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कागज पर ही 11 सड़कों की मरम्मत कर खा गये थे पैसे, हुई सजा

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अलकतरा घोटाले में 25 साल बाद आया फैसला, तीन जेइ को तीन-तीन साल की हुई सजा

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रांची़ सीबीआइ की विशेष अदालत ने शनिवार को अलकतरा घोटाले से जुड़े 25 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया. भ्रष्टाचार के आरोप में कनीय अभियंता कुमार विजय शंकर, विवेकानंद चौधरी (दोनों सेवानिवृत्त) तथा बिनोद कुमार मंडल को दोषी पाने के बाद तीन-तीन वर्ष की सजा सुनायी. साथ ही आरोपियों पर 50-50 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया. इनके खिलाफ लगभग 445 मीट्रिक टन अलकतरा घोटाला करने का आरोप है. इससे राज्य सरकार को लाखों रुपये के राजस्व को नुकसान पहुंचा. आरइओ वर्क्स डिवीजन रांची के अभियंताओं द्वारा ठेकेदारों से मिलीभगत कर सड़क मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाया था. उनके द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक षडयंत्र कर सरकारी राशि का गबन किया गया. मामले में 19 जून को बहस पूरी हो गयी थी. शनिवार को विशेष अदालत ने फैसला सुनाया. उल्लेखनीय है कि उक्त अलकतरा घोटाला वर्ष 1992-93 से लेकर वर्ष 1997 तक जारी रहा. मामला प्रकाश में आने के बाद सीबीआइ से इसकी जांच करायी गयी. सीबीआइ की ओर से छह दिसंबर 1999 को प्राथमिकी दर्ज कर मामले का अनुसंधान शुरू किया गया. अनुसंधान पूरा होने के बाद सीबीआइ ने पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. इसमें से दो आरोपी का निधन ट्रायल के दौरान हो गया. आरोपियों ने 12 सड़क की मरम्मत का कार्य दिखाया था. उसी के मुताबिक अलकतरा की डिमांड की गयी, लेकिन आरोपियों ने 11 सड़क की मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखा कर सरकारी राशि का गबन कर लिया था. लगभग 1500 मीट्रिक टन अलकतरा आइओसीएल से ट्रांसपोर्टर के माध्यम से आरोपियों ने प्राप्त किया था. अलकतरा लानेवाले को ट्रांसपोर्टर चालान भी दिया, लेकिन स्टॉक रजिस्टर में प्राप्ति से काफी कम मात्रा दिखायी गयी. इस गबन को छुपाने के लिए एक फर्जी एकाउंट जनवरी 1997 में तैयार किया गया था. उक्त एकाउंट में न तो आपूर्ति आदेश और न ही ट्रक नंबर अंकित था.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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