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Corona Effect : कोरोना से पांच माह में चार लाख लोग हुए अवसादग्रस्त

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रफ्तार भरी जिंदगी में कोरोना व लॉकडाउन के कारण विराम लग चुका है. इसका असर लोगों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है. चिंता, डर, अकेलेपन व अनिश्चितता के कारणलोग अवसादग्रस्त हो रहे हैं.

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सुनील चौधरी, रांची : रफ्तार भरी जिंदगी में कोरोना व लॉकडाउन के कारण विराम लग चुका है. इसका असर लोगों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है. चिंता, डर, अकेलेपन व अनिश्चितता के कारणलोग अवसादग्रस्त हो रहे हैं. शुरुआती दिनों में लोगों को कोरोना का खौफ था. वहीं, मौजूदा वक्त में लोग नौकरी जाने का खतरा, रोजगार का संकट, वेतन कटौती, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से परेशान हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से लेकर 24 अगस्त (करीब पांच माह) तक विभिन्न प्रकार के अवसाद से जूझ रहे तीन लाख 97, 573 लोगों ने मेंटल हेल्थ काउंसिलर की मदद ली.

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उक्त आंकड़ा उन लोगों का है, जिन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत चलनेवाले ‘मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ के कार्यकर्ताओं से या हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर अपनी समस्या बतायी है. अंदेशा जताया जा रहा है कि अवसादग्रस्त लोगों की संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है. क्योंकि, ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अवसादग्रस्त होने के बावजूद या तो जानकारी के अभाव में या हिचकिचाहट की वजह से काउंसिलर से संपर्क नहीं कर पाये.

लोगों के घर तक गये काउंसिलर : ‘मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ के तहत जिन अवसादग्रस्त लोगों ने काउंसिलरों से संपर्क किया, टीम ने उनकी भरपूर मदद की. जहां जरूरत पड़ी, काउंसिलरों की टीम संबंधित व्यक्ति के घर तक गयी और उन्हें समझाने के लिए तमाम तरीके अपनाये, जिससे वे अवसाद से बाहर आ सकें. टीम ने संबंधित व्यक्ति और उनके परिवार के लोगों से बात की. उन्हें जीवन और संघर्ष का महत्व बताया. जरूरत पड़ने पर उन्हें दवाएं भी दी गयी.

जिलों में टीम गठित की गयी : मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकार ने विभिन्न जिलों में टीम गठित की है, जो इंडियन साइक्रियाटिक सोसाइटी, सीआइपी और रिनपास के सहयोग से काम करती है. फिलहाल 13 जिलों में ऐसी टीमें काम कर रही हैं. वहीं, अन्य जिलों में भी इस तरह की टीम गठित की जा रही है. विभाग ने हेल्पनंबर ‘104’ भी जारी किया है, जिस पर लोग अपनी समस्या बताते हैं. शुरुआती दिनों में टीम के सदस्यों ने कोरेंटिन सेंटर में भी जाकर लोगों की काउंसिलिंग की.

जिलों में टीम गठित की गयी : मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकार ने विभिन्न जिलों में टीम गठित की है, जो इंडियन साइक्रियाटिक सोसाइटी, सीआइपी और रिनपास के सहयोग से काम करती है. फिलहाल 13 जिलों में ऐसी टीमें काम कर रही हैं. वहीं, अन्य जिलों में भी इस तरह की टीम गठित की जा रही है. विभाग ने हेल्पनंबर ‘104’ भी जारी किया है, जिस पर लोग अपनी समस्या बताते हैं. शुरुआती दिनों में टीम के सदस्यों ने कोरेंटिन सेंटर में भी जाकर लोगों की काउंसिलिंग की.

सबसे अधिक गुमला के लोगों ने संपर्क किया : विभाग द्वारा गुमला जिले में प्रखंड स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम गठित की गयी है. केवल गुमला जिले में ही तीन लाख से अधिक लोगों की काउंसिलिंग की गयी. हालांकि, लोग रांची से भी संपर्क में रहे. रांची में सीआइपी, रिनपास में भी 1508 लोग अब तक व्यक्तिगत रूप से काउंसिलिंग करा चुके हैं. रांची व अन्य जिलों के लगभग 49 हजार लोगों ने काउंसिलिंग करायी है.

कोरोना के कारण पांच लोग अबतक कर चुके हैं आत्महत्या : राज्य में कोरोना के खौफ से अब तक पांच लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इनमें रांची के लेक व्यू अस्पताल में तो एक ऐसा केस था जिसकी केवल कोरोना जांच का सैंपल ही लिया गया. रिपोर्ट आने से पहले ही उसने आत्महत्या कर ली. उसकी रिपोर्ट निगेटिव थी. रिम्स में हाल ही में एक कोरोना संक्रमित ने आत्महत्या कर ली. वहीं, पलामू के कोरेंटिन सेंटर में एक व्यक्ति ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. लोहरदगा सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती एक मरीज ने आत्महत्या कर ली. रामगढ़ के कोविड अस्पताल की छत से छलांग लगाकर एक संक्रमित ने आत्महत्या कर ली.

  • ‘मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ की टीम ने लोगों को मानसिक परेशानी से बाहर निकाला

  • विभाग ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर ‘104’, लोगों ने फोन कर दी अवसाद में होने की जानकारी

  • अवसाद में घिरे लोगों के अलावा उनके परिवार के सदस्यों से भी टीम के सदस्यों ने की बातचीत

इन जिलों के लोगों ने समस्या बतायी

जिला संख्या

गुमला 313490

रांची 49127

पू सिंहभूम 15085

पलामू 9571

गिरिडीह 2545

कोडरमा 2373

खूंटी 1692

सीआइपी, रिनपास 1508

बोकारो 1092

रामगढ़ 774

दुमका 693

प सिंहभूम 466

हजारीबाग 161

गोड्डा 113

जामताड़ा 15

किस तरह का तनाव

  • मुझे सर्दी है, गले में खरास है, कहीं कोरोना तो नहीं

  • सैलरी में कटौती कर दी गयी, घर को लेकर चिंतित हूं

  • नौकरी जाने का भय सता रहा है, घबरा गया हूं

  • आर्थिक तंगी है, घर चलाना मुश्किल हो रहा है

  • रोजगार नहीं है, समझ नहीं आता क्या करें

  • बाहर से घर आया, कोई काम नहीं, क्या करें

दुकान लॉकडाउन में बंद, कमाई बंद, क्या करें : कोरोना काल लंबा खिंचता जा रहा है. साथ ही लोगों की समस्याएं भी बढ़ रही हैं. लोगों के सामने जान बचाने के साथ रोजी-रोटी का भी संकट है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और उनके भविष्य की चिंता भी सता रही है. इससे डिप्रेशन बढ़ रहा है. इससे बचने के उपाय पर काम होना चाहिए. लोगों को आर्थिक मदद की जरूरत है. यह स्वीकार करना होगा कि यह अनिश्चितता का दौर है, लेकिन कभी न कभी यह ठीक हो ही जायेगा. बच्चों को भी समझना चाहिए कि यह पूरे विश्व की समस्या है. धीरज और सूझबूझ के साथ इसका सामना करना होगा.

– डॉ अमूल रंजन सिंह, पूर्व निदेशक, रिनपास

Post By: Pritish Sahay

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