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ranchi news : ब्लड शुगर, एनीमिया और वजन नियंत्रित करने में मददगार है बाकला

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बीएयू : बाकला फसल के तीन प्रभेदों की वेराइटी आइडेंटिफिकेशन समिति को भेजा

रांची. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वर्षों अनुसंधान के बाद बाकला के तीन प्रभेदों (स्ट्रेंस) को जारी करने के लिए राष्ट्रीय पादप आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो की वेरायटी आइडेंटीफिकेशन समिति को भेजा है. सब्जी के रूप में उपयोग की जाने वाली पोषक तत्वों से भरपूर यह फसल बटूरा या कलकतिया सेम के रूप में भी जानी जाती है. बाकला ब्लड शुगर नियंत्रित करने, अनीमिया की समस्या से निजात पाने और फाइबर से भरपूर होने के कारण वजन नियंत्रित करने में मददगार है. इसमें विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड, बीटा कैरोटिन, पोटैशियम सहित अन्य पोषक तत्व पाये जाते हैं.

बाकला के तीन प्रभेद 132 दिनों में होता है परिपक्व

बीएयू में चल रही आइसीएआर की क्षमतावान फसल संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक डॉ जयलाल महतो इस फसल पर शोध कर रहे हैं. इस फसल के दो प्रभेद 132 दिनों में परिपक्व होते हैं और फली छेदक कीट से औसत नुकसान मात्र 6.13 प्रतिशत होता है. वहीं तीसरा प्रभेद आरएफबी-37 की फसल भी पहले दोनों प्रभेदों से जल्दी पककर तैयार होता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

बीएयू : बाकला फसल के तीन प्रभेदों की वेराइटी आइडेंटिफिकेशन समिति को भेजा

रांची. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वर्षों अनुसंधान के बाद बाकला के तीन प्रभेदों (स्ट्रेंस) को जारी करने के लिए राष्ट्रीय पादप आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो की वेरायटी आइडेंटीफिकेशन समिति को भेजा है. सब्जी के रूप में उपयोग की जाने वाली पोषक तत्वों से भरपूर यह फसल बटूरा या कलकतिया सेम के रूप में भी जानी जाती है. बाकला ब्लड शुगर नियंत्रित करने, अनीमिया की समस्या से निजात पाने और फाइबर से भरपूर होने के कारण वजन नियंत्रित करने में मददगार है. इसमें विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड, बीटा कैरोटिन, पोटैशियम सहित अन्य पोषक तत्व पाये जाते हैं.

बाकला के तीन प्रभेद 132 दिनों में होता है परिपक्व

बीएयू में चल रही आइसीएआर की क्षमतावान फसल संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक डॉ जयलाल महतो इस फसल पर शोध कर रहे हैं. इस फसल के दो प्रभेद 132 दिनों में परिपक्व होते हैं और फली छेदक कीट से औसत नुकसान मात्र 6.13 प्रतिशत होता है. वहीं तीसरा प्रभेद आरएफबी-37 की फसल भी पहले दोनों प्रभेदों से जल्दी पककर तैयार होता है.

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