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चीन तक जा रहा है झारखंड का ढिबरा, सरकार को एक धेला नहीं

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कोडरमा व गिरिडीह जिले में ढिबरा का एक भी वैध खदान नहीं है, लेकिन इन इलाकों में अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर इसका कारोबार जारी है. इसका दूसरा पहलू यह है कि करोड़ों का ढिबरा चाइना सहित अन्य देशों को निर्यात किया जा रहा है. पर राज्य सरकार को इस कारोबार से एक धेला नसीब नहीं हो रहा है.

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रांची, सुनील चौधरी/विकास कुमार : झारखंड के ढिबरा (माइका) का निर्यात चीन तक हो रहा है, पर राज्य सरकार को इस कारोबार से एक धेला नसीब नहीं हो रहा है. कोडरमा से गिरिडीह तक अवैध रूप से चल रहा ढिबरा का कारोबार इसकी मुख्य वजह है. कागज कहीं का और बिलिंग कहीं की, लेकिन खनिज झारखंड का होता है. हालांकि, ढिबरा का अवैध खनन और परिवहन रोकने के लिए लगातार वन विभाग व पुलिस कार्रवाई कर रही है़. हाल के दिनों में कोडरमा में करीब 40 से अधिक वाहन व जेसीबी जब्त किये गये हैं. इसके बावजूद इसका अवैध कारोबार थम नहीं रहा. झारखंड सरकार ने इसी वर्ष जनवरी में ढिबरा का वैध कारोबार शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन तकनीकी पेच की वजह से अब तक इस दिशा में एक कदम भी नहीं बढ़ाया जा सका है. इधर, ढिबरा के कारोबार को वैध बनाने के लिए आंदोलन भी होता आया है़ ‘ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ’ व अन्य संगठनों के बैनर तले आवाज भी उठायी जा रही है, पर अब तक कोई हल नहीं निकला है.

  • कोडरमा और गिरिडीह के इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से चल रहा ढिबरा का कारोबार

  • कहीं के कागज और कहीं की बिलिंग के आधार पर बाहर भेजा जा रहा है झारखंड का खनिज

  • वन विभाग और पुलिस ने अब तक 40 से अधिक वाहन जब्त किये, पर अवैध कारोबार जारी

कोडरमा व गिरिडीह जिले में ढिबरा का एक भी वैध खदान नहीं है, लेकिन इन इलाकों में अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर इसका कारोबार जारी है. इसका दूसरा पहलू यह है कि करोड़ों का ढिबरा चाइना सहित अन्य देशों को निर्यात किया जा रहा है. इसके लिए बाकायदा जीएसटी का भुगतान कर ई-वे बिल जेनरेट किया जाता है. ढिबरा की प्रोसेसिंग के बाद इस पर पांच फीसदी जीएसटी का भुगतान करते हुए ई-वे बिल तैयार किया जाता है. इस ई-वे बिल के जरिये प्रोसेस्ड ढिबरा को सड़क व रेल मार्ग से कोलकाता और मुंबई आदि जगहों पर भेज दिया जाता है, जहां से इसका निर्यात विदेश में किया जाता है.

सीएम ने जिस वाहन को हरी झंडी दिखायी, वह डंपिंग यार्ड तक पहुंचा ही नहीं

राज्य में वर्षों से अवैध रूप से ढिबरा चुनने का कारोबार चल रहा है. बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूर इससे जुड़े हैं. यदा-कदा वहां दुर्घटना भी होती हैं. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने इसके वैध कारोबार की मंशा जाहिर की. ढिबरा के वैध कारोबार के लिए बाकायदा नियमावली भी अधिसूचित कर दी. ढिबरा का कारोबार जेएसएमडीसी के अधीन दिया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 17 जनवरी 2023 को कोडरमा में ढिबरा लदे एक वाहन को हरी झंडी दिखाकर ढिबरा के वैध कारोबार की सांकेतिक शुरुआत की थी, लेकिन आज तक यह वाहन पर जेएसएमडीसी के कथित डंपिंग यार्ड तक पहुंच नहीं पाया है़. बताया जाता है कि ढिबरा लदा यह वाहन फिलहाल कोडरमा स्थित खनन कार्यालय के परिसर में खड़ा है़.

एटॉमिक मिनरल की जांच को लेकर फंसा है पेच

खान विभाग ने ढिबरा का ब्लॉक तैयार करने की जिम्मेदारी भूतत्व निदेशालय को सौंपी है. माना जाता है कि ढिबरा के साथ एटॉमिक मिनरल ‘लिथियम’ या ‘यूरेनियम’ के अंश हो सकते हैं. भूतत्व निदेशालय ने मार्च 2023 में ही ढिबरा में एटॉमिक मिनरल की जांच के लिए सैंपल जमशेदपुर स्थित एटॉमिक मिनरल डिविजन (एएमडी) को भेजा था. जब तक रिपोर्ट नहीं आती, तब तक वैध कारोबार शुरू नहीं हो सकता है.

एएमडी को सैंपल भेज कर रिपोर्ट मांगी गयी है. रिपोर्ट के लिए कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया, पर अब तक रिपोर्ट नहीं मिली है. इस कारण विभाग आगे नहीं बढ़ पा रहा है. रिपोर्ट मिलते ही तत्काल कार्रवाई शुरू की जायेगी.

मनोज कुमार, निदेशक, भूतत्व निदेशालय

मुख्यमंत्री ने अच्छी पहल की, लेकिन तकनीकी वजहों से अब तक ढिबरा का वैध कारोबार शुरू नहीं हो पाया है. हमारी प्रोसेसिंग यूनिट है. इंतजार में फैक्ट्री बंद करनी पड़ी है. अब फैक्ट्री राजस्थान शिफ्ट करने की सोच रहे हैं.

अशोक जैन, माइका व्यापारी

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