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रेल मंत्री को सीएम का जवाब : झारखंड ने ही सबसे पहले मांगी थी ट्रेन

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लॉकडाउन के बीच दूसरे प्रदेशों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के मुद्दे पर अब केंद्र और राज्य सरकार में तकरार शुरू हो गयी है. रेल मंत्री पीयूष गोयल झारखंड सरकार पर ट्रेन को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं देने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह रहे हैं कि रेल मंत्री के पास जानकारी का अभाव है. हमने मजदूरों को लाने के लिए केंद्र सरकार से न सिर्फ ट्रेन, बल्कि हवाई जहाज तक की मांग की है.

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रांची : लॉकडाउन के बीच दूसरे प्रदेशों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के मुद्दे पर अब केंद्र और राज्य सरकार में तकरार शुरू हो गयी है. रेल मंत्री पीयूष गोयल झारखंड सरकार पर ट्रेन को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं देने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह रहे हैं कि रेल मंत्री के पास जानकारी का अभाव है. हमने मजदूरों को लाने के लिए केंद्र सरकार से न सिर्फ ट्रेन, बल्कि हवाई जहाज तक की मांग की है.

दरअसल, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि रेलवे रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाकर कामगारों को उनके घर पहुंचाने के लिये तैयार है. लेकिन, मुझे दुख है कि कुछ राज्यों जैसे- पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारें इन ट्रेनों को अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दे रही हैं. इससे श्रमिकों को घर से दूर कष्ट सहना पड़ रहा है.

रेल मंत्रीजी! आप तक सही जानकारी नहीं पहुंचायी गयी रेल मंत्री के वक्तव्य के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा : प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए ट्रेन चलाने को लेकर मेरी हमेशा पीयूष गोयल से बातचीत हुई है. जब ट्रेनें शुरू की गयीं, तब भी मैंने व्यक्तिगत रूप से रेल मंत्री को फोन कर धन्यवाद दिया. मौखिक और लिखित रूप से भी मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिख ट्रेन चलाने का अनुरोध किया था. यही वजह है कि सबसे पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन तेलंगाना से झारखंड को मजदूरों को लेकर ही पहुंची थी.

सीएम ने कहा : रेल मंत्रीजी! ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आपके विभाग द्वारा आप तक सही जानकारी नहीं पहुंचायी गयी है. हमने अब तक 110 ट्रेनों की एनओसी दे दिया है और 50 ट्रेनों में लगभग 60 हजार से ज्यादा श्रमिक घर लौट चुके हैं. मैंने जहां देश में सबसे पहले ट्रेन चलाने की गुहार लगायी थी, अब पुनः आपसे ज्यादा से ज्यादा ट्रेनें झारखंड के लिए चलाने की आग्रह करता हूं. अभी हर रोज मात्र चार-छह ट्रेनें झारखंड आ रही हैं, जो हमारे लगभग सात लाख श्रमिक झारखंडियों को जल्द वापस लाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. आशा है कि आप इस मुद्दे पर ध्यान देते हुए झारखंडियों की सहायता करेंगे.

अंडमान-निकोबार में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए मांगा हवाई जहाज सीएम ने कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इसके लिए सभी जरूरी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. सीएम ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए हवाई जहाज का भी इस्तेमाल किया जायेगा. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी गयी है. श्री सोरेन ने कहा कि विशेष ट्रेनों और बसों से प्रवासी श्रमिकों, विद्यार्थियों और अन्य लोगों को वापस लाने का सिलसिला लगातार जारी है.

यह प्रक्रिया तब तक चलेगी, जब तक सभी प्रवासी श्रमिक सुरक्षित घर नहीं आ जाते हैं. सीएम ने कहा कि 12 मई को मुख्य सचिव ने केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिखकर अंडमान-निकोबार में फंसे 319 श्रमिकों को दो चार्टेड प्लेन से लाने की अनुमति मांगी है. चार दिन हो गये हैं, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिली है. सरकार प्लेन का खर्च भी वहन करेगी. उन्होंने कहा कि अभी उनलोगों के प्रति मानवता दिखाने का समय है, जो बुरी स्थिति में हैं.

सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाने वाला राज्य है झारखंड : सीएम

रांची : प्रदेश कांग्रेस के एक शिष्टमंडल शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला. उनसे मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड ही देश का ऐसा राज्य है, जिसने लॉकडाउन में सबसे अधिक विशेष ट्रेनों के जरिये प्रवासी नागरिकों की घर वापसी सुनिश्चित करायी है. अब तक करीब 50 विशेष ट्रेनें आ चुकी हैं. शुक्रवार को और छह ट्रेनें झारखंड पहुंच रही हैं और अगले तीन दिनों में 56 स्पेशल ट्रेन झारखंड के विभिन्न स्टेशनों पर पहुंचेंगी. झारखंड सरकार पंजीयन करानेवाले करीब सात लाख प्रवासी नागरिकों को घर वापस लाने के लिए प्रयासरत है. विभिन्न शहरों से लौटे सभी प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाने का इंतजाम किया जा रहा है. प्रतिनिधिमंडल में मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, मंत्री आलमगीर आलम शामिल थे.

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