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15 साल नौ माह तक मधुपुर के विधायक रहे हाजी, आज पिपरा में होगा अंतिम संस्कार

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हाजी हुसैन झामुमो की टिकट पर पहली बार 1995 में तत्कालीन विधायक कृष्णानंद झा को हरा कर विजयी हुए थे

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रांची/मधुपुर : हाजी हुसैन अंसारी दिसंबर, 2019 में चौथी बार मधुपुर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण सह निबंधन मंत्री बनाये गये थे. हाजी हुसैन झामुमो की टिकट पर पहली बार 1995 में तत्कालीन विधायक कृष्णानंद झा को हरा कर विजयी हुए थे. इसके बाद 2000 में भाजपा प्रत्याशी विशाखा सिंह को हरा कर दोबारा जीते थे. वर्ष 2005 में वे भाजपा प्रत्याशी से पराजित हो गये. 2009 में तीसरी बार व 2019 में चौथी बार चुनाव जीते. उन्होंने 15 साल 9 महीना तक मधुपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. अपने चौथे कार्यकाल में वे सिर्फ 9 माह ही रह पाये.

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तीन भाइयों में सबसे बड़े थे हाजी हुसैन: आठ बहनों व तीन भाइयों में हाजी हुसैन सबसे बड़े थे. इनके बाद हाजी सोयब अंसारी दूसरे नंबर पर व हाजी सलाउद्वीन अंसारी सबसे छोटे हैं. इनके दोनो भाई पैतृक गांव पिपरा में ही रहते हैं और खेतीबारी व व्यवसाय करते हैं. जबकि हाजी हुसैन के चार पुत्र व तीन पुत्री हैं.

मधुपुर में शोक की लहर : अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सह स्थानीय विधायक हाजी हुसैन अंसारी (74) की इलाज के क्रम में रांची में निधन की खबर सुनते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गयी. मूसलाधार बारिश के बीच ही सैकड़ों लोग पथलचपटी स्थित उनके आवास पहुंचे और पुत्र समेत परिजनों से मिलकर सांत्वना दी.

बताया जाता है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद पिछले करीब एक सप्ताह से वे रांची के मेदांता अस्पताल में इलाजरत थे. हाजी हुसैन की मौत की खबर सुनकर मारगोमुंडा प्रखंड स्थित उनके पैतृक गांव पिपरा में भी समर्थक जमा हो गये. इधर घटना के बाद से ही उनके पुत्र व परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है. समर्थक उनके आवास पर जमा होने लगे. वहीं पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता व समर्थकों ने परिजनों को ढ़ाढस बंधाया.

पिपरा में होगा हाजी हुसैन अंसारी का अंतिम संस्कार : मधुपुर. हाजी हुसैन का शव मधुपुर लाया जा रहा है. बताया जाता है कि पहले पथलचपटी स्थित आवास में कुछ देर के लिए शव को रखा जायेगा. उसके उपरांत पैतृक गांव पिपरा ले जाया जायेगा. रविवार दोपहर को जोहर की नमाज अता करने के बाद पिपरा कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. रविवार को शव मधुपुर में लोगों के अंतिम दर्शन के लिए आवास पर रहेगा.

पुंदाग स्थित निजी मकान में रह रहे थे मंत्री : रांची. मंत्री हाजी हुसैन अंसारी सरकार बनने के करीब नौ महीने बाद भी पुंदाग स्थित निजी मकान में रह रहे थे. उनका पूरा परिवार वहीं रह रहा था, क्योंकि अभी तक उन्हें सरकारी आवास नहीं मिला था. उन्हें जो सरकारी आवास डोरंडा की फॉरेस्ट कॉलोनी में मिला था, पिछली सरकार में वह आवास विधायक नवीन जायसवाल को आवंटित हुआ था. श्री जायसवाल को नोटिस मिलने पर वह इसके विरुद्ध न्यायालय चले गये थे. अब जाकर उच्च न्यायालय ने नवीन जायसवाल और रणधीर सिंह को दो सप्ताह में आवास खाली करने का आदेश दिया है. ऐसे में अब आवास खाली होने पर अंसारी उसमें शिफ्ट करते. यानी नौ महीने तक वह मंत्री होते हुए भी अपने निजी आवास में रहे. उन्होंने आवास के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाया.

राज्यपाल ने दुख जताया : रांची. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन पर गहरा दुःख एवं शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि हाजी हुसैन अंसारी के निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. कहा िक ईश्वर उनकी आत्मा को चिरशांति प्रदान करें एवं उनके परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति प्रदान करें.

राजनीतिक जगत हुआ शोकाकुल : रांची. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन से राजनीतिक जगत में शोक है. झामुमो समेत राज्य की प्रमुख राजनीतिक दल के नेताओं ने शोक जताते हुए ईश्वर से उनके परिवार को दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की कामना की है. झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, िवनोद पांडेय और झामुमो महिला मोर्चा की केंद्रीय अध्यक्ष महुआ माजी ने कहा कि हाजी साहब का संपूर्ण जीवन सरल, सहज एवं सादा रहा है. वह सबके लिए सहज उपलब्ध थे.

व्यक्तिगत क्षति है : कृषि मंत्री बादल ने कहा कि हाजी हुसैन अंसारी के निधन से पुरानी यादें हमेशा जेहन में रह जायेंगी. कहा कि विधायक बनने में हाजी हुसैन अंसारी का बड़ा योगदान रहा. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपने शोक संदेश में कहा कि हाजी साहब से मेरे आत्मीय और व्यक्तिगत संबंध थे, सदैव उनका सानिध्य प्राप्त होता था. श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि यह झारखंड और मेरे लिए अपूरणीय क्षति है.

वामदलों ने जताया दुख : वामदलों ने हाजी हुसैन अंसारी के निधन पर दुख व्यक्त किया है. माकपा राज्य सचिवमंडल ने बयान जारी कर कहा कि हाजी साहब एक सरल स्वभाव के और सभी के लिए हर समय उपलब्ध राजनेता थे. भाकपा राज्य सचिव सह पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने उन्हें जिंदादिल इंसान और आवाम के लिए सहज-सुलभ रहने वाला नेता बताया. भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा कि झारखंड आंदोलन के दौर से जुड़े इस राजनेता के जाने से राज्य की जनता शोकाकुल है.

उनके निधन पर भाजपा नेता अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, दीपक प्रकाश, सीपी सिंह आदि ने शोक जताते हुए कहा कि प्रदेश ने सहज, सरल और मिलनसार राजनीतिक व्यक्तिव खो दिया. आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि उनके निधन से राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है. इसके अलावा स्पीकर रविंद्र नाथ महतो, कांग्रेस अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव, विधायक दल के नेता आलमगर आलम, सुबोधकांत सहाय, कमलेश िसंह, जदयू के श्रवण कुमार, डॉ लंबोदर महतो, राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह व प्रवक्ता मो इस्लाम ने भी शोक जताया.

जन मुद्दों को लेकर हमेशा मुखर रहते थे हाजी साहब : अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के इंतकाल की खबर सुन कर स्तब्ध हूं. हाजी साहब का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत आघात है. उम्र में मुझसे काफी बड़े होने के बावजूद वो सदैव मुझ से मित्रवत व्यवहार रखते थे. जब भी उन्हें किसी विषय पर किसी प्रकार की सलाह मशविरा करनी होती, तो वो घर आ जाते थे या फिर फोन कर लंबी बातचीत करते थे. हाल के दिनों की ही बात है. मदरसा शिक्षकों के वेतन और पेंशन से संबंधित मुद्दे पर उन्होंने मुझसे लंबी बातचीत की. मुझे आज वर्ष 2013 की बातें याद आती हैं, जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री और मैं मुख्यमंत्री का राजनीतिक सलाहकार हुआ करता था. बहुत सारे मदरसों को सरकारी अनुदान तकनीकी कारणों से नहीं मिल रहा था.

हाजी साहब मुझसे सदैव इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात कर कोई रास्ता निकालने को लेकर लगभग हर रोज बात कर दबाव बनाते थे. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक मैंने हाजी साहब की बेचैनी पहुंचायी. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस मुद्दे के हल के लिए काफी जद्दोजहद के बाद जिन मदरसों को सरकारी अनुदान नहीं मिल रहा था, उन्हें अनुदान मिले इसके लिए सरकारी अड़चनों को दूर करने संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट से पारित किया गया. मुझे याद है कैबिनेट से प्रस्ताव पारित होने के तुरंत बाद हाजी साहब मेरे गले लग गये और उन्होंने मुझसे कहा कि हिमांशु आपके प्रयास के लिए आपको मैं शेरवानी भेंट करूंगा.

मैं अब भी उनसे शेरवानी की बात छेड़ता रहता था. वो सदैव मुस्कुरा कर कहते कि हिमांशु जी आपको मैं सूट दूंगा, क्योंकि शेरवानी आपके शरीर पर अच्छा नहीं लगेगा. हाल में ही बात होने पर उन्होंने कहा कि जल्द आपके घर आऊंगा. कई मुद्दों पर आपकी सलाह और मशविरा लेनी है. हाजी साहब आपने घर आने का वादा करके हम सबसे विदा ले लिया. अब आप तो नही आयेंगें हाजी साहब, लेकिन आपकी सादगी, आपका सरल स्वभाव और मुस्कुराता चेहरा सदैव याद आता रहेगा.

हिमांशु शेखर चौधरी, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त

Posted by : Pritish Sahay

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