आज मकर संक्रांति है. इसी दिन से भगवान सूर्य धीरे-धीरे दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं. झारखंड में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. राज्य में इसका काफी महत्व है, इसे लेकर कई परंपराएं भी हैं. परंपरा के अनुसार, लोगों ने मकर संक्रांति के अवसर पर मंदिरों में पूजा-अर्चना की. श्रद्धालुओं नदियों में आस्था की डुबकी लगायी. दान पुण्य किया. पंडित कौशल कुमार मिश्र ने बताया कि संक्रांति का पुण्यकाल दिनभर मान्य है. इस अवसर पर अन्न, कंबल, गर्म वस्त्र, द्रव्य आदि के दान का विशेष महत्व है. इस पर्व को झारखंड के कई क्षेत्रों में टुसू, तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी और असम में बिहू के नाम से सेलिब्रेट किया जाता है. यह वर्ष का पहला पर्व है, जो सर्दियों में फसल कटाई का उत्सव मनाने और पूरे वर्ष में समृद्धि की प्रार्थना करने के लिए विभिन्न समुदायों को जोड़ता है. कहते हैं मकर संक्रांति का त्योहार रिश्तों में मिठास लाता है. इस त्योहार में तिल, गुड़, चूड़ा, मूंगफली आदि खाने की परंपरा है. इन चीजों का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी फायदेमंद है. यह शरीर में गर्माहट देने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियों से भी बचाते हैं.
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मूंगफली स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है. इसमें जिंक, फाइबर, मैग्नीशियम, प्रोटीन, विटामिन डी व इ और पोटैशियम के अलावा और भी कई मिनरल्स होते हैं. इनके सेवन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. इसमें मौजूद विटामिन ई हृदय संबंधी समस्याओं के खतरे को कम कर देता है. इसे भूनकर खाने से त्वचा स्वस्थ रहती है. वहीं मूंगफली खानेवालों की हड्डियां व दांत मजबूत बनते हैं. इसमें विटामिन बी 3 के कारण दिमाग तेज होता है, जो मैमोरी शार्प करता है. इसे आप गुड़ के साथ भी खा सकते हैं.
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ठंड में तिल खाने से शरीर गर्म रहता है. तिल खाने से हेल्दी कोलेस्ट्राल, विटामिन B1,फाइबर, हेल्दी फैट्स और कैल्शियम मिलता है. तिल से बनी चीजें खाने से शरीर में खून की सही मात्रा बनी रहती है. तिल में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम जैसे लवण होते हैं, जो ह्दय की मांसपेशियों को सक्रिय रूप से काम करने में मदद करते हैं. तिल उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखता है. यह हड्डियों के लिए भी फायदेमंद है. यह तनाव और डिप्रेशन को कम करता है. त्वचा के लिए भी फायदेमंद है.
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चूड़ा में फाइबर अधिक होने से पाचन की प्रक्रिया सुचारू बनती है. दही के साथ चूड़ा खाने से इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. यह आंतों को स्वस्थ रखता है. चूड़ा में स्टार्च और कार्ब, दोनों की मात्रा बेहद कम होती है. इस प्रकार इन्हें पचाना बेहद आसान होता है. इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन और कार्बोहाइड्रेड पाये जाते हैं. गर्भावस्था में भी दही-चूड़ा खाने से खून की कमी नहीं होती है. इसे खाने से पेट देर तक भरा रहता है. चूड़ा से फाइबर मिलता है, जो कब्ज को दूर करता है और पेट साफ रखता है.
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खिचड़ी पचने में काफी आसान होती है. इसे सबसे हल्का भोजन माना जाता है. दाल, चावल और सब्जियों के संतुलित आहार से बनी खिचड़ी शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है. इससे प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और शरीर के लिए जरूरी लवण और खनिज मिल जाते हैं.
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गुड़ कई रोगों के लिए रामबाण इलाज है. गुड़ में आयरन पाया जाता है. जो शरीर में खून की मात्रा को बनाये रखने में सहायक है. यह याददाश्त और आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मदद करता है. इसके सेवन से भूख बढ़ाती है. यह सर्दी जुकाम और फ्लू से लड़ने में शरीर की मदद करता है. गठिया और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को गुड़ खाने से आराम मिलता है. यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में भी मदद करता है. गुड़ में विटामिन ए, बी, शुक्रोज, ग्लूकोज, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नेशियम पाये जाते हैं.
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दही में फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है. इससे दांत और हड्डियां मजबूत बनती हैं. यह गठिया होने से भी रोकता है. दही सबसे अच्छे प्रोबायोटिक फूड्स में से एक है. इसमें माइक्रो ऑर्गेनिज्म शरीर के लिए फायदेमंद होता है. दही एक एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है. यह हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाता है. पाचन शक्ति बढ़ती है.
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टुसू पर्व झारखंड का एक प्रमुख पर्व है. इसमें मुख्य रूप से पीठा बनाया जाता है. गांवों में अरवा चावल को लकड़ी की ढेंकी में कूटा जाता है, फिर उसमें गुड़, बादाम आदि मिलाकर गुड़ पीठा बनाया जाता है. धुम्बु पीठा अरवा चावल के गोले में गुड़ डालकर, मिट्टी के बर्तन में पुआल में रखकर बनाया जाता है. चावल और चावल के आटे से बनाये जानेवाला यह पीठा काफी मात्रा में कैलोरी देता है. यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद होता है. मांसपेशियों और त्वचा से जुड़ी बीमारियों से भी राहत मिलती है.
बिहू पर्व असम का मुख्य पर्व है. असम में बिहु के साथ ही फसल की कटाई और शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. नारियल, तिल, गुड़, मुरमुरे और चावल के आटे का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के लारू या लड्डू भी तैयार किये जाते हैं. जो सेहत के लिए लाभदायक होता है.
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नारियल लड्डू को कच्चे नारियल से बनाया जाता है. नारियल के साथ ही इसमें बहुत ड्राइफ्रूट्स भी होते हैं. हेल्दी और टेस्टी लड्डू लाइट डेजर्ट की तरह खाये जाते हैं. यह त्वचा के लिए फायदेमंद होता है. साथ ही अर्थराइटिस के दर्द से राहत मिलती है.
काले-सफेद तिल और गुड़ को मिलाकर बनाया जानेवाला यह लड्डू सेहद और स्वाद से भरपूर होता है. काले तिल में विटामिन ई पाया जाता है, जो त्वचा और बालों के लिए लाभदायक है. इसलिए सर्दियों में काले तिल का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए. सफेद तिल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और कैलोरी पायी जाती है, जिससे ऊर्जा मिलती है. भूख कम करने में मदद मिलती है.
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माह कोराई बिहू स्पेशन रेसिपी है़ इसमें भीगे हुए काले तिल, बोरा शाउल (चिपचिपा चावल), चना या माह, बूट (चना) को तला जाता है और सरसों के तेल, अदरक और नमक के साथ स्वादिष्ट बनाया जाता है. बोरा चावल स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है. मधुमेह को नियंत्रित करता है. पुरानी बीमारियों को रोकता है. सूजन को कम करता है और पाचन को अनुकूलित करता है. गर्भवती महिलाओं, हृदय की समस्या और एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद होता है.
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पोंगल एक बेहद खास दक्षिण भारतीय व्यंजन है. इसे चावल, मूंग दाल, जीरा, काली मिर्च, हींग, कढ़ी पत्ता और अदरक से तैयार किया जाता है. लोग इसे मकर संक्रांति पर खाते हैं. मूंग दाल प्रोटीन, फाइबर, फोलेट, विटामिन के और विटामिन सी का अच्छा स्रोत है. यह डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है. साथ ही साथ इम्युनिटी को बूस्ट करता है.
मकर संक्रांति पर खायी जाने वाली सभी चीजें जैसे तिल, चूड़ा, गुड़ आदि अपने आप में एक औषधि है. अंदर से कमजोर हुए लोगों को फिर से मजबूत बनाने में मदद करती है. इससे मौसम परिवर्तन से होने वाली बीमारियों से भी रक्षा होती है.अर्पिता मिश्रा, डायटिशियन
मकर संक्रांति में चूड़ा, दही और गुड़ सहित तिल के बने समान खाये जाते हैं. ये सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं. ये विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने और स्वस्थ रहने में मदद करते हैं. इन सबका अलग अलग फायदा है.वैद्य वेंकटेश, कात्यायन पांडेय, आयुर्वेदाचार्य
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.