रेस्क्यू के बाद किसी तरह दलदल से बाहर आयी बिटिया रीना (काल्पनिक नाम) ने ये खुलासा किया.

घूमाने के बहाने भाभी ने दिल्ली में बेच दिया

ममता (काल्पनिक नाम) बताती है कि वो महज 15 साल थी. आठवीं में पढ़ती थी. गांव में दो बहन और तीन भाई के साथ रहती थी. मां-पिता रांची में रहकर काम करते थे. एक दिन घर में अकेली थी. तभी पड़ोस की भाभी आयीं और कहने लगीं कि चलो बाहर घूमने चलते हैं. वह मुझे गुमला के पोकला स्टेशन ले आयीं. वहां पहले से मामी पहुंची हुई थीं. वह फोन पर किसी से बात कर रही थीं. तभी वहां मामी की बहन भी आ गयीं. स्टेशन पर ट्रेन आई, तो मामी कहने लगीं कि मेरी बहन के साथ दिल्ली चली जाओ. घूम कर वापस आ जाना. मैं कुछ समझी नहीं. मना भी किया कि मुझे दिल्ली नहीं जाना है, लेकिन मामी कुछ नहीं सुनीं. अपनी बहन के साथ ट्रेन में बिठा दीं. दिल्ली में मुझे बेच दिया गया. सुबह से देर रात तक काम कराया जाता और मारपीट भी की जाती थी. घर में फोन से बात कराने पर मालिक बोलते थे कि मैंने तुम्हें खरीद लिया है. अब यही तेरी दुनिया है. किसी तरह एक दिन यहां से भाग निकली और घर वापस लौट सकी.

Also Read: कोमालिका बारी : तीरंदाज बिटिया के लिए गरीब पिता ने बेच दिया था घर, अब ऐसे देश की शान बढ़ा रही गोल्डन गर्ल

अपहरण कर दिल्ली में बेच दिया

मैं सिर्फ 12 साल की थी. उसी वक्त मां की मौत हो गयी थी. पिता ने मेरी परवाह किए बगैर दूसरी शादी कर ली. घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. गरीबी-लाचारी के बीच मैं पीस रही थी. इसी बीच अपहरण कर मुझे दिल्ली में बेच दिया गया. मैं घरेलू काम करने पर मजबूर थी. विरोध करने पर मुझे दोबारा बेच दिया गया और जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया गया. तभी एक दिन मौका पाकर मैं किसी तरह खिड़की से कूदकर नरक की जिंदगी से बाहर निकली और ऑटो वाले की मदद से पुलिस स्टेशन पहुंची. इसके बाद मैं अपने घर लौट सकी. ये दर्द मासूम बच्ची रेखा (काल्पनिक नाम) के हैं.

मां ने अनजान शख्स को सौंपा, उसने मुझे दो बार बेचा

मैं महज दस साल की थी. पिता और बहन की मौत हो गयी थी. मां और एक भाई के साथ किसी तरह जिंदगी काट रही थी. एक अदद घर भी मयस्सर नहीं था. फूस की झोपड़ी में रहती थी. शराब बेचकर परिवार चलाती थी. कई लोग शराब पीने आते थे. एक अनजान व्यक्ति की उस पर बुरी नजर थी. पिछले कई दिनों से वह उसके परिवार को जानने का प्रयास कर रहा था. घर की मजबूरी जानकर उसने उसकी मां को प्रलोभन दिया कि वह उसकी बेटी को अच्छा काम दिला देगा. काफी पैसे मिलेंगे. भोली-भाली मां उसके बहकावे में आ गयी. लाख मना करने के बाद भी मां ने उसकी बात नहीं मानी और उस अनजान शख्स को सौंप दिया. वह दुमका से मुझे कोलकाता ले गया फिर दिल्ली ले जाकर बेच दिया. घरेलू काम के दौरान बेइंतहा जुल्म ढाए गए. जब वह बालिग हुई तो उसे कोठे पर बेच दिया गया. तिल-तिल पर मैं मर रही थी, तभी रेस्क्यू कर उसे बाहर निकाला गया. आज वह अपनी ही जैसी पीड़ित बेटियों की मदद कर रही है.

Also Read: झारखंड का एक गांव था ऐसा, जिसका नाम बताने में आती थी शर्म, अब गर्व से बताते हैं अपने गांव का ये नाम

काम दिलाने की आड़ में सौदेबाजी

ये कुछ चंद उदाहरण हैं कि कैसे हमारी भोली-भाली बहन-बेटियां दिल्ली के दलदल में फंस रही हैं और उनकी जिंदगी नरक बन रही है. प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए देश के कई राज्यों में इन्हें बेच दिया जा रहा है. कुछ सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें रेस्क्यू कर निकाल लिया गया है. अभी भी बड़ी संख्या में बेटियां जुल्म सहने को मजबूर हैं. सब रिश्ते दागदार हो गए हैं. सौदेबाजी से एक तरफ जहां मासूम बच्चियां खेलने-कूदने की उम्र में जुल्म की शिकार हो रही हैं, वहीं इस धंधे से जुड़े लोग करोड़ों में खेल रहे हैं. रेलवे पुलिस की तत्परता से कुछ बेटियां रेलवे स्टेशनों पर ही रेस्क्यू कर ली जा रही हैं, लेकिन बड़ी संख्या में अब भी बेटियां दिल्ली में काम दिलाने की आड़ में बेची जा रही हैं. झारखंड में 90 फीसदी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार हमारी आदिवासी बेटियां होती हैं.

सोशल मीडिया से प्रेम जाल में फंसाया, शादी की और बेच डाला

मानव तस्करों की सोशल मीडिया पर पैनी नजर रहती है. फिल्मी गानों पर वीडियो पोस्ट करने वाली नाबालिगों को वे निशाना बनाते हैं. सोशल मीडिया पर एक्टिव एक ऐसी ही नाबालिग से मानव तस्कर ने दोस्ती की और अपने प्रेम जाल में फंसाया. बोकारो से रांची बुलाकर उसने नाबालिग से शादी भी कर ली. फिर नाबालिग को झांसा दिया कि वह उसे मुंबई ले जाकर हीरोइन बनाएगा, लेकिन गोवा ले जाकर उसने जिस्म के सौदागरों के हाथों उस मासूम का सौदा कर दिया. रेस्क्यू के बाद दलदल से बाहर आयी बिटिया ने जो आपबीती सुनायी, उससे सुनकर रुह कंप जाएगी. उसकी मानें तो रोज कई लोग उसके साथ दुष्कर्म किया करते थे.

गरीबी का फायदा उठाते हैं तस्कर

झारखंड के गांवों में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी समेत मूलभूत सुविधाओं के अभाव का फायदा मानव तस्कर उठाते हैं. खासकर नाबालिगों को ये सपने दिखाकर प्रलोभन देते हैं और सौदा कर डालते हैं. तस्करी की शिकार पीड़िताओं को उचित व्यवस्था भी नहीं मिल पाती है. इस कारण कई बार वे दोबारा शिकार हो जाती हैं और दलदल में फंस जाती हैं.

मुआवजे का प्रावधान

प्रावधान के मुताबिक, मानव तस्करी की शिकार पीड़िता को दो लाख रुपये और तस्करी के क्रम में दुष्कर्म की शिकार पीड़िता को ढाई लाख रुपये मुआवजा के तौर पर देना है, लेकिन कई को मुआवजे की राशि भी नहीं मिल पाती है.

टोल फ्री नंबर 10582 पर दी जा सकती है सूचना

ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर रोक के लिए झारखंड सरकार की ओर से दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है. इसके जरिए रेस्क्यू कर बच्चियों को उनके जिलों में पुनर्वासित किया जाता है. टोल फ्री नंबर 10582 पर भी इसकी सूचना दी जा सकती है. ये 24 घंटे सातों दिन कार्य करता है. कई बेटियों को अब तक रेस्क्यू किया जा चुका है.

माता-पिता भी हैं जिम्मेदार

माता-पिता की लापरवाही से भी बेटियां बिक रही हैं. कई बार ऐसा देखा गया है कि माता-पिता एवं रिश्तेदारों की सहमति से ही बच्चियां दलालों के चंगुल में फंस जा रही हैं और बेच दी जा रही हैं.

देश में सर्वाधिक 373 केस झारखंड में दर्ज

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें, तो झारखंड में 2018 में 373 मानव तस्करी के केस दर्ज किए गए, जो देश में सबसे अधिक हैं. इनमें से 314 मामले नाबालिग लड़कियों से जुड़े हैं.

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट का गठन

वर्ष 2011 में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) का गठन किया गया, ताकि बेची जा रही बच्चियों पर रोक लगे. गुमला नगर थाना, सिमडेगा नगर थाना, खूंटी नगर थाना, दुमका नगर थाना, रांची कोतवाली थाना, पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा सदर थाना, लोहरदगा सदर थाना व पलामू सदर थाना समेत सभी जिलों में एएचटीयू का गठन किया गया है. हालांकि इसके बाद भी बेटियों की सौदेबाजी जारी है.

बच्चियों का सौदागर पन्नालाल बन गया करोड़पति

ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए कुख्यात करोड़पति पन्नालाल महतो दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए झारखंड की गरीब व नाबालिग लड़कियों को नौकरी दिलाने के नाम पर देश-विदेश में में बेच देता था. इसके खिलाफ 16 केस दर्ज थे, लेकिन 10 केस में रिहा हो चुका है. रांची एनआईए की विशेष अदालत में एक केस में गवाही चल रही है. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने पन्नालाल की जमानत पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में ये जानकारी दी है.

10 केस में रिहा हो चुका है पन्नालाल

राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दिए गए शपथ पत्र के अनुसार पन्नालाल के खिलाफ खूंटी, मुरहू, तोरपा, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (जगन्नाथपुर), एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (बसिया), गुमला एवं बरियातू थाना में कुल 16 केस दर्ज किये गये थे. 10 केस में रिहा हो चुका है. मुरहू थाना में दर्ज दो मामलों में खूंटी सिविल कोर्ट में रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के कारण पारित आदेश उपलब्ध नहीं हो सका है.

एनआईए की विशेष अदालत में चल रही गवाही

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (खूंटी) में दर्ज केस (07/2019) को नौ अप्रैल 2020 को नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) को स्थानांतरित किया गया है. रांची एनआईए की विशेष अदालत में इस मामले में गवाही चल रही है. एनआईए की ओर से तीन गवाहों का बयान दर्ज कराया गया है. फरवरी में कोर्ट ने पन्नालाल के साथ उसकी पत्नी सुनीता कुमारी, भाई शिव शंकर गंझू एवं सहयोगी गोपाल उरांव के खिलाफ आरोप गठन किया था.

पत्नी सुनीता देश की कुख्यात मानव तस्कर

कुख्यात मानव तस्कर पन्नालाल महतो की पत्नी सुनीता देवी झारखंड ही नहीं, बल्कि देश की कुख्यात मानव तस्कर के रूप में कुख्यात है. इसके खिलाफ एनआईए ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. अप्रैल 2022 में इसने एनआईए की अदालत में सरेंडर कर दिया था. पन्नालाल और उनकी पत्नी सुनीता पर 15 साल में 5 हजार बेटियों का सौदा कर करीब 100 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है.

खूंटी का रहने वाला है ह्यूमन ट्रैफिकिंग का किंगपिन

झारखंड में ह्यूमन ट्रैफिकिंग का किंगपिन पन्नालाल महतो खूंटी जिले के मुरहू थाना क्षेत्र के गनालोया गांव का रहने वाला है. वह भोली-भाली मासूम बच्चियों को दिल्ली, नोएडा, पंजाब, गोवा, मुंबई, हरियाणा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, लखनऊ, चंडीगढ़, बेंगलुरु, जयपुर, हैदराबाद समेत अन्य राज्यों में बेच देता था. इन्हें घरेलू काम या देह व्यापार में धकेल दिया जाता था.

बेची गयीं बेटियों के आंकड़े हैं डरावने

सरकारी आंकड़ों में बेची गयीं बेटियों की दर्ज संख्या बेहद कम है, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है. कुख्यात मानव तस्कर पन्नालाल ने अपने कबूलनामे में स्वीकार किया है कि उसने पत्नी व परिवार के साथ मिलकर करीब 5000 मासूम बच्चियों का सौदा किया है. ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आंकड़े कितने डरावने हो सकते हैं. झारखंड में बाबा बामदेव, रोहित मुनी, प्रभा मुनि, सुरेश साहू, गायत्री साहू, पवन साहू व लता लकड़ा समेत कई पुरुष व महिला तस्कर सक्रिय रहे हैं. कई माता-पिता को वर्षों बाद आज भी अपनी औलाद के घर वापसी का इंतजार है. वे थाना-पुलिस का चक्कर लगाकर थक चुके हैं.

बेची गयी बेटियों में 90 फीसदी गरीब आदिवासी

टीआरआई की रिसर्च की मानें, तो बेची गयी बेटियों में 90 फीसदी गरीब आदिवासी परिवार की हैं. 10 फीसदी दलित समुदाय से आती हैं. 26 फीसदी बेटियां अशिक्षित होती हैं. यही वजह है कि ये आसानी से बिचौलियों के झांसे में आ जाती हैं. 14 फीसदी प्राइमरी पास होती हैं, जबकि 30 फीसदी मिडिल पास. 30 फीसदी हाईस्कूल पास होती हैं. शोध बताती है कि पंजाब व हरियाणा में इन्हें जबरन शादी के लिए बेचा जाता है.

ये जिले हैं अतिसंवेदनशील

यूं तो पूरा झारखंड महानगरों में बेटियों की बिक्री को लेकर कुख्यात है, लेकिन कुछ जिले अतिसंवेदनशील की श्रेणी में हैं. इनमें पश्चिमी सिंहभूम, लातेहार, सिमडेगा, खूंटी, गुमला, साहिबगंज एवं पाकुड़ शामिल हैं.

ये है समाधान

सेवानिवृत आईपीएस पीएम नायर कहते हैं कि नौकरी का लालच देकर महानगरों में सरेआम झारखंड की बेटियां बेची जा रही हैं और ये लंबे समय से चल रहा है. प्रशासनिक स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इसे रोका जा सके, लेकिन ये मामला थम नहीं रहा है. इसे खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा.

कानून को सख्ती से करना होगा लागू

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सरफराज अहमद खान की मानें, तो झारखंड में सजा की दर सबसे अधिक है, लेकिन इससे निबटने के लिए अनैतिक तस्करी(निषेध) अधिनियम 1956 को सख्ती से लागू करना होगा.

लंबी सुनवाई में मुकर जाते हैं गवाह

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रविकांत कहते हैं कि अदालत में सुनवाई की लंबी प्रक्रिया के दौरान गवाह मुकर जाते हैं. मुआवजा भी जल्दी नहीं दिया जाता और ये आसानी से उन्हें नहीं मिल पाता, जबकि ये पीड़िता का अधिकार है. कोई दान नहीं है.

जिला-केस-ट्रैफिकिंग पीड़ित-बरामदगी-अरेस्टिंग

रांची- 47-116-103-50

लोहरदगा- 22-52-47-16

गुमला- 116-188-170-105

सिमडेगा- 85-212-228-126

खूंटी- 62-121-114-64

चाईबासा- 31-162-149-38

सरायकेला- 01-02-02-00

जमशेदपुर- 12-24-24-23

पलामू- 12-33-32-18

गढ़वा- 16-48-47-32

लातेहार- 29-92-90-54

हजारीबाग- 09-24-23-10

कोडरमा- 02-02-01-07

गिरिडीह- 24-54-50-32

चतरा- 11-26-25-23

रामगढ़- 06-06-06-18

बोकारो- 03-04-01-04

धनबाद- 13-14-11-08

दुमका- 17-24-16-26

गोड्डा- 32-35-30-28

साहिबगंज-59-149-119-35

पाकुड़- 25-41-41-37

देवघर- 04-04-04-05

जामताड़ा-05-05-04-04

रेल धनबाद-04-16-16-05

रेल जमशेदपुर-09-120-120-15

कुल- 656-1574-1473-783

झारखंड में वर्षवार ट्रैफिकिंग के दर्ज केस

वर्ष केस दर्ज

2006 07

2007 10

2008 11

2009 26

2010 25

2011 44

2012 83

2013 96

2014 147

2015 172

2016 109

2018 373

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें