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Jharkhand News: उपायुक्तों ने मिनरल डेवलपमेंट फंड से जिम और डाक बंगले बनवाये

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प्रधान महालेखाकार ने मिनरल डेवलपमेंट फंड की वसूली और खर्च के ऑडिट के बाद राज्य सरकार को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है.उन्होंने ऑडिट में पकड़ी गयी गड़बड़ी पर विभाग की चुप्पी को देखते हुए इस मामले में मुख्य सचिव से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.

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डिस्ट्रिक्ट मिनरल डेवलपमेंट फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) की राशि से अफसरों ने जिम और डाक बंगला बनवाया है. साथ ही इन खर्चों को भी प्रधानमंत्री खनन क्षेत्र कल्याण योजना का हिस्सा बताया. झरिया जैसे प्रभावित प्रखंड को डीएमएफटी के किसी योजना में शामिल नहीं किया. किसी जिले ने मिनरल डेवलपमेंट फंड के खर्च का एक्शन प्लान नहीं बनाया. मिनरल डेवलपमेंट फंड वसूली के निदेशालय, बैंक और जिला स्तर के आंकड़ों में 100-100 करोड़ रुपये से अधिक का अंतर है.

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प्रधान महालेखाकार ने मिनरल डेवलपमेंट फंड की वसूली और खर्च के ऑडिट के बाद राज्य सरकार को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है.उन्होंने ऑडिट में पकड़ी गयी गड़बड़ी पर विभाग की चुप्पी को देखते हुए इस मामले में मुख्य सचिव से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. साथ ही मिनरल डेवलपमेंट फंड का गलत इस्तेमाल करनेवालों पर कार्रवाई करने और पैसा वसूलने की अनुशंसा की है.

चार जिलों में पैसे का गलत इस्तेमाल किया : सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि मिनरल डेवलपमेंट फंड के खर्च के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित है. इसके तहत माइनिंग से प्रभावित क्षेत्र में उच्च प्रथामिकता की योजनाओं पर 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत राशि पर्यावरण सहित आधारभूत संरचना जैसे सिंचाई, वाटरशेड, ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं पर खर्च करनी है. राज्य के छह जिलों (रांची, बोकारा, चतरा, हजारीबाग, धनबाद, लोहरदगा) के ऑडिट के दौरान चार जिलों ( बोकारो, चतरा, लोहरदगा, रांची) में इस पैसे का गलत इस्तेमाल किया गया है. बोकारो में 1.08 करोड़ की लागत से जिम बनाया गया है.

जिला योजना पदाधिकारी ने स्वास्थ्य के नाम पर बोकारो स्टील प्लांट टाउनशिप में 24 ओपन जिम बनाने की योजना बनायी. टेंडर निपटारे के बाद नवंबर 2019 से जनवरी 2020 तक जिम बना दिया गया. जिले के उपायुक्त ने एक महीने बाद यानी फरवरी 2020 में इस योजना के पूरा होने पर योजना की स्वीकृति दी. प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के दिशा- निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य के नाम पर जिम नहीं बनाया जा सकता है. इसलिए ऐसा करनेवालों से पैसा वसूलने की अनुशंसा की गयी है.

फंड से मैकलुक्सिगंज में डाक बंगला बनाया : रांची जिले में मिनरल डेवलपमेंट फंड से मैक्लुक्सिगंज में डाक बंगला बनाया गया. गवर्निंग काउंसिल ने डाक बंगला बनाने की स्वीकृति वर्ष 2017 में दी. उपायुक्त गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष होते हैं. मार्च 2018 में यह काम जिला परिषद को दिया गया. जिला परिषद ने डाक बंगला बनाने का काम सितंबर 2020 में पूरा किया.

उपायुक्त ने डाक बंगला निर्माण के खर्च को प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के ‘स्किल डेवलपमेंट एंड लाइवलीहुड’ के हेड में दिखाया. प्रधान महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में डाक बंगला के खर्च को स्किल डेवलपमेंट करार देना धोखाधड़ी कहा है. साथ ही यह भी टिप्पणी की है कि उपायुक्त के स्तर से की गयी इस तरह की धोखाधड़ी से डीएमएफटी के गठन का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है.

चतरा और लोहरदगा में डीसी ऑफिस की मरम्मत करायी : रिपोर्ट में कहा गया है कि चतरा और लोहरदगा में तो 1.15 करोड़ रुपये के मिनरल डेवलपमेंट फंड का इस्तेमाल उपायुक्त कार्यालय की मरम्मत और थानों में शौचालय बनाने पर किया गया है. इस तरह के काम को प्रशासनिक खर्च के रूप में दिखाया गया है.

प्रधानमंत्री खनन क्षेत्र कल्याण योजना के तहत अफसरों के कार्यालयों की मरम्मत आदि का खर्च प्रशासनिक खर्च के दायरे में नहीं आता है. यह पूरी तरह पैसों का दुरुपयोग है. चतरा में वर्ष 2017-19 के बीच 4.79 करोड़ की लागत पर पेयजल स्रोतों की मरम्मत और थानों में शौचालय बनाने की योजना स्वीकृत की गयी. इस तरह की योजनाओं पर मिनरल डेवलपमेंट का पैसा खर्च नहीं किया जा सकता है.

राज्य का पेयजल एवं स्वच्छता विभाग सामान्य रूप से इस तरह की योजनाओं को चलाता है. इसलिए इस मामले मेंं भी पैसों की वसूली के लिए आ‌वश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए. खनन से सर्वाधिक प्रभावित झरिया प्रखंड को योजना में शामिल नहीं किया गया : प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि धनबाद में खनन क्षेत्र से सर्वाधिक प्रभावित झरिया प्रखंड है. यहां के लोग दयनीय स्थिति में रहते हैं. पेयजल और स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी का सामना कर रहे हैं.

खनन की वजह से यहां पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. लेकिन मिनरल डेवलपमेंट फंड से इस प्रखंड के लिए कोई योजना नहीं ली गयी है. पर्यावरण पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव के कारण यहां के लोगों को दमा और टीबी जैसी बीमारी से ग्रसित होने का खतरा है. झरिया को योजना में शामिल नहीं करना डीएमफटी के अध्यक्ष (उपायुक्त) की विफलता है. धनबाद जिले में मिनरल डेवलपमेंट फंड से वर्ष 2015-21 के बीच 1690.74 करोड़ रुपये की लागत से 103 योजनाएं स्वीकृत की गयी. इसमें से 2.77 करोड़ की लागत पर पर्यावरण से जुड़ी

चार योजनाएं (0.16%) और 8.72 करोड़ रुपये की लागत से स्वास्थ्य से जुड़ी चार योजनाएं (0.50%) ली गयीं. उपायुक्त ने डीएमएफटी के लिए वर्ष 2019 में आरनेस्ट एंड यंग को पीएमयू की तरह काम करने के लिए चुना. इसके लिए कंपनी को सालाना 86.51 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था. निविदा शर्तों के अनुसार इस कंपनी का रेट नहीं बढ़ाया जाना था. लेकिन उपायुक्त ने 12 महीने पूरा होने के बाद कंपनी को दी जानेवाली राशि में 10 प्रतिशत का इजाफा कर दिया.

बैंक से मिली राशि और जिलों के लेखा-जोखा में अंतर : रिपोर्ट में मिनरल फंड के रूप में लीज धारकों से मिली राशि और खर्च का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि 2015-20 तक की अवधि में इस मद में कुल 5517.56 करोड़ रुपये मिले. इसमें से 5040.25 करोड़ रुपये की लागत पर विभिन्न प्रकार की योजनाएं स्वीकृत की गयी. इसमें से 2673.19 करोड़ रुपये खर्च हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि निदेशक खान के अनुसार कोयला को छोड़ कर शेष मेजर मिनरल्स से 2017-20 तक की अवधि में राॅयल्टी के रूप में 15188.06 करोड़ रुपये की वसूली हुई.

इसके हिसाब से मिनरल डेवलपमेंट फंड के रूप में 4556.41 करोड़ रुपये मिलना चाहिए. हालांकि 3751.21 करोड़ रुपये की वसूली हुई. यानी 805.20 करोड़ रुपये कम वसूली हो सकी. मिनरल डेवलपमेंट फंड के रूप में बैंक से मिली राशि और जिलों के लेखा-जोखा की राशि में अंतर है. ऑडिट के दौरान मिनरल डेवलपमेंट की राशि नकद के रूप में भी स्वीकार की गयी है. इससे मिनरल डेवलपमेंट की राशि में गड़बड़ी की आशंका है.

मिनरल डेवलपमेंट फंड से ली गयी गलत योजनाओं का ब्योरा

1. बोकारो में 1.08 करोड़ की लागत पर जिम बना

2. रांची के मैकलुस्कीगंज में 86 लाख की लागत से डाक बंगला बना

3. चतरा के थानों में 1.15 करोड़ की लागत पर शौचालय बना

4. चतरा में 4.25 करोड़ की लागत पर चापानल लगा और मरम्मत हुई

5. चतरा में 53 लाख की लागत पर वाटर सप्लाई स्कीम का जीर्णोद्धार

6. चतरा में 22 लाख की लागत पर उपायुक्त कार्यालय का भवन बना

7. चतरा में 25 लाख की लागत पर उपायुक्त मीटिंग हॉल बना

8. चतरा में 39 लाख की लागत से डीसी कार्यालय में अन्य काम हुए

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