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झारखंड के सरकारी स्कूलों में बजने लगी पानी पीने की घंटी, जानिए किस स्कूल में क्या है व्यवस्था

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अब झारखंड के सरकारी स्कूलों में भी पानी पीने की घंटी बजने लगी है. इसका मकसद है कि बच्चों में पानी की कमी न हो. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के निर्देश पर स्कूलों में बच्चों को पानी पीने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

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Drinking Water Bell: केरल और कर्नाटक की तर्ज पर अब झारखंड के सरकारी स्कूलों में भी पानी पीने की घंटी बजने लगी है. इसका मकसद है कि बच्चों में पानी की कमी न हो. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के निर्देश पर स्कूलों में बच्चों को पानी पीने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. खास बात है कि पानी पीने के लिए स्पेशल घंटी बजायी जा रही है. पांच मिनट का ब्रेक दिया जा रहा है, जिसका नाम है : पानी की घंटी. डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है. आज की लाइफस्टाइल में बच्चे भी काफी व्यस्त हो गये हैं. बच्चे जब बीमार पड़ते हैं, तो उनमें पानी की कमी पायी जाती है. इससे शारीरिक व मानसिक तौर पर भी कमजोर होते हैं. विद्यार्थियों की बेहतर सेहत के लिए ही यह निर्णय लिया गया है.

तीन बार बज रही पानी की घंटी

शहर के सरकारी स्कूलों में तीन बार पानी की घंटी बज रही है. इसकी जिम्मेदारी स्कूल के सरस्वती वाहिनी महिला समूह को दी गयी है. पहली घंटी स्कूल असेंबली के बाद क्लास लौटते ही बजती है. दूसरी घंटी लंच ब्रेक से आधे घंटे पहले और तीसरी घंटी लंच ब्रेक के बाद शुरू हुई कक्षा के खत्म होने पर यानी 25 मिनट बाद बजती है. खास बात है कि पानी की घंटी का खास सिग्नल तैयार किया गया है. इसमें घंटी सिर्फ तीन बार बजायी जाती है. स्कूलों में मौजूद नलकूप या चापाकल के अलावा बच्चों को नियमित पानी की बोतल लाने की हिदायत दी गयी है.

घड़ा के पानी से मिल रही ठंडक

गर्मी में बच्चों को पानी पीने के लिए धूप में न जाना पड़े, इसके लिए कई स्कूलों ने क्लासरूम में मिट्टी के घड़े की व्यवस्था की है. बच्चों को क्लासरूम में ही ठंडा पानी मिल रहा है. राजकीयकृत मध्य विद्यालय कोकर में खास तौर पर सभी कक्षाओं में पानी का घड़ा रखा गया है. प्रधानाध्यापिका रेणु टोप्पो ने बताया कि इसमें समाजसेवियों और शिक्षकों ने आपसी सहयोग किया. वहीं, एक-दो कक्षा में बच्चों ने खुद ही घड़े की व्यवस्था की है.

उम्र के हिसाब से प्रतिदिन पानी की इतनी मात्रा है जरूरी

  • 04-08 वर्ष गर्ल्स : 1.1-1.3 लीटर

  • 04-08 वर्ष ब्वॉयज : 1.1-1.3 लीटर

  • 09-13 वर्ष गर्ल्स : 1.3-1.5 लीटर

  • 09-13 वर्ष ब्वॉयज : 1.5-1.7 लीटर

  • 14-15 वर्ष गर्ल्स व ब्वॉयज : 1.5-02 लीटर

नाेट : एक व्यक्ति को हर रोज कितना पानी पीना चाहिए ये उसकी बॉडी की जरूरत पर भी निर्भर करता है. डॉक्टरों के अनुसार महिलाओं को रोजाना 2.7 लीटर और पुरुषों को 3.7 से 04 लीटर पानी जरूरी है.

इसलिए पानी है जरूरी

  • पानी पीने से बच्चों को थकान महसूस नहीं होता

  • समय-समय पर पानी से डिहाइड्रेशन की समस्या से बचाव

  • मांसपेशियों में खिंचाव व दर्द से राहत

  • शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है

  • पाचन शक्ति सही रहती है

  • बच्चों के पेट में कीड़े की समस्या दूर होती है

  • ब्लड सर्कुलेशन में फायदेमंद

  • दिमाग की कोशिकाएं मजबूत होती हैं

  • सही मात्रा में पानी पीने से शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते हैं

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पानी न पीने से होगा यह नुकसान

हमारा शरीर 70% पानी से बना हुआ है और इस वाटर लेवल को बरकरार रखने के लिए हमें रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीने की जरूरत है. शरीर की आवश्यकता अनुसार एक दिन में कम पानी पीते हैं, तो इससे शरीर के आंतरिक अंगाें को नुकसान हो सकता है.

  • कब्ज : पानी हमारे खाने को पचाने का काम करता है. दिनभर में कम पानी पीने से कब्ज की समस्या हो सकती है.

  • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का खतरा : कम पानी पीने से पेशाब के रास्ते में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकता है. समय-समय पर पानी पीने से पेशाब के जरिये शरीर के गंदे पदार्थ बाहर निकल जाते हैं.

  • किडनी की समस्या : पानी शरीर से अशुद्धियों को बाहर निकालने का काम करता है. पर्याप्त पानी नहीं पीने से किडनी के फंक्शन या फिर किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है.

  • चर्म रोग : कम पानी पीने का सबसे ज्यादा नुकसान त्वचा पर पड़ता है. रूखी, बेजान और मुरझाई त्वचा की समस्या चर्म रोग को बढ़ावा देती है.

  • मस्तिष्क कमजोर होना : पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने से एनर्जी लेवल कम होता है और इससे दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता है. बच्चों में कंसंट्रेशन में कमी और सिरदर्द की शिकायत हो सकती है.

इसलिए नहीं रहती पानी पीने की दिलचस्पी

  • ज्यादा मात्रा में जंक फूड का सेवन करने से

  • कोल्ड ड्रिंक पीने की आदत

  • शुरुआती दौर से अभिभावकों का पर्याप्त ध्यान नहीं देना

  • खाने में चीनी की मात्रा अधिक होने से बच्चे पानी देर तक नहीं पीते

  • शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं रहने और बाहरी खेल में रुचि न होनेवाले बच्चे कम पानी पीते हैं

  • जैसा कि शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ भव्य जैन ने बताया

यहां जानिए किस स्कूल में क्या है व्यवस्था

राजकीयकृत मध्य विद्यालय कोकर में मिट्टी के घड़े की व्यवस्था

स्कूल रूटीन में बच्चे पानी पीयें, इसके लिए तीन बार पानी की घंटी बज रही है. शिक्षक-अभिभावक की बैठक में यह निर्देश दिया गया कि बच्चे पानी बाेतल लेकर ही स्कूल आयें. प्रधानाध्यापिका रेणु टोप्पो ने कहा कि स्कूल में बोरिंग के अलावा चापाकल है. लेकिन गर्मी के दिनों में बच्चे ठंडा पानी पी सके, इसके लिए क्लासरूम में मिट्टी के घड़े की व्यवस्था की गयी है.

रामलखन सिंह यादव हाइस्कूल के बच्चों को पानी बाेतल लाने का निर्देश

स्कूल में बच्चों को पीने का स्वच्छ पानी मिले इसके लिए बोरिंग के साथ फिल्टर लगाया गया है. साथ ही बच्चों को पानी का बोतल साथ लाने का निर्देश दिया गया है. प्रभारी प्रधानाध्यापिका विमला कुमारी ने बताया कि निश्चित समय अंतराल में पानी की घंटी बजती है. बच्चों को पानी न पीने से होनेवाले नुकसान की जानकारी नियमित रूप से दी जा रही है.

बालकृष्णा प्लस टू स्कूल में दो बार बजती है घंटी

बच्चों को वाटर बेल की जानकारी दी गयी है. स्कूल में दो बार पानी की घंटी बजती है. यह समय है सुबह 8:55 से नौ बजे और दोपहर 12:10-12:15 बजे तक. साथ ही शिक्षक बच्चों को पानी पीने के फायदे और पानी को बर्बाद न करने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं. प्राचार्य दिव्या सिंह ने कहा कि वाटर बेल के दौरान बच्चे खुद की बोतल में पानी पीते हैं. जो बच्चे बोतल नहीं लाते, वह स्कूल में रखे वाटर प्यूरीफायर से पानी पी रहे हैं.

योगदा सत्संग विद्यालय में चार महीने से बज रही वाटर बेल

यहां चार महीने से वाटर बेल बजायी जा रही है. इसे शॉर्ट ब्रेक का नाम दिया गया है. प्रधानाध्यापक कृष्णा शुक्ला ने बताया कि हर दो घंटे के बाद 10 मिनट के लिए बच्चों को समय दिया जाता है, ताकि पानी पीने के साथ बोतल भर सकें. बाल संसद के स्वच्छता मंत्री को वाटर बेल की जिम्मेदारी दी गयी है.

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