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हेमंत सोरेन ने मोदी सरकार पर लगाया झारखंड की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की साजिश रचने का आरोप

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Hemant Soren vs Narendra Modi: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर झारखंड की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की साजिश रचने के गंभीर आरोप लगाये हैं. मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके केंद्र सरकार को चेताया कि वह झारखंड के राजकोषीय व्यवस्था को असंतुलित करने की सुनियोजिश कोशिश बंद करे.

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Hemant Soren vs Narendra Modi रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा है कि झारखंड की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की साजिश हो रही है. झारखंड सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने ट्वीट करके केंद्र सरकार को चेताया कि वह झारखंड के राजकोषीय व्यवस्था को असंतुलित करने की सुनियोजिश कोशिश बंद करे.

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मुख्यमंत्री और हेमंत सोरेन ने शुक्रवार से ही ट्विटर पर केंद्र और झारखंड से चुने गये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 लोकसभा सांसदों पर हमला बोलना शुरू कर दिया. हेमंत सोरेन ने लिखा, ‘झारखंड के राजकोषीय व्यवस्था को असंतुलित करने की सुनियोजित कोशिश बंद करे केंद्र सरकार. भाजपा की डबल इंजन सरकार ने वैसे ही राज्य की अस्मिता गिरवी रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पूर्व की झारखंड की भाजपा सरकार ने संघीय ढांचे को भी तार-तार कर राज्य को दोराहे में खड़ा कर दिया, और अब यह?

अखबारों की क्लिपिंग के साथ मुख्यमंत्री ने एक के बाद एक कई ट्वीट किये हैं. उन्होंने लिखा है, ‘झारखंड से 12 सांसद हैं सत्तारूढ़ एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में, पर कितनी शर्म की बात है कि झारखंड एवं झारखंडवासियों से लगातार हो रहे पक्षपात पर किसी की तरफ से एक आवाज नहीं. आज झारखंडियों के हक के पैसे तो तुरंत काट लिये गये केंद्र सरकार द्वारा, पर हमारे पैसे हमें कब लौटाये जायेंगे?

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भाजपा के सांसदों को ललकारते हुए हेमंत सोरेन ने एक और ट्वीट किया, ‘क्यों इस पर सारे भाजपाई मौन धारण किये बैठे हैं. झारखंड पर हो रही इस बर्बरता पर उनका मन क्यों उद्वेलित नहीं करता है आम झारखंडियों जैसा? और ये जो बकाया आज केंद्र काट रहा है, वह इनके ही एक मूर्खतापूर्ण, तानाशाही भरे पांच साल के शासन का नतीजा है, जिसमें इन्होंने राज्य के खजाने को लगभग शून्य पर ला पटका था.

श्री सोरेन ने इसी ट्वीट को आगे बढ़ाया है, ‘तबसे हमने अपने सीमित संसाधनों के दम पर न सिर्फ कोरोना से मुकाबला जीता है, बल्कि अपने हर वादे को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं. ये हमारे पिछले नौ माह के कार्यों का ही नतीजा है कि भाजपा आज ऐसी गिरी हुई हरकतें करने को मजबूर है.’

झारखंडी अपना अधिकार लेना भी जानता है : झामुमो

केंद्र सरकार पर मुख्यमंत्री के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी ट्विटर पर जमकर हमला बोला. पार्टी ने कहा है कि एक युवा आदिवासी मुख्यमंत्री को देखकर फासीवादी भाजपा के रोंगटे खड़े हो गये हैं. झामुमो ने कहा कि जब से हेमंत सोरेन ने झारखंडी अधिकारों की मांग उठायी है, केंद्र की भाजपा सरकार ने राज्य के वंचित लोगों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से हमले शुरू कर दिये. पार्टी ने आगे लिखा है, ‘ध्यान रहे! झारखंडी अपना अधिकार लेना भी जानता है.’

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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 के मद्देनजर डीवीसी के बकाया भुगतान के मामले में राज्य सरकार को राहत नहीं दी, तो केंद्र और राज्य के बीच तकरार बढ़ गयी. राज्य सरकार भी बकाया राशि के भुगतान का दावा कर रही है. केंद्र ने अपनी राशि तो काट ली, लेकिन कोविड-19 के नाम पर राज्य सरकार के बकाये का भुगतान नहीं कर रही है. राज्य का केंद्र पर कुल 74,582 करोड़ रुपये बकाया है.

त्रिपक्षीय समझौते का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने राज्य के खाते से 1417.50 करोड़ रुपये काटकर डीवीसी के खाते में ट्रांसफर कर दिये हैं. केंद्र के इस कदम से राज्य की आर्थिक परेशानियां बढ़ गयी हैं. दूसरी तरफ, राज्य की इतनी बड़ी बकाया राशि का भुगतान कौन करेगा, इसका जवाब केंद्र नहीं दे रहा है. वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि कोरोना की वजह से राज्य की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है.

झारखंड पर है 85 हजार करोड़ का कर्ज

झारखंड सरकार ने कहा है कि पहले से ही राज्य पर 85 हजार करोड़ का कर्ज है. इस पर सालाना केवल सूद के तौर पर 5,645 करोड़ रुपये देने होते हैं. कोरोना काल में राजस्व कम हुआ है, जिसकी वजह से सरकार ने दिसंबर तक बजट का सिर्फ 25 प्रतिशत ही राशि खर्च करने का आदेश दिया है. महालेखाकार के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच महीने सरकार की कुल आमदनी 19,416.24 करोड़ थी. यानी हर माह औसतन आमदनी 3883.24 करोड़ है.

सरकार को विभिन्न राजस्व से प्रतिदिन औसतन 129.44 करोड़ रुपये पिछले पांच माह में मिले हैं. इस महीने की 15 तारीख तक सरकार के खाते में 1941.62 करोड़ रुपये थे. इसमें केंद्र ने 1417 करोड़ रुपये काट लिये, तो सरकार के खाते में 524.12 करोड़ रुपये ही बचे होने का अनुमान है. इतनी कम राशि से विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं, जबकि, कर्मचारियों के वेतन व पेंशन मद में हर माह 1500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. ऐसी स्थिति में कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर प्रभाव पड़ने की आशंका है.

Posted By : Mithilesh Jha

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