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झारखंड की असिंता अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में ले रही हैं हिस्सा, असुर समुदाय से भाग लेने वाली पहली महिला

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असिंता असुर नेतरहाट के जोभीपाट गांव की रहने वाली हैं. अपनी मातृभाषा असुरी के पुरखा गीतों, कहानियों व ज्ञान परंपरा के संरक्षण और प्रसार में लगी हुई हैं.

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असुर समुदाय की असिंता असुर भोपाल में तीन से छह अगस्त तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष’ काव्य-पाठ में हिस्सा ले रही हैं. वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में भाग लेनेवाली पहली असुर महिला हैं. यह आयोजन साहित्य अकादमी नई दिल्ली, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा किया जा रहा है. यह जानकारी झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने दी. उन्होंने बताया कि इस सबसे बड़े साहित्य उत्सव का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया.

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उन्होंने बताया कि असिंता असुर नेतरहाट के जोभीपाट गांव की रहने वाली हैं. अपनी मातृभाषा असुरी के पुरखा गीतों, कहानियों व ज्ञान परंपरा के संरक्षण और प्रसार में लगी हुई हैं. असिंता के पास असुर वाचिक साहित्य का खजाना है और वह एक प्रभावशाली स्टोरी टेलर हैं. उन्होंने पुरखा गीतों व कहानियों के साथ-साथ नये गीतों की भी रचना की है. मात्र आठवीं तक पढ़ी असिंता अपने परिवार के साथ पहले रांची में मजदूरी करती थीं.

कोरोना के दौरान उन्हें गांव लौटना पड़ा. इस बार साहित्य अकादमी ने झारखंड से तेतरू उरांव, नारायण उरांव सैंदा, जवाहर लाल बांकिरा, पार्वती तिर्की, महादेव टोप्पो, नीता कुसुम बिलुंग, दास राम बारदा और सलोमी एक्का को भी उत्सव में आमंत्रित किया है.

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