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झारखंड में कुष्ठ रोगियों की पहचान कर रही सरकार, छुपाएं नहीं, पूरी तरह ठीक हो सकती है यह बीमारी

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झारखंड में कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए घर-घर जाकर सर्वे शुरू किया गया है. सर्वे से पहले लोगों से अपील की गई है कि वे कुष्ठ रोग को छुपाएं नहीं, किसी भी लक्षण को बताने में संकोच ना करें. कुष्ठ छुआछूत की बीमारी नहीं है, यह पूरी तरह से खत्म होने वाली बीमारी है.

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Leprosy patient in Jharkhand. झारखंड में कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार अभियान चलाया रहा है. राज्य के कई जिलों में आज से कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए घर-घर जाकर सर्वे शुरू किया गया है. इसके लिए बुधवार को स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही लोगों से अपील की गई है कि वे कुष्ठ रोग के किसी भी लक्षण को बताने में संकोच ना करें. यह बीमारी पूरी तरह से खत्म होने वाली बीमारी है.

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15 जून से 30 जून तक चलेगा अभियान

जानकारी के मुताबिक जामताड़ा में 15 जून से 30 जून तक कुष्ठ रोगी की पहचान के लिए घर-घर जाकर सर्वे किया जायेगा. इसके लिए एएनएम, सहिया एवं सहिया साथी को प्रशिक्षण दिया गया है. वहीं दो से चार जुलाई तक पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान चलाया जायेगा. बीडीओ ने कहा कि सभी समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम को सफल बनाएं.

जागरूकता रथ भी किया गया रवाना

इधर पलामू जिला के शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 15 जून से कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर से जागरूकता रथ भी रवाना किया गया. जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है.

पूरी तरह ठीक हो सकती है यह बीमारी

मधुपुर में कुष्ठ रोगी खोज अभियान कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए पहले शहर के गांधी चौक, बस स्टैंड, कोर्ट परिसर समेत विभिन्न चौक-चौराहों पर जन जागरुकता के लिए नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. नाटक मंडली ने बताया कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 15 जून से लेकर 28 जून तक आयोजन किया जाना है. नाटक में बताया कि कुष्ठ की बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है, बशर्ते की समय पर इसकी पहचान हो सके. कलाकारों की टीम ने नाटक के माध्यम से बताया कि शरीर में तांबे कलर का निशान अगर दिखे और उसमें सूनापन हो तो यह कुष्ठ हो सकता है. इसे छुपाएं नहीं, यह पूरी तरह ठीक हो सकता है.

कोडरमा के 138 गांवों में घर-घर जाकर सर्वे

कोडरमा में भी 15 से 28 जून तक कुष्ठ खोज अभियान चालाया जा रहा है. बीटीएम शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि यहां यह अभियान 2017 में चलाया गया था. अभियान के तहत इस वर्ष भी 138 गांवों में सहिया और पुरुष वर्कर घर घर जाकर कार्य करेंगे. कुष्ठ के लक्षण दिखने पर मरीज को अस्पताल भेजेंगे. इस अभियान के लिए सहिया वोलेंटियर और सुपरवाइजर को कुष्ठ खोज अभियान का प्रशिक्षण दिया गया है.

दीवार लेखन का भी कार्य

लातेहार में भी कुष्ठ उन्मूलन विभाग द्वारा कुष्ठ रोगी खोज अभियान की शुरुआत 15 जून से की गई. यह अभियान 28 जून तक सभी प्रखंडों के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में चलाया जायेगा. इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया. जिला कुष्ठ पदाधिकारी डाॅ शोभना टोप्पो ने बताया कि अभियान के तहत घर-घर में सहिया व पुरुष सहकर्मी के सहयोग से कुष्ठ रोगी खोज अभियान को लेकर विशेष रूप से कार्य किया जायेगा. इस खोजी दल के द्वारा जागरूकता के लिए दीवार लेखन का भी कार्य किया जायेगा.

कुष्ठ छुआछूत की बीमारी नहीं- डाॅ शोभना टोप्पो

डाॅ शोभना टोप्पो ने लोगों से अपील की है कि शरीर के किसी भी अंग में सूनापन हो, दाग हो तो निसंकोच होकर खोजी दल को बतायें. समय रहते इस रोग का इलाज कराकर कुष्ठ रोग से मुक्ति पायें. कुष्ठ छुआछूत की बीमारी नहीं है और ना ही साथ में बैठने से फैलता है. उक्त अभियान को सफल बनाने के लिए जिले में 1132 टीम को लगाया गया है. साथ ही प्रखंड व जिलास्तर पर निगरानी टीम का गठन किया गया है.

राज्यभर में चलाया जा रहा है यह अभियान

बता दें कि नये कुष्ठ मरीजों की पहचान और इलाज के लिए पूरा स्वास्थ्य महकमा लगा हुआ है. पूरे राज्य में यह अभियान चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने 2022-23 में चलाये गये अभियान के बाद नये मरीजों को लेकर आंकड़े जारी किये हैं, जो चिंता करने वाले हैं. अभियान के तहत राज्य में 7169 नये कुष्ठ मरीजों की पहचान हुई है, जिसमें सबसे अधिक देवघर जिले में 609 नये मरीज मिले हैं. साल 2021-22 में भी 411 मरीजों के मिलने के साथ देवघर पहले स्थान पर रहा था. इस तरह, देवघर में पिछले साल की तुलना में इस साल कुष्ठ के 198 नये मरीज पाये गये.

Also Read: झारखंड में कुष्ठ के सबसे अधिक मरीज देवघर में मिले, दूसरे स्थान पर गोड्डा

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