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बच्चों को मिली प्लास्टिक के दुष्प्रभाव की जानकारी

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चिरौंदी स्थित रांची साइंस सेंटर में सोमवार को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया.

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रांची.

चिरौंदी स्थित रांची साइंस सेंटर में सोमवार को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया. मौके पर विषय : ””””अर्थ : यूनिक प्लानेट विद लाइफ”””” पर परिचर्चा सत्र का आयोजन हुआ. आइआइटी बॉम्बे के अर्थ साइंस डिपार्टमेंट के सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ पीके सरस्वती बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए. उन्होंने कहा कि पृथ्वी अन्य ग्रहों की तुलना में जीवन योग्य और खास है. पृथ्वी में लगातार 3.5 बिलियन वर्षों से जीवन योग्य बदलाव हो रहे है. वहीं बीते 200 वर्षों में मनुष्यों ने पृथ्वी को प्रदूषित करने का कोई कसर नहीं छोड़ा है. प्रदूषण के क्रम में मनुष्यों ने सबसे घातक पदार्थ प्लास्टिक का निर्माण किया है. इससे लगातार पृथ्वी प्रदूषित और जीवन चक्र को प्रभावित कर रही है. यही कारण है कि इस वर्ष विश्व पृथ्वी दिवस का थीम ””””ग्रह बनाम प्लास्टिक”””” तय हुआ है. इसके अंतर्गत 2040 तक पृथ्वी पर प्लास्टिक के उत्पादन में 60 फीसदी की कटौती का लक्ष्य तय हुआ है. पृथ्वी पर प्लास्टिक की मात्रा घटे, इसके लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है. इसके लिए सिंगल यूज प्लास्टिक को हर हाल में नकारना होगा. डॉ पीके सरस्वती ने स्कूली विद्यार्थियों को प्लास्टिक को कम करने और शोध के जरिये इसका विकल्प तलाशने की बात कही.

कार्यक्रम की शुरुआत प्लास्टिक मुक्त परिवेश से हुई. इसमें राजधानी के चार स्कूल कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय कांके, उच्च विद्यालय बोड़ेया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस विद्यालय और सीएम एक्सीलेंस स्कूल बरियातू के विद्यार्थियों ने सहयोग किया. रांची साइंस सेंटर के विशेषज्ञों ने बच्चों को चेहरे पर प्लास्टिक पहनाकर सांस लेने में होने वाली असुविधा का प्रयोग कराया. साथ ही प्लास्टिक में मौजूद केमिकल किस तरह पानी, हवा और जमीन को दूषित कर रहे हैं, उसके बारे में जानकारी दी. कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को थ्री-डी शो के माध्यम से जमीन से चांद तक के सफर को रोचक एनिमेशन के जरिये दिखाया गया. आयोजन को सफल बनाने में रांची साइंस सेंटर के क्यूरेटर डॉ शेख जिलानी, सुशील कुमार समेत अन्य का सहयोग रहा.

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