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झारखंड विधानसभा नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा क्या हुई कार्रवाई, फाइल सौंपने का दिया आदेश

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झारखंड विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा, जबकि प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा.

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झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने राज्य सरकार व विधानसभा सचिवालय से पूछा कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट आने के बाद उसके आधार पर क्या कार्रवाई की गयी है. आयोग की रिपोर्ट आने पर राज्य सरकार और विधानसभा ने आगे क्या प्रक्रिया अपनायी थी. खंडपीठ ने आयोग की रिपोर्ट पर की गयी कार्रवाई से संबंधित संचिका प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

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अगली सुनवाई 13 मई को होगी

इस मामले में खंडपीठ ने राज्यपाल के प्रधान सचिव को प्रतिवादी बनाया. साथ ही अगली सुनवाई के लिए 13 मई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग की सीलबंद रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट छह माह के अंदर विधानसभा के पटल पर नहीं रखी जा सकी थी. इसके बाद सरकार को दूसरे आयोग का गठन करना पड़ा.

राज्य सरकार ने दो आयोगों की रिपोर्ट सौंपी

झारखंड विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा, जबकि प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है. प्रार्थी ने मामले में आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई व सीबीआइ जांच की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि अवैध नियुक्तियों की जांच के लिए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग बना था. आयोग ने वर्ष 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी. लेकिन इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बाद में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए एक और आयोग जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में बना दी गयी.

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