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Book Launch: रामचंद्र ओझा के उपन्यास विषहरिया और अंग्रेजी अनुवाद ग्रीन ओवर रेड का लोकार्पण

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Book Launch: रामचंद्र ओझा के उपन्यास विषहरिया और इसके अंग्रेजी अनुवाद ग्रीन ओवर रेड का रांची प्रेस क्लब के सभागार में रविवार को लोकार्पण किया गया. मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा मौजूद थे.

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Book Launch: रांची-रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने रविवार को रामचंद्र ओझा के उपन्यास विषहरिया और इसके अंग्रेजी अनुवाद ग्रीन ओवर रेड का लोकार्पण प्रेस क्लब सभागार में किया. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम एकेडमिक वर्कशॉप की तरह महत्वपूर्ण है. इस पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभाग रांची विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ अशोक प्रियदर्शी ने की. अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉक्टर अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि उपन्यास की पहली शर्त पठनीयता है और यह उपन्यास इस शर्त को पूरा करता है. विषहरिया का अंग्रेजी अनुवाद करनेवाले विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ राजेश कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे. कृति चर्चा में आलोचक प्रभात कुमार त्यागी, आलोचक डॉक्टर उर्वशी, कथाकार अनीता रश्मि, कथाकार पंकज मित्र, वरिष्ठ आलोचक प्रमोद झा, रांची विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की डॉ पूनम सहाय और अंग्रेजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ गौरी शंकर झा ने प्रमुख रूप से भाग लिया.

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विषहरिया पुलिस की कार्यशैली और विसंगतियों का प्रामाणिक दस्तावेज


प्रभात कुमार त्यागी ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि विषहरिया पुलिस की कार्यशैली और विसंगतियों का एक प्रामाणिक दस्तावेज है. डॉ उर्वशी ने उपन्यास के एक अलग पक्ष प्रेम की उपस्थिति को रेखांकित किया, जो स्त्री चरित्र के माध्यम से उपन्यास में अभिव्यक्त हुआ है. अनीता रश्मि ने इसे एक दिलचस्प उपन्यास बताया और भाषा की रोचकता की प्रशंसा की. पंकज मित्र ने कहा कि यह उपन्यास प्रचलित विमर्शों से अलग नई संरचना की वकालत करता है और मनुष्यता, मनुष्य की संवेदनशीलता और उसके नैतिक साहस का मानदंड प्रस्तुत करता है. उपन्यास में आम धारणा से अलग पुलिस के संवेदनशील पक्ष को भी दिखाया गया है.

सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करता है ये उपन्यास-डॉ पूनम सहाय


प्रमोद झा ने कुछ अंग्रेजी उपन्यासों से तुलना करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण उपन्यास बताया और इसके अनुवाद की भी प्रशंसा की. डॉ पूनम सहाय ने कहा कि यह उपन्यास सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करता है और डाकू-पुलिस की समस्या के विभिन्न पक्षों को उजागर करता है. इस अवसर पर रामचंद्र ओझा ने कहा कि उपन्यास साहित्य की एक कला विद्या है, जिसका कार्य पाठकों की भावनाओं को उद्वेलित करना और उसकी संवेदना का परिमार्जन है. डॉ राजेश कुमार ने इस उपन्यास के अनुवाद में आई चुनौतियों पर प्रकाश डाला.

कार्यक्रम में ये थे उपस्थित


कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी रांची के पूर्व वरिष्ठ उद्घोषक और लोकप्रिय कवि कुमार बृजेंद्र ने किया. धन्यवाद ज्ञापन कथाकार और सामाजिक कार्यकर्ता किरण ने किया. सभागार में पूर्व कुलपति फिरोज अहमद, डॉ माया प्रसाद, डॉ नरेंद्र झा, डॉ जंग बहादुर पांडे, प्रकाश देव कुलिश, कथाकार रश्मि शर्मा, जयमाला, शशिधर खान, राजश्री जयंती, चेतन कश्यप समेत अन्य उपस्थित थे.

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