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Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हुए मुख्य सचिव, मेरिट लिस्ट बनाने का दिया गया आदेश

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हाइस्कूलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति संरक्षित रहेगी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सोनी कुमारी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने एसएलपी में पारित आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने हाइस्कूलों में नियुक्त शिक्षकों और मूल याचिकाकर्ताओं की मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा-2016 को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह सशरीर उपस्थित रहे.

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कोर्ट ने कहा है कि नियुक्त शिक्षकों को जिला बदलने का विकल्प दिया जाये. अंतिम चयनित अभ्यर्थी (नियुक्त शिक्षक) के कट ऑफ से अधिक अंक लानेवाले मूल याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति की जाये. अगली सुनवाई के लिए नौ दिसंबर की तिथि निर्धारित की गयी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट का आदेश स्पष्ट है. हाइस्कूलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति संरक्षित रहेगी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सोनी कुमारी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने एसएलपी में पारित आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. वहीं राजू कुमार चौरसिया, प्रकाश यादव व अन्य की ओर से आइए याचिका दायर की गयी है.

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यथास्थिति बहाल रखने का दिया था आदेश

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दिया था. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने पर लगभग 40,000 अभ्यर्थियों को नियुक्त करना होगा. यह शिक्षकों की विज्ञापित सीट का तीन गुना होगा और स्वीकृत पद का 1.71 प्रतिशत होगा. प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता रंजीत कुमार व अधिवक्ता ललित कुमार सिंह ने पक्ष रखा, जबकि नियुक्त शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पैरवी की.

क्या है मामला

वर्ष 2016 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा-2016 की प्रक्रिया शुरू की थी. 13 अनुसूचित व 11 गैर अनुसूचित जिलों में हाइस्कूलों में 17,572 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी. पलामू निवासी सोनी कुमारी व अन्य की ओर से विज्ञापन व नियोजन नीति को चुनौती दी गयी. चयन होने के बाद विभिन्न विषयों में लगभग आठ हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हो गयी. इस बीच झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की नियोजन नीति को असंवैधानिक करार दिया तथा 13 अनुसूचित जिलों में की गयी शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया. बाद में शिक्षक सत्यजीत कुमार व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों को कार्य करते रहने का आदेश दिया. बाद में एसएलपी पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त हो गये शिक्षकों की नियुक्ति को सुरक्षित रखा. साथ ही विषयवार अंतिम चयनित अभ्यर्थी के कट ऑफ को देखते हुए राज्यस्तरीय मेधा सूची बना कर शेष पदों पर नियुक्त करने का आदेश दिया.

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