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रिम्स प्रबंधन ने शो-कॉज के बाद कर्मी व एजेंसी पर कार्रवाई का मांगा डिटेल

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निरीक्षण के दौरान निदेशक देते हैं कार्रवाई का निर्देश, होता कुछ भी नहीं

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रांची. निदेशक द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान कर्मी और एजेंसी पर कार्रवाई का आदेश तो दिया जाता है, लेकिन होता कुछ भी नहीं है. सिर्फ शो-काॅज जारी कर नियम तोड़ने वालों का पक्ष ले लिया जाता है. इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. ऐसे दर्जनों मामले रिम्स से जुड़े हुए हैं. हालांकि ऐसे मामलों में रिम्स की किरकिरी होती देख प्रबंधन की नींद खुली है. अब आदेश जारी किया गया है कि जितने मामलों में शो-कॉज जारी हुआ है, उन पर क्या कार्रवाई हुई इसका डिटेल प्रबंधन को उपलब्ध कराया जाये. रिम्स सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य कर्मियों और एजेंसी पर कार्रवाई नहीं होने से भय खत्म हो गया है. सबको लगता है कि निदेशक निरीक्षण करेंगे और शो-काॅज जारी कर देंगे, लेकिन होगा कुछ नहीं है. ऐसे में कुछ दिन सब व्यवस्थित रहता है और बाद में पहले की तरह सब सामान्य हो जाता है.

रिम्स में फाइल के निबटारे के लिए ट्रैकिंग सिस्टम लागू

रांची. मरीज हित में लिये जा रहे फैसले को अब जमीनी स्तर पर उतारने में देर नहीं होगी, क्योंकि प्रत्येक फाइल की ट्रैकिंग प्रबंधन ने शुरू कर दी है. ट्रैकिंग के तहत फाइल के पीछे स्टीकर लगाया जायेगा, जिसमें सभी महत्वपूर्ण सूचनाएं अंकित रहेगी. उस पर फाइल नंबर, अधिकारी व क्लर्क जो फाइल का निबटारा कर रहे हैं, उनका नाम, कितने दिनों में इसका निबटारा होगा इसकी सूचना होगी. वहीं, अगर फाइल दूसरे टेबल पर भेजी जाती है, तो उसे हैंडओवर लेनेवाले क्लर्क का नाम और उसकी जिम्मेदारी भी अंकित रहेंगी. अगर फाइल के निबटारे में समय लगा, तो उसकी सटीक वजह भी अंकित करनी होगी. यहां बता दें कि ट्रैकिंग सिस्टम लागू नहीं होने से अधिकारी व क्लर्क अपने हिसाब से फाइल का निबटारा करते थे. शासी परिषद में लिये गये फैसले भी महीनों बाद लागू नहीं हो पाते थे. इससे रिम्स की किरकिरी होती थी. इन्हीं लेटलतीफी को देखते हुए प्रबंधन ने यह फैसला लिया है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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