32.1 C
Ranchi
Wednesday, March 12, 2025 | 01:31 pm
32.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड में वन पट्टा वितरण की स्थिति खराब, एक लाख आवेदन में 30 हजार रिजेक्ट, 60 हजार का निष्पादन

Advertisement

झारखंड में अब तक दो लाख एकड़ से अधिक वन भूमि का पट्टा ही लोगों को दिया गया है. इनमें निजी तौर पर कुल 1.53 लाख एकड़ भूमि का पट्टा दिया गया है. जबकि, सामुदायिक स्तर पर 1.03 लाख एकड़ भूमि का पट्टा दिया गया है

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची, मनोज सिंह :

सरकार वन भूमि में रहनेवालों को वन पट्टा देती है. लेकिन, कई राज्यों के मुकाबले झारखंड में वन पट्टा वितरण की स्थिति ठीक नहीं है. झारखंड में वन पट्टा के लिए आवेदन देनेवाले वनवासियों में ज्यादातर के आवेदन रिजेक्ट हो जा रहे हैं. राज्य में 30 नवंबर 2022 तक कुल एक लाख सात हजार आवेदन निजी वन पट्टा के लिए आये थे. इसमें 60 हजार आवेदन निष्पादित किये गये. जबकि करीब 30 हजार आवेदन रिजेक्ट हो गये. निजी के अतिरिक्त सामुदायिक वन पट्टा के लिए कुल 3724 आवेदन कल्याण विभाग को प्राप्त हुए हैं. इनमें से कुल 2104 को वन पट्टा दिया गया.

राज्य में अब तक दो लाख एकड़ से अधिक वन भूमि का पट्टा ही लोगों को दिया गया है. इनमें निजी तौर पर कुल 1.53 लाख एकड़ भूमि का पट्टा दिया गया है. जबकि, सामुदायिक स्तर पर 1.03 लाख एकड़ भूमि का पट्टा दिया गया है. उधर, पूरे देश में सबसे अधिक वन पट्टा ओड़िशा ने बांटा है. यहां 4.54 लाख निजी लोगों को वन पट्टा दिया गया है. वहीं, छत्तीसगढ़ में करीब 4.46 लाख निजी लोगों को वन पट्टा दिया गया है.

2006 में आया था अधिनियम :

लंबे समय से वन में रहनेवालों को अधिकार और मान्यता देने के लिए वन अधिकारी अधिनियम (एफआरए) वर्ष 2006 में लागू किया गया. इसके खराब कार्यान्वयन से समुदाय को अपने वन संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन का अधिकार प्राप्त करने में मदद नहीं मिली है. 2020 में प्रकाशित अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट (एटीआरइइ) की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में न्यूनतम सीएफआर क्षमता लगभग 21,175 वर्ग किमी या 52.32 लाख एकड़ की है.

आदिवासी मामलों के मंत्रालय (जो एफआरए कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में वन अधिकारों के तहत केवल 2.57 लाख एकड़ (कुल संभावित वन क्षेत्र का 5% से कम) को मान्यता दी गयी है.

ग्रामसभा को तय करना है वन पट्टा :

ग्रामसभा को वन पट्टा के लिए लाभुकों की अनुशंसा करना है. अनुशंसा पत्र जिला प्रशासनवाली कमेटी को अनुमोदित करना होता है. ग्रामसभा की बैठक में जिले के अधिकारियों को भी बुलाया जाता है.

दिखने लगे प्रवासी पक्षी व जानवर :

गुमला जिले के बसिया ब्लॉक के अरेया पंचायत के एक आदिवासी गांव कुर्देगा के जंगलों में अब प्रवासी पक्षी और जानवर दिखते हैं. ग्रामीणों को वर्ष 2019 में सीएफआर प्राप्त हुआ. एक स्थानीय एनजीओ ग्रामसभा के सहयोग से इसकी सुरक्षा, बहाली व संरक्षण योजना तैयार करने में मदद मिली. क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की सुविधा के साथ, ग्रामसभा ने वार्ड और वॉच का गठन किया. अपने जंगल की रक्षा के लिए मानदंड बनाया. ग्रामसभा ने प्रस्ताव पारित किया. घोषणा की कि किसी को भी हथियार, कुल्हाड़ी के साथ जंगल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जायेगी.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर