दृष्टिहीन बच्चों को संगीत से जोड़ रहा एकस्थ फाउंडेशन का ताल

दृष्टिहीन बच्चों की प्रतिभा को मंच दे रहा है एकस्थ फाउंडेशन. एक ऐसा ट्रस्ट जो जरूरतमंदों तक पहुंच कर उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है. उन्हें रोजगार से जाेड़ रहा.

By Prabhat Khabar News Desk | June 18, 2024 12:28 AM

लता रानी़ दृष्टिहीन बच्चों की प्रतिभा को मंच दे रहा है एकस्थ फाउंडेशन. एक ऐसा ट्रस्ट जो जरूरतमंदों तक पहुंच कर उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है. उन्हें रोजगार से जाेड़ रहा. यह पहल सोशल वर्कर सह म्यूजिक प्लेयर ऋषभ लोहिया की है. इन्होंने 2016 में एकस्थ फाउंडेशन की शुरुआत की. उद्देश्य था : दृष्टिहीन बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ना. इसी कड़ी में बहुबाजार स्थित संत माइकल स्कूल फॉर ब्लाइंड के बच्चों को म्यूजिक को नि:शुल्क ट्रेनिंग देने लगे. म्यूजिक के प्रति दृष्टिहीन बच्चों की ललक देख कर ऋषभ ने इनकी प्रतिभाओं को आगे भी मंच देने का निर्णय लिया. और आज संगीत के माध्यम से यहां के बच्चों की पहचान बनाने में मदद कर रहे हैं.

बॉलीवुड स्तर का म्यूजिक क्रिएट कर रहे हैं बच्चे

बच्चों को संगीत से जोड़ने के लिए एकस्थ की इस ईकाई को ताल का नाम दिया गया. ऋषभ ने सुमित सिंह सोलंकी के साथ मिलकर ताल की नींव रखी. बच्चों को मंच दिया. ऋषभ कहते हैं : बच्चों की प्रतिभा को परख कर लगा कि उनके अंदर कोई विशेष शक्ति है, जो हर किसी के पास नहीं होती. प्रतिभा ऐसी है कि ये बच्चे बॉलीवुड स्तर के संगीत पेश कर रहे हैं. मेरे अंदर भी आत्मविश्वास जगा कि ये बच्चे कुछ कर सकते हैं. लगा कि इनके लिए कुछ करूं. फिर संस्था बढ़ी. मेरा भी आत्मविश्वास बढ़ा. बच्चों का आत्मविश्वास और उनकी खुशियां बढ़ाने के लिए संगीत को औजार की तरह इस्तेमाल किया. देखा कि बच्चे संगीत के साथ काफी खुश रहते हैं. इसलिए उनके लिए संगीत के अंदर खुशियां ढूंढ़ी. हम इसे खुशियों का म्यूजिक कहने लगे.

जियो सावन ने दिल अजीज एलबम का काॅपीराइट लिया

ऋषभ कहते हैं : बच्चों को खुद का ट्यून बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया. वे खुद गीत लिखने लगे. गाना गाया, गाना बनाया. वह भी बिना मदद के. फिर सुमित और ऋषभ ने दिल अजीज एलबम को प्रोड्यूस किया. सुमित के स्टूडियो में रिकॉर्डिंग हुई. मुंबई में दिल अजीज का प्रमोशन किया. इसके बाद जियो सावन ने इसका कॉपीराइट ले लिया. इस एलबम के गाने को छात्र धीरज ने गाया है और सुभाष ने लिखा है. यह एलबम इतना लोकप्रिय हो चुका है कि यूट्यूब पर अब तक करीब 1.7 मिलियन व्यूज मिल चुके हैं. इसे देखते हुए सीएसआर कंपनी वीमार्ट ने रिकॉर्डिंग स्टूडियाे के लिए मदद की. फिर म्यूजिक प्रैक्टिस के लिए स्टूडियो तैयार किये गये. अब स्कूल में ही बच्चे अपना गाना रिकॉर्ड कर सकते हैं.

नेचर के प्रति रुचि ने सरहुल इकाई का किया गठन

ऋषभ प्रकृति प्रेमी भी हैं. प्रकृति के प्रति दायित्व निभाने के लिए ट्रस्ट की ओर से क्लीनअप ड्राइव भी चलाया गया. इनका मानना है कि लंबे समय तक कम्युनिटी के साथ जुड़ रहेंगे, तभी आप कम्युनिटी में बदलाव ला सकते हैं. ट्रस्ट के इनवायरनमेंट कंजर्वेशन सस्टेनेबल लाइवलीहुड का नाम सरहुल दिया, क्योंकि सरहुल पर्व में साल वृक्ष की पूजा होती है. जंगल से आय हो, इसको लेकर जोन्हा में सरहुल की शुरुआत की. बैंबू हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग दी गयी. असम के ट्रेनर आये.

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