15.2 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 12:14 am
15.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

National Education Policy NEP 2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोले हेमंत सोरेन, निजीकरण एवं व्यापारीकरण को बढ़ावा मिलेगा, मौलिक अधिकारों पर होगा आघात

Advertisement

National Education Policy NEP 2020, Jharkhand News, CM Hemant Soren: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नयी शिक्षा नीति पर कई सवाल खड़े किये. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति निजीकरण एवं व्यापारीकरण को बढ़ावा देती है. यह नीति निजीकरण एवं व्यापारीकरण को बढ़ावा देती है, जिससे अवसर की समानता के मौलिक अधिकारों पर आघात होगा. राज्यों के राज्यपाल एवं उप-राज्यपाल तथा राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ उच्चतर शिक्षा के रूपांतरण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 की भूमिका पर आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उन्होंने ये बातें कहीं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची : राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नयी शिक्षा नीति पर कई सवाल खड़े किये. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति निजीकरण एवं व्यापारीकरण को बढ़ावा देती है. यह नीति निजीकरण एवं व्यापारीकरण को बढ़ावा देती है, जिससे अवसर की समानता के मौलिक अधिकारों पर आघात होगा. राज्यों के राज्यपाल एवं उप-राज्यपाल तथा राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ उच्चतर शिक्षा के रूपांतरण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 की भूमिका पर आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उन्होंने ये बातें कहीं.

- Advertisement -

श्री सोरेन ने कहा कि समवर्ती सूची (Concurrent List) का विषय होने के बावजूद राज्यों से इस संबंध में बात नहीं करना सहकारी संघवाद (Co-operative Federalism) की भावना को चोट पहुंचाता है. कहा कि इस नीति को लागू करने के लिए बजट कहां से आयेगा, इसको स्पष्ट नहीं किया गया है. नयी शिक्षा नीति में आदिवासी/ दलित/ पिछड़े/ गरीब/ किसान-मजदूर के बच्चों के हितों की रक्षा करने संबंधी प्रावधानों में स्पष्टता का अभाव है.

श्री सोरेन ने कहा कि इस नीति में रोजगार नीति पर कोई चर्चा नहीं की गयी है. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं पर चर्चा करते वक्त सिर्फ आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाओं का जिक्र एक बहुत बड़े वर्ग के साथ नाइंसाफी होगी. श्री सोरेन ने आशंका जाहिर की कि इस नीति की वजह से झारखंड जैसे भौगोलिक रूप से पिछड़े/ दुर्गम क्षेत्र वाले राज्यों को नुकसान होगा.

Also Read: दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर स्कूटी से पत्नी को परीक्षा दिलाने ग्वालियर पहुंचा आदिवासी युवक, अब हवाई जहाज से लौटेंगे झारखंड

श्री सोरेन ने कहा कि आजादी के बाद यह सिर्फ तीसरा मौका है, जब शिक्षा नीति पर चर्चा हो रही है. शिक्षा नीति के दूरगामी प्रभावों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत विविधता से भरा देश है. विभिन्न राज्यों की जरूरतें अलग-अलग हैं. शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है. इसे बनाने में सभी राज्यों के साथ खुले मन से चर्चा होनी चाहिए थी, ताकि कोई राज्य इसे अपने ऊपर थोपा हुआ नहीं माने. नीति बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और परामर्श के अभाव का भी मुद्दा श्री सोरेन ने उठाया.

श्री सोरेन ने कहा कि अब जब नीति बनकर तैयार हो गयी है, तब केंद्र सरकार राज्यों के साथ इस पर चर्चा कर रही है. अच्छा होता कि इस पर पहले बात होती और सभी राज्य सक्रिय रूप से इसे बनाने में अपनी भागीदारी निभाते. श्री सोरेन ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पिछले कुछ समय से कई सार्वजनिक संस्थानों के निजीकरण के निर्णय, वाणिज्यिक खनन (Commercial Mining) और जीएसटी (GST) पर केंद्र सरकार के एकतरफा निर्णय के बाद अब नयी शिक्षा नीति के नियमन में राज्यों से सलाह-मशविरा का अभाव सहकारी संघवाद की बुनियाद पर आघात प्रतीत होता है.

Also Read: झारखंड में 100 करोड़ की सड़क का ऐसा हुआ हाल

उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति के साथ-साथ रोजगार संबंधित नीति पर भी इसमें चर्चा होनी चाहिए थी. दोनों लगभग साथ-साथ चलती हैं. परंतु, वह यहां दिख नहीं रहा है. श्री सोरेन ने कहा कि स्कूल में ज्यादा वर्ष गुजारने से अगर बच्चे को रोजगार संबंधित फायदा नहीं दिखेगा, तो हम चाहें कितनी भी अच्छी शिक्षा नीति बना लें, वह सफल नहीं होगी.

उन्होंने कहा कि नयी नीति को लागू करने में खर्च होने वाली धनराशि कहां से आयेगी? उन्होंने कहा कि झारखंड में शिक्षा में उन्नति को लेकर वर्ष 2020-21 में राज्य के कुल बजट का 15.6% शिक्षा को समर्पित किया है, जो पिछले वर्ष से 2% ज्यादा है. उन्होंने कहा कि नयी नीति में कहा गया है कि जीडीपी का 6% शिक्षा पर खर्च होगा. इसके क्रियान्वयन के चलते राज्यों के कंधों पर अतिरिक्त कितना बोझ आयेगा, उस पर कुछ बात नहीं की गयी है.

श्री सोरेन ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को शिक्षा के माध्यम के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गयी है. ऐसा करते वक्त सिर्फ आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाओं का ही जिक्र किया जा रहा है. मेरे राज्य में हो, मुंडारी, उरांव (कुड़ुख) जैसी कम-से-कम 5 अन्य भाषाएं हैं, जिन्हें आठवीं अनुसूची में जगह नहीं मिल पायी है. 20 लाख लोग इन भाषाओं से जुड़े हैं. इनका क्या होगा.

हेमंत सोरेन ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में कॉलेजों को बहु-विषयक (Multidisciplinary) बनाने पर जोर देने की बात की गयी है. स्वाभाविक तौर पर ऐसे संस्थानों का निर्माण वहीं होगा, जो पहले से विकसित हों, जहां जनसंख्या का घनत्व ज्यादा हो. झारखंड एवं इसके जैसे भौगोलिक बनावट वाले राज्यों में या एक ही राज्य के अंदर कई तरह के क्षेत्र होते हैं, तो वहां भी यह दिक्कत सामने आयेगी.

छत्तीसगढ़ में विरले ही कोई निवेशक हिम्मत करेगा ऐसा संस्थान खोलने का. बस्तर में कोई ऐसा संस्थान क्यों खोलेगा. पश्चिम बंगाल में वही हानि जंगल महल इलाके को उठाना पड़ेगा, तो ओड़िशा में कालाहांडी के क्षेत्र को यह नुकसान झेलना होगा. उत्तर-पूर्व के राज्य इससे ज्यादा प्रभावित होंगे. कुल मिलाकर कहा जाये, तो देश के सबसे पिछड़े/ उपेक्षित इलाकों में नये संस्थान नहीं के बराबर खुलेंगे.

Posted By : Mithilesh Jha

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें